अर्जुनारिष्ट बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे

अर्जुनारिष्ट बनाने के लिए आपको इन जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी.

अर्जुन छाल 2 किलो, काली द्राक्ष डेढ़ किलो, पहले अर्जुन छाल को 32 किलो पानी में भिगोकर पका लें. जब 8 किलो पानी शेष रह जाए तो छानकर उसमें काली द्राक्ष और महुए के फूल 500 ग्राम डालकर पकाएं. जब उबलने लगे तो उतार कर ठंडा करके बरनी ( घड़ा ) में वह सब जल द्राक्ष और फूलों सहित डालें और गुड़ 2.5 किलो, धायफूल 500 ग्राम, नागकेसर 10 ग्राम, इलायची 10 ग्राम, कमाल पत्र 10 ग्राम, दालचीनी 10 ग्राम, नगर मोथा 10 ग्राम, पीपल मूल 10 ग्राम डालकर बरनी को मुख मुद्रा यानी मुख को अच्छी तरह से बंद करके इसे 40 दिन के लिए छोड़ दें. 40 दिन के बाद छानकर सुरक्षित रखें.

अर्जुनारिष्ट के उपयोग एवं फायदे-

मात्रा- 25 से 50 मिलीलीटर दिन में दो-तीन बार.

अर्जुनारिष्ट पीने के फायदे-

अर्जुनारिष्ट बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
  • यह आरिष्ट ह्रदय  के लिए अति गुणकारी है. ह्रदय का तेज धड़कना, घबराहट, हृदय शूल को दूर करता है.
  • खांसी में भी अर्जुनारिष्ट बहुत ही फायदेमंद होता है. कितना भी पुराना खांसी हो नियमित कुछ दिनों तक पीने से ठीक हो जाता है.
अर्जुनारिष्ट बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
  • शरीर में वायु अधिक हो जाने के कारण धड़कन तेज हो जाता है और पसीना अधिक आता है.मुंह सूखने लगता है.नींद कम आती है बेचैनी रहती है शरीर में रक्तसंचार सही ढंग से नही होता,मृत्यु का डर सताने लगता है ऐसी स्थिति में अर्जुनारिष्ट का सेवन बहुत लाभदायक होता है इसके सेवन से उपर्युक्त समस्याएं दूर हो जाती है.
Share on:

I am an Ayurveda doctor and treat diseases like paralysis, sciatica, arthritis, bloody and profuse piles, skin diseases, secretory diseases etc. by herbs (Ayurveda) juices, ashes.

Leave a Comment