योगराज और महायोगराज गुग्गुल बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे

योगराज एवं महायोगराज गुगुल बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी.

सोठ, काली मिर्च, पीपल, पीपलामूल, चित्रक, सफेद जीरा, श्याम जीरा, रासना, इंद्रजव, पाठा, भाभी रंग, गजपीपल, कडू काठी, अतिस, भारंगी, अश्वगंधा, बच, सरसों, अजवाइन, 5- 5 ग्राम. त्रिफला 200 ग्राम. शुद्ध गूगल 300 ग्राम. दशमूल 100 ग्राम, गिलोय 100 ग्राम, रासना 100 ग्राम तीनों को कुठकर उसमें 5 लीटर पानी डालकर आंच पर पकावें. जब चौथा भाग रह जाए तो छानकर उसमें गूगल डालकर पका लें. जब खूब गाढ़ा हो जाए तो उपरोक्त सभी जड़ी बूटियों को चूर्ण बनाकर डालकर उसको खूब कुटकुटकर मटर के बराबर गोली बनाकर सुखाकर सुरक्षित रखें. यह योगराज गुग्गुल है.

इसे महायोगराज गुग्गुल बनाने के लिए गोली बनाने से पहले चूर्ण में बंग भस्म 20 ग्राम, रौप्य भस्म 20 ग्राम, लौह भस्म 20 ग्राम, नाग भस्म 20 ग्राम, स्वर्ण माक्षिक भस्म 20 ग्राम, अभ्रक भस्म 20 ग्राम, मंडूर भस्म 20 ग्राम, रस सिंदूर 20 ग्राम डालकर गोली बनाया जाए तो यह महायोगराज गुग्गुल कहलाता है.

महायोगराज गुग्गुल के उपयोग एवं फायदे-

मात्रा- दो-दो गोली दूध से या महारास्नादि क्वाथ के साथ सेवन कराएं.

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योगराज गुग्गुल एवं महायोगराज गुग्गुल के फायदे-

  • यह वात रोगों को दूर करने की अति शक्तिशाली औषधि है. इसका इस्तेमाल वातरोग, अर्धांग बात, अतिआर्तव, व्रण, प्रमेह, आंखों के रोग, साइटिका, खांसी, कमजोरी आदि को दूर करने के लिए किया जाता है.
  • इसका उपयोग अन्य औषधियों के साथ कई रोगों को दूर करने में अति गुणकारी है.
  • समस्त वात विकारों में रसनादी क्वाथ के साथ, वातरक्त में गिलोय क्वाथ के साथ, मेंदोवृद्धि में शहद के साथ, पांडुरोग में गोमूत्र के साथ, कुष्ठ रोग में नीम की छाल के क्वाथ के साथ, शोथ और शूल में पीपल के क्वाथ के साथ, नेत्र रोगों में त्रिफला क्वाथ के साथ और पेट रोगों में पुनर्नवा क्वाथ के साथ महायोगराज गुग्गुल का सेवन करना अति लाभदायक होता है.
  • वात रोगों की शांति के लिए- रसना, गिलोय, एरंडमूल, दशमूल, प्रसारिणी और अजवाइन के क्वाथ के साथ महायोगराज गुग्गुल का सेवन करना फायदेमंद होता है.
  • पीत रोगों की शांति के लिए- जीवनी गन की औषधियों में से किसी एक के क्वाथ के साथ अथवा वासा, लाल चंदन, नेत्र वाला, मुनक्का, कुटकी, खजूर, खालसा, जीवक और ऋषभक क्वाथ के साथ सेवन कराया जाता है.
  • कफ रोगों की शांति के लिए– त्रिकुटा, गोमूत्र, नीम की छाल, पोहकर मूल, गिलोय, अजवाइन और पीपला मूल के क्वाथ के साथ महायोगराज का सेवन करना फायदेमंद होता है.
  • व्रण, नासूर, ग्रंथि, गंडमाला, अर्बुदा आदि में त्रिफला क्वाथ के साथ सेवन करना अति लाभदायक होता है.
  • खुजली दूर करने के लिए दारू हल्दी और पटोल पत्र के क्वाथ के साथ महायोगराज गुग्गुल का सेवन कराएं.
  • जलोदर और किलास कुष्ट के लिए- हर्रे, पुनर्नवा, दारूहल्दी, गोमूत्र और गिलोय के क्वाथ के साथ महायोगराज गूगल का सेवन करना लाभदायक होता है.
  • नष्टार्तव- महिलाओं का गर्भ स्थान जब वायु, कफ और चर्बी से अत्यधिक हो जाता है तब उनको मासिक धर्म होना बंद हो जाता है और इसलिए संतान होना भी रुक जाता है. ऐसे समय में महिला को दो- एक लंघन कराकर लगातार एक डेढ़ महीने तक महायोगराज गुग्गुल का सेवन कराना चाहिए. इससे गर्भाशय का मुंह खुल जाता है और मासिक धर्म भी ठीक से होने लगता है तथा गर्भाशय गर्भधारण करने योग्य हो जाता है.
  • स्नायु शूल- शरीर के प्रत्येक अंग में स्नायु शूल होता हो और उसमें दूसरी औषधियां निष्फल हो गई हो तो महायोगराज गूगल का सेवन अवश्य कराएँ. यदि यह शूल सूजाक के कारण उत्पन्न हुआ हो तो मंजिष्ठादि क्वाथ के साथ महायोगराज गुग्गुल का सेवन करने से अति शीघ्र लाभ होता है.

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I am an Ayurveda doctor and treat diseases like paralysis, sciatica, arthritis, bloody and profuse piles, skin diseases, secretory diseases etc. by herbs (Ayurveda) juices, ashes.

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