सारस्वतारिष्ट बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे

सारस्वतारिष्ट बनाने के लिए इन जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. सारस्वतारिष्ट बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे

ब्रह्मी 250 ग्राम, शतावर, शंखपुष्पी, विदारीकंद, वाराहिकंद, हरड़ छाल, खस, सोठ, सौंफ- 250- 250 ग्राम को 12 लीटर पानी में भिगोकर रखें. 12 घंटे बाद इसे आंच पर चढ़ाकर पकाएं जब चौथाई भाग पानी बचे तो छानकर बरनी ( घड़ा ) में रखें. अब इसमें शहद 500 ग्राम, शक्कर 500 ग्राम, धायफूल- 250 ग्राम, संभालू बीज10 ग्राम, निशा 10 ग्राम, पीपलमूल 10 ग्राम, असगंध 10 ग्राम, बहेड़ा 10 ग्राम, गिलोय 10 ग्राम, छोटी इलायची 10 ग्राम, भाभी रंग 10 ग्राम, दालचीनी 10 ग्राम सभी को अधकुटा करके बरनी में डाल दें. अब इसे मुखमुद्रा करके 40 दिन छोड़कर 40 दिन के बाद आपका आरिष्ट तैयार हो जाएगा फिर छानकर सुरक्षित रखें.

सारस्वतारिष्ट के उपयोग एवं फायदे-

मात्रा- 10 से 20 मिलीलीटर भोजन के बाद दिन में दो बार पिलाएं.

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फायदे-

  • हिस्टीरिया, उन्माद, अपस्मार, भ्रम, तोतलापन दूर होता है. दिमाग की कमजोरी दूर होती है. इसके सेवन से स्मरण शक्ति बढ़ती है और नींद भी अच्छी आती है.
  • सारस्वतारिष्ट के सेवन से आयु, वीर्य, घृति, बुद्धि, बल, स्मरण शक्ति और कांति में वृद्धि होती है.
  • यह रसायन है. ह्रदय रोगों को दूर करने वाला या हृदय को बल प्रदान करने वाला है.
  • बालक, युवा, वृद्ध, स्त्री- पुरुषों के लिए हितकारी है यह ओज वर्धक है.
  • इसके सेवन से आवाज मधुर हो जाती है. रजोदोष और शुक्र दोष नष्ट करने के लिए सारस्वतारिष्ट का उपयोग किया जाता है.
  • अधिक पढ़ने अथवा और भी किसी कारण से स्मरण शक्ति कम हो गया हो तो उसे सारस्वतारिष्ट दूर करता है.
  • यह आरिष्ट बलवर्धक, हृदय को पुष्ट करने वाला, चित्त को प्रसन्न करने वाला तथा दिमाग को तर रखने वाला है. इसका प्रभाव वातवाहिनी नाड़ियों पर विशेष होता है यह पितशामक भी है.
  • कभी-कभी महिलाओं को ऐसा लगता है कि शरीर घूम रहा है, उनकी नजर के सामने सब चीजें घूमती हुई दिखाई दे रही है, इसमें चक्कर आना, आंख बंद करने से अच्छा मालूम पड़ना, आंख खोलने में परिश्रम और चक्कर का वेग विशेष मालूम होना, घबराहट, चित में अशांति, तंद्रा, निद्रा नहीं आना, किसी की बात अच्छी न लगना, कभी-कभी बेहोश भी हो जाना आदि उपद्रव होते हैं. ऐसी अवस्था में यह अरिष्ट सेवन करने से बहुत ही शीघ्र लाभ होता है क्योंकि यह विकार मासिक धर्म की खराबी से उत्पन्न होता है.

  • किसी महिला को मासिक धर्म ठीक- ठीक नहीं होता या एकदम नहीं होता या सही समय पर नहीं होता है या कम या अधिक रक्त स्राव की समस्या है तो उसे पित प्रकोप के कारण उपरोक्त समस्या उत्पन्न होते हैं. जिससे वात वाहिनी नाड़ियाँ भी उत्तेजित हो जाती है. इन सब को सारस्वतारिष्ट तुरंत ही शमन कर देता है अर्थात दूर कर देता है.
  • छोटे बच्चों को लगातार दूध के साथ कुछ दिनों तक नियमित रूप से इस आरिष्ट का सेवन कराने से उनकी बुद्धि तीव्र हो जाती है, स्मरण शक्ति बढ़ती है, बोली अच्छी और स्पष्ट निकलने लगती है तथा आंख की रोशनी तेज हो जाती है अर्थात गले के ऊपर जितने भी अंग हैं उन अंगों को इससे काफी मदद मिलती है. इसलिए उन्माद और मिर्गी आदि मानसिक विकारों को दूर करने के लिए इसका प्रयोग करना काफी लाभदायक होता है.
  • यदि किसी स्त्री को यवनावस्था आने पर भी मासिक धर्म ना होता हो शरीर दुबला हो अंग प्रत्यंग पुष्ट नहीं हो. शरीर में रक्त की कमी हो, उसे यह अरिष्ट सेवन कराना बहुत ही फायदेमंद होता है. गर्भाशय और बिजाशय दोनों ही पुष्ट होते हैं.
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I am an Ayurveda doctor and treat diseases like paralysis, sciatica, arthritis, bloody and profuse piles, skin diseases, secretory diseases etc. by herbs (Ayurveda) juices, ashes.

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