अश्वगंधादि चूर्ण बनाने के लिए आपको इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. अश्वगंधादि चूर्ण बनाने की विधि उपयोग एवं फायदे.
अश्वगंधा- 100 ग्राम.
विदारीकंद- 100 ग्राम.
अब दोनों जड़ी- बूटियों को अच्छी तरह से धूप में सुखाकर पीसकर कपड़े छान चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें.

अश्वगंधादि चूर्ण के उपयोग एवं फायदे-
मात्रा- 3 से 6 ग्राम तक सुबह- शाम दूध या पानी के साथ सेवन करें.
- अश्वगंधादि चूर्ण के सेवन से शरीर के शोथ, कमर के शोथ दूर होते हैं.
- इसका नियमित सेवन करने से दिमाग को शक्ति मिलती है जिससे स्मरण शक्ति में बढ़ोतरी होती है.
- यह शारीरिक कमजोरी को दूर करता है और शरीर को पुष्ट करता है.
- अश्वगंधादि चूर्ण के सेवन से सभी प्रकार के वीर्य विकार दूर होते हैं जैसे- शुक्रमेह, वीर्य का पतलापन, शिथिलता, शीघ्रपतन, प्रमेह इत्यादि नष्ट होकर वीर्य गाढ़ा और निर्दोष बनता है.
- अश्वगंधादि चूर्ण का सबसे उत्तम प्रभाव बीज वाहिनी, नाड़ियों, वात नाड़ियों तथा मस्तिष्क और हृदय पर पड़ता है. जिसके कारण चूर्ण मस्तिष्क को परिपुष्ट करता है.
- इसके सेवन से अनिद्रा, हृदय की कमजोरी एवं धड़कन दूर होता है.
- यह चूर्ण उत्तम शक्ति वर्धक तथा वाजीकरण है, शरीर को हष्ट- पुष्ट बनाकर शरीर के वजन को बढ़ाता है एवं उत्तम व्य:स्थापक है.
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