वासासव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे

वासासव बनाने के लिए इन जड़ी- बूटियों की जरूरत होगी.

अडूसा के पत्तों का रस 1 लीटर, मृत संजीवनी सुरा या रेक्टिफाइड 1 लीटर, असूस 20 ग्राम, अर्जुन फल 10 ग्राम, अफीम 10 ग्राम, भारंगी 20 ग्राम, बहेड़ा 20 ग्राम, लवंग 20 ग्राम, छोटी इलायची 20 ग्राम, काली मिर्च 20 ग्राम, जायफल 20 ग्राम, काकड़ासिंगी 20 ग्राम, तालीसपत्र 20 ग्राम. अब सभी जड़ी- बूटियों को अधकुटा करके सभी चीजें किसी कांच के पात्र में रखें. अब इसमें 400 ग्राम शक्कर डालकर मुखमुद्रा करके 30 दिनों के लिए छोड़ दें. 30 दिन के बाद इसे छानकर इसमें 1 लीटर डिस्टिल्ड वॉटर या सौंफ का अर्क मिलाकर बोतलों में भरकर सुरक्षित रख लें.

वासासव के उपयोग एवं फायदे-

मात्रा- 5 से 10 मिलीलीटर उतना ही पानी डालकर दिन में तीन बार सेवन करें.

वासासव पीने के फायदे-

  • वासासव कफ नाशक है. यह खांसी, टीबी, बुखार और पीनस को दूर करता है.
  • यह आसव सब प्रकार की खांसी को दूर करता है तथा शरीर को पुष्ट कर बलवान बनाता है.
वासासव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
  • वासा तिक्त, कटु, कास नाशक यानि कफ का नाश करने वाली, पीत शामक तथा कमला, बुखार, श्वास, कास और टीबी को नष्ट करने वाला है. यह रक्तपित्त, विवर्णता यानी शरीर का रंग फीका हो जाना, कुंठ, अरुचि, तृष्णा आदि को नष्ट करता है.

  • कंठ शोथ, श्वास नलिका शोथ एवं संकोच तथा आक्षेप नाशक और रक्तपित्त नाक या मुंह से खून निकलना, ह्रदय दाह, छाती में जलन होना आदि विकारों का नाश करता है.

सावधानी- इसमें अफीम मिला हुआ है अतः इसका प्रयोग वैध की देख रेख में और सावधानी से करना चाहिए. मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

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I am an Ayurveda doctor and treat diseases like paralysis, sciatica, arthritis, bloody and profuse piles, skin diseases, secretory diseases etc. by herbs (Ayurveda) juices, ashes.

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