रोग परिचय- सिरदर्द होना एक आम समस्या है जो किसी को भी हो सकता है. हालांकि सिर दर्द कोई रोग नहीं है बल्कि दूसरे रोगों का लक्षण मात्र होता है. सिर दर्द होने के कारण- विष्टम्भ, कब्ज, सर्दी, जुकाम, बुखार, मासिकधर्म दोष, गर्भाशय के रोग, उष्णता, चिंता, भय, क्रोध से रक्त कम होने से दुर्बलता […]
Archives for April 2021
बच्चों को सुखंडी ( सुखा ) रोग होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार
रोग परिचय- सूखा रोग, सुखंडी, रिकेट्स- जब सूखा रोग बच्चों में हो जाता है तो बच्चे दिन प्रतिदिन कमजोर होते चले जाते हैं. उनकी हड्डियां दिखाई देने लगती है. बच्चा हमेशा रोता, चिड़चिड़ाता रहता है. हालांकि सुखंडी रोग किसी भी उम्र के महिला व पुरुष को हो सकती है चाहे वह बच्चा हो या युवा हो […]
वृक्क ( किडनी ) में पथरी होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार
रोग परिचय- गवीनी ( ureter ) पथरी आदि शल्य प्रवेश करने से कमर में एक तरफ अकस्मात तेज दर्द शुरू होकर जननेंद्रिय की ओर जाती है. कभी-कभी यह दर्द संगवहन के परिणाम स्वरुप स्वस्थ वृक्क में भी प्रतीत होती है. इसमें बहुमूत्रता, वमन, कंप, अत्यधिक पसीना, स्तब्धता ( shock )व निपात आदि लक्षण होते हैं. जिस […]
राजयक्ष्मा ( टीबी ) होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार
राजयक्ष्मा ( टीबी ) होने के कारण- मल, मूत्र, भूख आदि के बेग को रोकना, वीर्य, रस, रक्त, मांस आदि धातु के क्षीण होने से, अपनी शक्ति से अधिक काम करना, दौड़ना, लड़ना, बोझ उठाना आदि विषम भोजन से अर्थात समय पर ना खाना, नियम से ना खाना, कम शक्ति वाले पदार्थ खाना, भूखा रहना […]
आयुर्वेद के अनुसार किस ऋतु में कौन सा पदार्थ खाना स्वास्थ्य के लिए हितकर होता है, जानें विस्तार से
मेष आदि 12 राशियों में सूरज के फिरने से छः ऋतु होती है. 1 .माघ- फागुन से शिशिर ऋतु. 2 चैत्र- वैशाख से बसंत ऋतु. 3 .जेष्ठ- आषाढ़ से ग्रीष्म ऋतु. 4 .श्रावण- भाद्र से वर्षा ऋतु. 5 आश्विन- कार्तिक से शरद ऋतु. 6 .मार्गशीर्ष- पौष से हेमंत ऋतु. इन ऋतुओं में वात, पित्त, कफ […]
आयुर्वेद के अनुसार संभोग करने के नियम, जानें सेक्स से आई कमजोरी दूर करने के उपाय
महिला व पुरुष के बीच संभोग जिंदगी का एक अहम हिस्सा होता है. संभोग करने से न सिर्फ नई पीढ़ी का निर्माण होता है बल्कि इससे कई तरह के स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं. संभोग करना महिला व पुरुषों के लिए शारीरिक व मानसिक दोनों तरफ से शांति प्रदान करता है. लेकिन आयुर्वेद के अनुसार […]
योगराज और महायोगराज गुग्गुल बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
योगराज एवं महायोगराज गुगुल बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. सोठ, काली मिर्च, पीपल, पीपलामूल, चित्रक, सफेद जीरा, श्याम जीरा, रासना, इंद्रजव, पाठा, भाभी रंग, गजपीपल, कडू काठी, अतिस, भारंगी, अश्वगंधा, बच, सरसों, अजवाइन, 5- 5 ग्राम. त्रिफला 200 ग्राम. शुद्ध गूगल 300 ग्राम. दशमूल 100 ग्राम, गिलोय 100 ग्राम, रासना 100 ग्राम […]