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द्राक्षासव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे

By : Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)In : आरिष्ट /आसव / क्वाथRead Time : 1 MinUpdated On March 12, 2021

द्राक्षासव बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी.

काली द्राक्ष 1250 ग्राम, खजूर 500 ग्राम लेकर ( द्राक्ष और खजूर को ) 16 लीटर पानी में भिगोकर रखें. 12 घंटे बाद इसे आग पर पकावें, जब पानी आधा रह जाए तो सभी को यानी द्राक्ष और खजूर दोनों को बरनी ( घड़ा ) में डालें और उसमें गुड 2500 ग्राम, धायफूल 200 ग्राम, नौसादर 30 ग्राम, अजवायन 15 ग्राम, कबाब चीनी 15 ग्राम, सोंठ 15 ग्राम, नगर मोथा 15 ग्राम, कपूर कचरी 15 ग्राम, तगर 15 ग्राम, आंवला 15 ग्राम, बहेरा 15 ग्राम, हरड़ 15 ग्राम, सौंफ 15 ग्राम, तालीसपत्र 15 ग्राम, भाभीरंग 15 ग्राम, चिताउर 15 ग्राम, नागकेसर 15 ग्राम, तेजपत्ता 15 ग्राम, बड़ी इलायची 15 ग्राम, दालचीनी 15 ग्राम, जावित्री 15 ग्राम, जायफल 15 ग्राम, पीपल 15 ग्राम, काली मिर्च 15 ग्राम सभी को अधकुटा करके बरनी में डालकर मुख्य मुद्रा करके 40 दिन के लिए रख दें. 40 दिन के बाद छानकर सुरक्षित रखें. द्राक्षासव तैयार हो गया.

द्राक्षासव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे

द्राक्षासव के उपयोग एवं फायदे-

मात्रा- 25 से 50 मिलीलीटर बराबर मात्रा में पानी मिलाकर दिन में दो- तीन बार या भोजन के तुरंत बाद सेवन करें.

द्राक्षासव पीने के फायदे-

  • खांसी, श्वास, राज्यक्षमा ( टीबी ) को दूर करता है.
  • इसके सेवन से अग्नि दीपन करता है और भूख बढ़ाता है एवं दस्त साफ लाता है.
  • जिनके शरीर में खून की कमी हो उनके लिए भी यह आसव पीना फायदेमंद होता है क्योंकि यह खून बढ़ाता है.

  • अनिद्रा यानी नींद नहीं आने की समस्या हो तो रात को सोने से पहले 50 मिलीलीटर द्राक्षासव में उतना ही मात्रा में पानी मिलाकर पीने से नींद आती है. इसके सेवन से बल बढ़ता है और थकावट दूर होता है.
  • द्राक्षासव बवासीर रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है क्योंकि पेट साफ करता है और खून की कमी होने से रोकता है.
  • किसी भी तरह की खांसी को दूर करने में द्राक्षासव अहम भूमिका निभाता है साथ में गले के रोग, मस्तक रोग, नेत्र रोग, रक्तदोष, कृमि, पांडू, कामला, दुर्बलता, कमजोरी, आमज्वर आदि नष्ट हो जाते हैं.
  • द्राक्षासव पौष्टिक तथा बल, वीर्यवर्धक है.

Hashtag: उपयोग एवं फायदे द्राक्षासव के उपयोग एवं फायदे- द्राक्षासव पीने के फायदे- द्राक्षासव बनाने की विधि

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-: Note :-

The information given on this website is based on my own experience and Ayurveda. Take the advice of a qualified doctor (Vaidya) before any use. This information is not intended to be a substitute for any therapy, diagnosis or treatment, as appropriate therapy according to the patient's condition may lead to recovery. The author will not be responsible for any damage caused by improper use. , Thank you !!

Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)

मैं आयुर्वेद चिकित्सक हूँ और जड़ी-बूटियों (आयुर्वेद) रस, भस्मों द्वारा लकवा, सायटिका, गठिया, खूनी एवं वादी बवासीर, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि रोगों का इलाज करता हूँ।

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