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सितोपलादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे

By : Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)In : चूर्णRead Time : 1 MinUpdated On March 4, 2021

सितोपलादि चूर्ण बनाने के लिए इन चीजों की जरूरत पड़ेगी.

1 .वंशलोचन (तपासीर )- 50 ग्राम.

2 .पीपर- 25 ग्राम.

3 .छोटी इलायची- 12 ग्राम.

4 .दालचीनी- 6 ग्राम.

5 .मिश्री- 100 ग्राम.

यह भी पढ़ें- दाड़िमपुष्प चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग और फायदे

बनाने की विधि- इसे बनाने के लिए कूटकर कपड़े छानकर चूर्ण को सुरक्षित रखें.

सितोपलादि चूर्ण का उपयोग एवं फायदे-

1 से 2 ग्राम शहद, दूध या चाय से दिन में 3 बार सेवन करें.

  • इसके सेवन से खांसी, बुखार, क्षय ( टीबी ) रक्तपित, बालकों की कमजोरी और हृदय रोगों में लाभ होता है.
  • हाथ- पैरों की जलन, अग्निमान्ध, जिह्वा की शून्यता, पसली का दर्द, अरुचि को दूर करता है.
  • सितोपलादि चूर्ण बढ़े हुए पेट को शांत करता है. कफ कुछ आता है. अन्नपच, अरुचि उत्पन्न करता है. जठराग्नि को तेज करता है और पाचक रस को उत्तेजित कर भोजन को बचाता है.
सितोपलादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
  • पित्त वृद्धि के कारण कफ सूखकर छाती में बैठ गया हो, प्यास अधिक लग रही हो, हाथ- पांव और शरीर में जलन हो, खाने की इच्छा ना हो, मुंह से खून आ रहा हो, साथ ही साथ थोड़ा- थोड़ा बुखार रहना, बुखार रहने के कारण शरीर में कमजोरी तथा कांति हीन हो जाना आदि उपद्रव में इस चूर्ण का उपयोग किया जाता है.
  • बच्चों के सूखा रोग में जब बच्चा कमजोर और निर्बल हो जाए साथ-साथ थोड़ा बुखार भी बना रहे साथ में खांसी भी हो तो इस चूर्ण के साथ प्रवाल भस्म और स्वर्ण मालती बसंत की थोड़ी मात्रा मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से अच्छा लाभ होता है.
  • बिगड़े हुए जुकाम में भी इस चूर्ण का उपयोग किया जाता है, अधिक सर्दी लगने, शीतल जल अथवा असमय में जल पीने से जुकाम हो गया हो. कभी-कभी यह जुकाम रुक भी जाता है. इसका कारण है कि जुकाम होते ही यदि सर्दी रोकने के लिए दवा खा लिया जाए तो कफ सूख जाता है. जिसके कारण यह होता है कि सिर में दर्द, सूखी खांसी, शरीर में थकावट, आलस्य और शरीर भारी मालूम पड़ना, सिर भारी, अन्न में रुचि रहते हुए भी खाने की इच्छा ना होना आदि उपद्रव होते हैं. ऐसी स्थिति में इस चूर्ण को शरबत बनफसा के साथ सेवन करने से अच्छा लाभ होता है क्योंकि यह रुके हुए दूषित कफ को पिघला कर बाहर निकाल देता है और इससे होने वाले उपद्रव को भी दूर कर देता है.

Hashtag: उपयोग एवं फायदे सितोपलादि चूर्ण का उपयोग एवं फायदे- सितोपलादि चूर्ण बनाने की विधि

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-: Note :-

The information given on this website is based on my own experience and Ayurveda. Take the advice of a qualified doctor (Vaidya) before any use. This information is not intended to be a substitute for any therapy, diagnosis or treatment, as appropriate therapy according to the patient's condition may lead to recovery. The author will not be responsible for any damage caused by improper use. , Thank you !!

Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)

मैं आयुर्वेद चिकित्सक हूँ और जड़ी-बूटियों (आयुर्वेद) रस, भस्मों द्वारा लकवा, सायटिका, गठिया, खूनी एवं वादी बवासीर, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि रोगों का इलाज करता हूँ।

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