कई जटिल बीमारियों का रामबाण इलाज है फिटकरी, जानें इस्तेमाल करने के तरीके

हेल्थ डेस्क- फिटकरी एक प्रकार की खनिज मिट्टी है जिसको देसी भाषा में रोल और अंग्रेजी में एलम सोल कहते हैं. तैयार होने वाली वस्तु है, यह लाल और सफेद दो तरह की होती है. भारत में फिटकरी बनाने वाले कई कारखाने हैं. सबसे बड़ा कारखाना सिंधु नदी के पश्चिमी किनारे पर काला बाग नामक स्थान में है. जहां आज भी बड़े पैमाने पर फिटकरी का निर्माण किया जाता है.

राजपूताने के अंदर भी फिटकरी की मिट्टी बहुतायत पाई जाती है. इसके अलावा मुंबई, मद्रास और पंजाब में भी फिटकरी तैयार की जाती है. फिटकरी का सत्व पातन करने से अल्युमिनियम धातु प्राप्त होता है. आजकल एल्युमीनियम के बर्तन भी बनते हैं.

फिटकरी बहुत ही आसानी से मिलने वाली चीज है. किराना स्टोर में बहुत ही आसानी से उपलब्ध हो जाता है. इसका प्रयोग नाई लोg दाढ़ी बनाने के बाद करते हैं तो वही कई घरों में कट जाने पर इसका इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन आपको बता दें कि फिटकरी का इस्तेमाल और भी रूप में भी किया जाता है और इससे कई तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता है. फिटकरी का दवा तैयार कर आयुर्वेद में कई रोगों को दूर करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है.

जैसा कि ऊपर हमने बताया है कि दो तरह की सफेद फिटकरी और लाल फिटकिरी.

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भस्म तैयार करने की विधि- लाल फिटकरी 5 तोला लेकर घृतकुमारी के रस में खरल करें. जब सुख जाए तो फिर उसे 1 दिन भृंगराज के रस में सरल करके उसकी टिकिया बनाकर धूप में सुखा लें. शराव संपुट में बंद कर 5 सेर कंडों की आंच में फूंक दे और शीतल होने पर भस्म निकाल कर सुरक्षित रख लें.

रोगानुसार सेवन करने की विधि एवं मात्रा-

2 से 4 रत्ती मधु, घी, शरबत वनफसा या रोगा अनुसार अनुमान से सेवन करने से कई तरह के जटिल बीमारियां दूर हो जाती है.

फिटकरी एवं फिटकरी भस्म के फायदे-

* फिटकरी भस्म सुजाक, रक्त प्रदर, खासी, पाशर्वशूल, पुरानी खांसी, राज्यक्षमा ( टीबी ) निमोनिया, खून की उल्टी होना, विष विकार, पेशाब में जलन होना, त्रिदोष, प्रमेह, कोढ़, घाव आदि को दूर करती है.

* फिटकरी भस्म रक्तशोधक है. इसके सेवन से रक्त वाहिनी संकुचित हो जाती है अतः यह बहते हुए खून को बंद करती है. इसके सेवन से बड हुए श्वास कास भी कम हो जाते हैं.

* छाती में कफ जम कर बैठ जाने से खांसी होने पर छाती में दर्द होने लगता है. इस खांसी के आधात से फुफ्फुस खराब हो जाते हैं तथा उसमें भी दर्द होने लगता है, इस कf को निकालने के लिए फिटकरी भस्म अमृत के समान फायदा करती है. कभी-कभी फुफ्फुस में ज्यादा कf जमा हो जाने से फुफ्फुस कठोर हो जाते हैं तथा अपने कार्य करने में भी असमर्थ हो जाते हैं ऐसी अवस्था में भी यह भस्म बहुत ही फायदेमंद होती है.

कई जटिल बीमारियों का रामबाण इलाज है फिटकरी, जानें इस्तेमाल करने के तरीके

* कुकर खांसी- यह बीमारी बच्चों को अधिकतर होती है. इसमें इतनी जोर की खांसी उठती है कि बच्चे को खांसते-खांसते उल्टी तक हो जाता है, ऐसी हालत में फिटकरी भस्म एक रत्ती, प्रवाल पिष्टी आधी रत्ती, काकड़ा सिंगी एक रत्ती में मिलाकर मधु के साथ देने से अच्छा लाभ होता है.

* फिटकरी भस्म विषनाशक होता है इसलिए सभी प्रकार के विषों पर इसका अच्छा प्रभाव होता है, सीसा धातु की कच्ची भस्म के सेवन करने से पेट में दर्द हो तो फिटकरी भस्म एक रत्ती, अफीम 1/ 8 रत्ती, कपूर 1/4 रती मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से तथा रात में एक मात्रा मृदु विरेचन चूर्ण से लेने से प्रातः दस्त साफ हो जाता है और पेट का दर्द ठीक होकर विष दोष दूर हो जाता है.

* इसी तरह तत्काल काटे हुए सर्प के रोगी को फिटकरी भस्म 1 माशा को 5 तोला घी में मिलाकर पिलाने से कुछ देर के लिए विष आगे ना बढ़ कर रुक जाता है.

* बिच्छू के विष में भी एक तोला फिटकरी को 5 तोला गर्म पानी में मिलाकर रुई के फाहे बिच्छू काटे हुए स्थान पर इस पानी को बार-बार रखने से बिच्छू का विष दूर हो जाता है.

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* प्लेग रोग में- लाल फिटकरी भस्म के प्रयोग से इस रोग में अच्छा लाभ होता है. प्लेग में जब बुखार बहुत तेज हो गर्मी के मारे रोगी व्याकुल हो जाए, साथ-साथ प्रलाप भी हो तब फिटकरी भस्म 3 रत्ती, मिश्री एक माथे में मिलाकर देने से बहुत लाभ होता है. लेकिन दवा देने के बाद एक घंटा तक पानी नहीं पिलाना चाहिए. बाद में एक तोला धनिया आधा सेर पानी में डालकर उबालें. आधा पाव पानी शेष रहने पर छानकर पीने को दें, साथ ही साथ गिल्टी पर असगंध को पानी में घिसकर दिन भर में दो-तीन बार लेप करें और दूध भात खाने के लिए दें. इस प्रयोग से प्लेग रोग में काफी लाभ होता है.

* मलेरिया बुखार- जब बार-बार बुखार आता हो बुखार कभी किसी दवा से कम ना हो तो लाल फिटकरी भस्म 4 रत्ती में शुद्ध संखिया 1/ 10 रत्ती मिलाकर मधु के साथ बुखार आने से एक घंटा पहले देने से दो-तीन पारी के बाद मलेरिया बुखार आना अवश्य ही रुक जाता है.

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* नेत्र रोगों के लिए भी फिटकरी बहुत ही अच्छी दवा है. इसके दो रत्ती चूर्ण को एक तोला गुलाब जल में मिलाकर इस लोशन को आंख में डालते रहने से आंखों की सुर्खी और आंख में कीचड़ का आना बंद हो जाता है. आंख के अंदर एक प्रकार का बाल होता है जिसको परबाल कहते हैं इस रोग में कच्ची फिटकरी की डली 4 तोला को मिट्टी के बर्तन में रखकर आंच पर चढ़ा दें जब फिटकरी पिघल जाए तब उसमें सोनागेरू का चूर्ण एक तोला डालकर लकड़ी के चलाकर अच्छी तरह मिला लें. फिर इसको नीचे उतारकर खरल में घोटकर महीन चूर्ण बना कपड़े छानकर रख लें. अंजन की तरह आंख में लगाने से परबाल रोग बहुत शीघ्र ही दूर हो जाता है. आंखें स्वस्थ हो जाती है तथा आंखों में पुनः किसी प्रकार की बीमारी होने की संभावना नहीं रहती है. नेत्र रोगों के लिए यह अंजन बहुत ही अक्सर चीज है.

* व्रण रोपण के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है, छूरी, तलवार या कुल्हाड़ी आदि के आधात पर अगर कोई घाव हो गया है तो उसमें खूब खून निकल रहा है तो कच्ची फिटकरी को बारीक पीसकर घी के साथ मिलाकर उसको घाव पर रखकर ऊपर से रुई का फाहा रखकर पट्टी बांध देने से खून बहना तुरंत बंद हो जाता है और घाव बिना पके भर जाता है. फिटकरी के साथ संभाग मुर्दा शंख मिलाकर कपड़े छानकर कर व्रण पर छिड़कने से व्रण भर जाता है यह कीटाणु नाशक होने से संक्रमण नहीं होने देता है.

* महिलाओं में मासिक धर्म के दिनों में अतिरिक्त रक्त स्राव होने पर या नाक से खून बहने पर फिटकरी भस्म को मिश्री के साथ खिलाने से और नकसीर में इसकी भस्म को सूंघने से बहुत शीघ्र लाभ होता है क्योंकि फिटकरी में ग्राही गुण है तथा यह चमड़े एवं शिराओं को संकुचित करती है.

* रस कपूर या पारा के विशेष सेवन करने से अथवा किन्हीं और कारणों से मुंह में छाले पड़ गए हो और मसूड़ों में जख्म हो गए हो तो फिटकरी के पानी से कुल्ला करने से अच्छा लाभ होता है. मौलश्री छाल के चूर्ण में थोड़ी सी फिटकरी मिलाकर मंजन करने से हिलते हुए दांत मजबूत हो जाते हैं.

* गर्भाशय से अगर खून बहता हो तो गंदना बूटी के स्वरस में फिटकरी को घोलकर उसमें कपड़ा तर कर के गर्भाशय में रखने से खून आना बंद हो जाता है. गर्भाशय बाहर निकल आने पर, गुदभ्रंश पर भी इसका प्रयोग पिचकारी के रूप में देने से अच्छा लाभ होता है.

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* छाती से रक्त आने पर– जब किसी कारण से छाती में विशेष चोट लगने से खून आने लगे तो 4 रत्ती फिटकरी भस्म 2 मासे मिश्री में मिलाकर दो पुड़िया बना लें. सुबह-शाम एक-एक पुड़िया देने से खून आना बंद हो जाता है. बाद में कमजोरी दूर करने एवं भीतर के घाव को भरने के लिए प्रवाल पिष्टी मिलाकर अनार के शरबत के साथ देने से अच्छा लाभ होता है.

* शरीर में चोट लग जाने पर उस स्थान पर रख जम जाता है उसे ठीक करने के लिए एक माशा फिटकरी को खाकर ऊपर से दूध पीना चाहिए. तीन चार बार लेने से आराम मिलता है.

नोट- घरेलू दवाओं के रूप में फिटकरी बहुत ही चमत्कारी दवा है और यह सुगमता से मिल भी जाती है और इसके गुण धर्म के वर्णन में कच्ची फिटकरी के भी उपयोग का वर्णन वाच्य कों के लाभार्थ किया गया है.

नोट- यह पोस्ट शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है किसी भी प्रयोग से पहले योग्य वैध की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.

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I am an Ayurveda doctor and treat diseases like paralysis, sciatica, arthritis, bloody and profuse piles, skin diseases, secretory diseases etc. by herbs (Ayurveda) juices, ashes.

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