शतपत्रादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे

शतपत्रादि चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. शतपत्रादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे.

गुलाब के फूल-10 ग्राम.

कोलडोंडे- 10 ग्राम.

मुलेठी-10 ग्राम.

वंशलोचन- 10 ग्राम.

खस- 10 ग्राम.

चंदन- 10 ग्राम.

आंवला- 10 ग्राम.

नागरमोथा- 10 ग्राम.

तगर- 10 ग्राम.

कबाबचीनी- 10 ग्राम.

सफेद जीरा-10 ग्राम.

धनिया- 10 ग्राम.

पीपर- 10 ग्राम.

सौंफ- 10 ग्राम.

नागकेसर- 10 ग्राम.

छोटी इलायची- 10 ग्राम.

तेजपत्ता- 10 ग्राम.

दालचीनी- 10 ग्राम.

शक्कर- 180 ग्राम.

उपर्युक्त सभी चीजों को अच्छी तरह से धूप में सुखाकर पीसकर कपड़ छान चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखें.

शतपत्रादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे

शतपत्रादि चूर्ण का उपयोग एवं फायदे-

मात्रा- 1 से 3 ग्राम ठंडे पानी या चंदन शरबत से दिन में तीन- चार बार सेवन करें.

इसके सेवन से अम्ल पित्त, मुंह के छाले, छाती और गले की जलन, उल्टी होना, मूर्छा, थकान महसूस होना, अरुचि, पितातिसार, अधिक प्यास लगना, पेशाब में खून आना, पेशाब में जलन आदि पीत रोग दूर होते हैं.

इस चूर्ण के सेवन से कब्ज नष्ट होता है एवं शीतवीर्य होने के कारण आंतरिक गर्मी को भी शांत करती है. जिससे मुख पाक खुद ही ठीक हो जाता है.

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I am an Ayurveda doctor and treat diseases like paralysis, sciatica, arthritis, bloody and profuse piles, skin diseases, secretory diseases etc. by herbs (Ayurveda) juices, ashes.

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