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कुमारी आसव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे

By : Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)In : आरिष्ट /आसव / क्वाथRead Time : 1 MinUpdated On March 10, 2021

हेल्थ डेस्क- कुमारी आसव एक हर्बल पदार्थों से बनी हुई आयुर्वेदिक औषधि है जो मानव की कार्यशैली में सुधार कर स्वास्थ्य की गुणवत्ता को बनाए रखती है. यह दवा एक पॉली लिक्विड दवा है जिसे मौखिक रूप से सेवन किया जाता है और जिसमे पहले से 5 से 10% स्वयं निर्मित अल्कोहल होता है जो हर्बल तत्वों को शरीर के अंदर घुलने में मदद करता है. कुमारी आसव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे.

कुमारी आसव का उपयोग पेट की खराबी, बुखार, खांसी, बवासीर, मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं, सांस लेने में परेशानी, खून की कमी, मूत्र पथ के विकार, कब्ज, त्वचा से जुडी समस्याएं आदि सभी लक्षणों के रोकथाम के लिए किया जाता है. साथ ही अनचाही परेशानियों जैसे- नपुंसकता, कामेच्छा में गिरावट, शुक्राणु में असंतुलन आदि के इलाज के लिए भी इस दवा का उपयोग किया जा सकता है. अति संवेदनशीलता और खूनी बवासीर के मामले में भी इस दवा का सेवन से बचा जाना चाहिए.

आज हम इस लेख के माध्यम से कुमारी आसव बनाने के तरीके, उपयोग एवं फायदों के बारे में बताएंगे.

चलिए जानते हैं विस्तार से-

कुमारी आसव बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की जरुरत होगी.

घृतकुमारी का गुदा 7 किलो, इसे किसी बर्तन में गरम कर लें तो यह पानी की तरह पतला हो जाएगा. अब इसमें गुड़ 2.5 किलो, शहद 1250 ग्राम, धायफूल 500 ग्राम, हरड़ छाल 500 ग्राम, जायफल 25 ग्राम, लवंग 25 ग्राम, कबाबचीनी 25 ग्राम, जटामांसी 25 ग्राम, जावित्री 25 ग्राम, काकड़ा सिंगी 25 ग्राम, बहेड़ा 25 ग्राम, पोहकर मूल 25 ग्राम, अजवायन 25 ग्राम, लौह भस्म 12 ग्राम, ताम्र भस्म 12 ग्राम सभी को बरनी ( घड़ा ) में डालकर मुख मुद्रा करके 40 दिन रखें. इसके बाद छानकर शीशी में भरकर रखें.

कुमारी आसव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे

कुमारी आसव के उपयोग एवं फायदे-

मात्रा- 25 से 50 मिलीलीटर उतना ही पानी मिलाकर दिन में दो-तीन बार पिएं. यह व्यस्क की मात्रा है बच्चों को उम्र के अनुसार कम मात्रा में दिया जाना चाहिए. अच्छे परिणाम के लिए किसी कुशल चिकित्सक की देखरेख में सेवन किया जाना चाहिए.

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कुमारी आसव पीने के फायदे- 

  • यकृत, प्लीहा, कृमि, उदर शूल, शोथ, पांडू, मासिक धर्म खुलकर नहीं होना या कम मात्रा में होना, मासिक धर्म के दौरान दर्द होना आदि स्त्री रोगों का नाश करता है. इसके सेवन से भूख अच्छी लगती है.
  • इसमें मुख्य चीज घृत कुमारी है. इसके अतिरिक्त हरे, लौह भस्म आदि भी दवाएं हैं. इसलिए पाचक कोष्ट को शोधन करने वाला, भूख बढ़ाने वाला और पौष्टिक है.
  • ऐसे बच्चे जो कम खाते हैं उनके लिए यह दवा बहुत ही फायदेमंद है तथा 5 माह के बच्चों के लिए यदि बराबर पेट खराब रहता है जिगर या तिल्ली बढ़ी हुई हो, अनपच, दस्त आदि होते हो तो देने में कोई नुकसान नहीं है क्योंकि यह तिल्ली, जिगर, कफ विकार, श्वास, खांसी आदि बच्चों के रोगों में विशेष गुणकारी है.
  • इसका उपयोग विशेषकर पेट के विकारों में बच्चे से लेकर बूढ़ों तक सबके लिए किया जाता है. प्रारंभ में इसकी मात्रा थोड़ी ही देनी चाहिए, जैसे- जैसे बर्दाश्त होता जाए वैसे- वैसे मात्रा बढ़ाते जाना है. इसका अच्छा नियम है एक-दो सप्ताह लगातार सेवन करने से इसका लाभ नजर आता है. शूल, गुल्म आदि रोगों में यदि रोगी बलवान हो तो बज्रक्षार चूर्ण का उपयोग करें. इससे पेट में वायु भरने नहीं पाता है और रोग में भी बहुत शीघ्र आराम हो जाता है तथा अग्नि भी तेज हो जाती है. खाई हुई चीजें बहुत जल्द हजम होने लगती है और रस, रक्त आदि धातु बढ़कर शरीर पुष्ट और बलवान हो जाता है.
कुमारी आसव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
  • स्त्रियों के दर्द, मेदोवृद्धि, रजोदर्शन के समय पेट में दर्द होना, दम्मा, खांसी, अम्लपीत, वायु गोला, ज्यादा कमजोरी, शक्ति हीन होना आदि कारण भी गर्भधारण ना होना अथवा गर्भधारण होने में कोई अड़चन होना, इसके लिए कुमारी आसव का बराबर कुछ दिनों तक सेवन करना फायदेमंद होता है.
  • कुमारी आसव यकृत को बल देने वाला है. अतः यकृत वृद्धि होने पर जब पीत का स्राव अच्छी तरह से होने में बाधा होती है, तब इसके उपयोग से अच्छा लाभ होता है. इसी तरह यकृत रोग में उसकी प्रारंभिक अवस्था में कुमारी आसव का प्रयोग करने से पेट में जल संचय नहीं हो पाता है क्योंकि इसमें लौह का अंश वर्तमान है जो रक्ताणुओं की वृद्धि कर जल भाग को सुखाता रहता है, इसलिए पेट में जल संचय नहीं होने देता, पुराने प्लीहा रोग में कुमारी आसव के प्रयोग से बहुत अच्छा लाभ होता है. इस रोग में भी रक्ताणुओं की वृद्धि के लिए लोह प्रधान कोई दवा ताप्यादि लौह आदि का सेवन करना अच्छा रहता है.
  • कुमारी आसव में एंटीऑक्सीडेंट गुण शामिल होता है जो एलोवेरा की उपस्थिति के कारण होता है. यह खून की अशुद्धियों को मिटाकर रक्तशोधक का काम करती है और विषाक्त पदार्थों को भी नष्ट करती है.
  • यह दवा कई जड़ी- बूटियों से मिलकर बनी हुई है. यह पित्त को नियंत्रित कर लीवर और किडनी का अच्छे से रख रखाव करने में मददगार होते हैं और खराब पाचन तंत्र में भी सुधार लाता है.
  • इस दवा में कुछ जड़ी- बूटियों में एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होने के कारण यह बलगम से जुड़ी समस्याओं और संक्रमण से रोकथाम कर इलाज करती है.
  • कुमारी आसव सेक्स से जुड़ी नसों के ब्लॉकेज खोलकर नपुंसकता की इलाज में भी मददगार होता है और अन्य यौन संबंधित रोगों के निदान में भी मददगार होता है.
  • कुमारी आसव जरूरी पाचक रसों को नियमित करता है. भूख में सुधार लाता है. कब्ज और अपच से छुटकारा दिलाता है, चर्बी का नाश करता है, कामेच्छा में बढ़ोतरी करता है. त्वचा की अच्छे से देखभाल, सर्दी- खांसी, बुखार जैसी सामान्य समस्याओं का इलाज करने में मददगार होता है.
  • कुमारी आसव विटामिन और मिनरल्स की हमारे शरीर में आपूर्ति करती है. छाती की जकड़न दूर करना, श्वसन दर में सुधार लाना, पेशाब के विकारों को दूर करना, लीवर के काम में सुधार लाना, गड़बडाए पाचन को पुनः स्थापित करने में लाभदायक है.
  • क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस अटैक से बचाव करता है. मासिक धर्म की समस्याओं को दूर करने में मददगार होता है. पीलिया रोग में भी लाभदायक है. गर्भाशय से जुड़ी समस्याओं में विशेष लाभकारी है और इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है एवं अस्थमा के इलाज में भी सहायक है.

नोट- कई आयुर्वेदिक कम्पनियाँ इसे कुमार्यासव के नाम से बेचती है. यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले किसी कुशल चिकित्सक से परामर्श जरूर लें. धन्यवाद.

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Hashtag: kumari asaw उपयोग एवं फायदे कुमारी आसव के उपयोग एवं फायदे- कुमारी आसव पीने के फायदे- कुमारी आसव बनाने की विधि

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Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)

मैं आयुर्वेद चिकित्सक हूँ और जड़ी-बूटियों (आयुर्वेद) रस, भस्मों द्वारा लकवा, सायटिका, गठिया, खूनी एवं वादी बवासीर, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि रोगों का इलाज करता हूँ।

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