हेल्थ डेस्क- कनकासव एक आयुर्वेदिक औषधि है. जिसका उपयोग कई प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है. श्वास रोगों एवं कफ जनित रोगों जैसे अस्थमा एवं क्षय ( TB ) में इसका सेवन मुख्य रूप से प्रयोग किया जाता है.
कनकासव बनाने के लिए इन जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी.
धतूरे का पंचांग 16 तोला, अडूसा का मूल 16 तोला, धायफूल 64 तोला, तालीसपत्र 8 तोला, भारंगी 8 तोला, सोठ 8 तोला, कंटकारी 8 तोला, नागकेसर 8 तोला, पीपल 8 तोला, मुलेठी 8 तोला, काली द्राक्ष 1 सेर, सभी को अधकुटा करके 25 से पानी में उबालें. जब 9 सेर पानी रह जाए इसे सभी जड़ी- बूटियों सहित बरनी ( घड़ा ) में डालें. अब इसमें शहद 2.5 सेर, शक्कर 5 सेर डालकर मुखमुद्रा करके 40 दिन के लिए छोड़ दें. 40 दिन बाद छानकर सुरक्षित रखें यही कनकासव है.

कनकासव के उपयोग एवं फायदे-
मात्रा- 1 से 4 तोला खाना खाने के बाद दिन में दो बार उतने ही पानी मिलाकर सेवन करें. यह एक सामान्य मात्रा है लेकिन रोग और रोगी के प्रकृति के अनुसार मात्रा को घटाया या बढाया जा सकता है. इसका निर्धारण एक योग्य चिकित्सक ही कर सकता है. इसलिए चिकित्सक के सलाहानुसार ही सेवन करना चाहिए.
कनकासव पीने के फायदे-
- कनकासव श्वास, कास ( खांसी ), पुराना बुखार, प्रतिश्याय और मलेरिया को दूर करता है.
- श्वास, कास की उग्र अवस्था में कनकासव का उपयोग अधिकतर किया जाता है, क्योंकि श्वास नलिका की श्लेष्मिक त्वचा को शिथिल करके यह दम्मे की पीड़ा को दूर करता है. इसलिए श्वास नलिका में संकोच विकास प्रधान रोगों में इसका उपयोग विशेष रूप से करना अधिक फायदेमंद होता है.
- श्वास नली की सूजन और फेफड़ों के रोगों में इसका बहुत उपयोग किया जाता है. इससे कफ ढीला होकर निकलने लगता है. श्वास नली की संकुचित होने की शक्ति कम हो जाती है और दम्मे का वेग बंद हो जाता है.
* जब हमारे गले में दर्द होता है. गले में दर्द होने के साथ-साथ गले में जलन और खिचखिच जैसी समस्याएं भी उत्पन्न होने लगती है. इससे हमें सबसे अधिक तकलीफ खाना खाते समय होता है. जब हम किसी भी चीज को निगलते हैं तो उस समय हमें काफी परेशानी होती है. कभी-कभी तो दर्द इतना अधिक हो जाता है कि पानी पीते समय भी हमारे गले में दर्द होने लगता है. इस समस्या का मुख्य कारण वायरल इंफेक्शन होता है. आमतौर पर गले की यह समस्या अपने आप ठीक हो जाता है. लेकिन जब हमारा यह समस्या अपने आप ठीक नहीं होता है तो दवा खाने की जरूरत होती है. अगर इस गले की दर्द की समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो आप कनकासव का सेवन कर सकते हैं.
* दमा को हम कई नामों से जानते हैं. कुछ लोग इसे अस्थमा के नाम से भी जानते हैं. यह एक तरह की इन्फ्लेमेटरी बीमारी है जो हमारे फेफड़ों के वायु मार्ग में होने वाली बीमारी है, यह समस्या होने पर हमें साँस लेने एक दिक्कत होती है. दम्मा या अस्थमा होने पर हमारी वायु मार्ग में सूजन जाती है जिसके बाद हमारे वायु मार्ग में बलगम जमुना शुरू हो जाता है. अस्थमा होने पर हमें बहुत खांसी होती है. खांसी की वजह से हमारे सीने में जकड़न की समस्या भी होने लगती है. अगर अस्थमा का इलाज शुरुआती दौर में ना हो तो यह गंभीर रूप धारण कर लेती है और सांस रुकने तक की नौबत आने लगती है. ऐसे में कनकासव का उपयोग किया जा सकता है.
- यह छाती में जमे हुए कफ और इन्फेक्शन को दूर करने की सबसे कारगर और सर्वश्रेष्ट औषधि है.
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