लवण भास्कर चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे

लवण भास्कर चूर्ण बनाने के लिए जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. लवण भास्कर चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे.

समुद्र लवण- 80 ग्राम.

काला नमक- 50 ग्राम.

नौसादर- 20 ग्राम.

सेंधा नमक- 20 ग्राम.

लवंग- 20 ग्राम.

धनिया- 20 ग्राम.

पीपर- 20 ग्राम.

पीपली मूल- 20 ग्राम.

श्याह जीरा- 20 ग्राम.

तेजपत्ता- 20 ग्राम.

तालीसपत्र- 20 ग्राम.

नागकेसर- 20 ग्राम.

अम्लवेत- 20 ग्राम.

काली मिर्च- 20 ग्राम.

सफेद जीरा- 20 ग्राम.

सोंठ- 20 ग्राम.

अनारदाना- 50 ग्राम.

दालचीनी- 10 ग्राम.

छोटी इलायची- 10 ग्राम.

उपर्युक्त सभी चीजों की अच्छी तरह से सुखा कर पीसकर कपड़छान चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें. यही लवण भास्कर चूर्ण है.

लवण भास्कर चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे

लवण भास्कर चूर्ण के उपयोग एवं फायदे-

मात्रा- डेढ़ से 3 ग्राम पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करें.

लवण भास्कर चूर्ण उत्तम दीपक, पाचक है. मल और अपान वायु का अनुलोमन करता है. अजीर्ण, अरुचि, उदरशूल, मन्दाग्नि, वायु और कब्ज को दूर करता है. दांतो पर घिसने से दांत दर्द दूर होते हैं और खून आना बंद हो जाता है.

लवण भास्कर चूर्ण खाने में बहुत स्वादिष्ट और अत्यंत ही गुणकारी है प्रतिदिन खाना खाने के बाद यदि उनका सेवन किया जाए तो पेट के रोग होने की संभावना नहीं रहती है

रात को सोते समय गर्म पानी के साथ लवण भास्कर चूर्ण सेवन करने से सुबह दस्त साफ होता है.

मन्दाग्नि और संग्रहणी रोग की सबसे उत्तम दवा है. वात, पित, कफ इनमें से कोई भी दोष प्रधान होने के कारण मन्दाग्नि या संग्रहणी हो तो इसके सेवन से दूर हो जाती है.

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I am an Ayurveda doctor and treat diseases like paralysis, sciatica, arthritis, bloody and profuse piles, skin diseases, secretory diseases etc. by herbs (Ayurveda) juices, ashes.

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