हेल्थ डेस्क- फोड़े- फुंसियों का होना यह एक ऐसा रोग है जो प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में अनेक बार हुआ करता है. यह एक तीव्र वेदना युक्त, गोलाकार, रोमकूपों का शोथ है जो कि स्टेफिलोकोक्कस ऑरियस या एल्बस के कारण प्रसारित होता है. इसके उपसर्ग के कारण तीव्र शोथ, पीप का जमा होना या कोथ आदि होता है. यह बार-बार होने वाला गंभीर स्टेफिलोकोक्कस संक्रमण है जो रोमकूपों ( हेयर फॉलिकल ) व स्वेद ग्रंथि में होता है. सामान्य रूप से यह बालतोड़, दाने, दूमल के नाम से जाना जाता है. इसमें त्वचा पर सूई के सिरे से लेकर सेम के बीज के आकार के तीव्र लाल, छूने से दर्द युक्त, उभार मिलते हैं. यह फुंसियां व्यक्ति शरीर के समस्त भागों को अक्रांत कर सकती है. लेकिन गर्दन, चेहरा, कक्षा, चूतड़, जांघ मुख्य रूप से आक्रांत होते हैं .यह बच्चे और बूढे ( महिला- पुरुष ) में समान रूप से होने वाली समस्या है.

फ़ोड़े प्रायः एक ही होते हैं. लेकिन फुंसियां अनेक फोड़ों का संग्रह होता है. यह फुंसियां मधुमेह के रोगियों में अधिक होती है. सफाई की कमी, कमजोरी, खून की कमी, खुजली और मधुमेह इसके सहायक कारण होते हैं.
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अधिकतर यह फ़ोड़े कुछ दिन में खुद ही ठीक जाते हैं तथा उसमें से पीपयुक्त स्राव और सड़े- गले पदार्थ निकलते हैं. लेकिन कभी-कभी जब यह शरीर में कुछ ऐसे कोमल स्थान जैसे चेहरे, होठ पर होते हैं जहां से रोग के बिष का शरीर में फैलाव आसानी से हो सके तो रोगी की मृत्यु का सेप्टीसीमिया द्वारा भय रहता है.
यह रोग अक्सर बच्चों या लोगों में अधिक होता है जो बहुत मीठा खाना पसंद करते हैं. यह विशेष रूप से बरसात में बहुत होता है. जब की आमों की अधिक प्रचुरता रहती है. यह रोग अक्सर मधुमेह से संबंधित होता है. इसके अलावा पानी वात, साइकोसिस के उपद्रव से स्वरूप से भी यह रोग हो सकता है. कभी-कभी यह वह साइनस, दांत इत्यादि को भी आक्रांत करता है.
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फोड़े- फुंसियों के लक्षण-
सबसे पहले त्वचा पर एक लाल चकता पड़ता है जो बीच में उभरा हुआ रहता है यह धीरे-धीरे बड़ा हो जाता है और छूने पर दर्द होता है. बीचो-बीच में पीला केंद्र दिखलाई देता है जो पीप का घोतक है. अंदर का तनाव बढ़ने से उसमें टपकन पैदा हो जाती है. जब फोड़ा फूट जाता है तो पीले रंग का मवाद निकलता है तथा टपकन भी साथ- साथ कम होती है. बीच में से खील भी निकलती है. यही उपसर्ग का जड़ है तथा इसके निकलते ही स्वस्थ तंतु उक्त स्थान पर जमा हो जाते हैं और फ़ोड़ा अच्छा होने लगता है. नाक पर या आसपास तथा ऊपरी होंठ पर का फोड़ा कभी-कभी एंगुलर द्वारा मस्तिष्क तक उत्सर्ग पहुंचाकर घातक अवस्था उत्पन्न कर देते हैं.
फोड़े- फुंसियां ठीक करने के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय-
1 .तीसी, आटा गुड़ और हल्दी को एक साथ पीसकर तेल में मिलाकर इसकी पुल्टिस बनाकर दिन में दो बार गरम-गरम फोड़े पर पुल्टिस का सेंक करके वही पुल्टिस ऊपर से बांध दें अथवा तीन -चार बार दिन में कोई सा भी सेंक देने से थोड़ा जल्दी ही पक कर फूट जाता है.
2 .कच्चे फोड़े पर नीम की छाल और रसौत को घिसकर लगावें. इसे लगाने से वह या तो बैठ जाता है या फिर खुद ही फुटकर पीप निकलने लगता है.
3 .गेरू, रसौत, मुर्दाशंख को रगड़ कर पिसकर लगा लें. इससे फोड़ा फूटकर दर्द से राहत मिलेगा.
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4 .शहजन की पत्तियों को पानी में उबालकर पिसकर लेप करने से अच्छा लाभ होता है.
5 .पत्थर चूर को बालतोड़ के स्थान पर बांधने से जल्दी ठीक हो जाता है.
6 .पीपल की छाल पीसकर लगाएं, अथवा उसके दूध का फाहा लगाएं.
7 .मेथी की पुल्टिस बांधने की फ़ोड़े की सूजन और दर्द दूर होता है एवं फ़ोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है.
8 .मरोड़ फली की जड़ पीसकर लगाएं.
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9 .गुड़, सुहागा और अलसी लें तथा इसमें पहले अलसी को सील पर पिसें तथा सुहागे और गुड़ को मिलाकर पानी या दूध डालकर पकाएं और गाढ़ा होने पर गर्म- गर्म फोड़े पर बांधे. इससे बहुत जल्दी फ़ोड़ा फूट जाता है.
फोड़े के फूटने के बाद इन औषधियों का उपयोग करें-
1 .नीम के पत्ते और तिलों को पीसकर शहद में मिलाकर ऊपर से लगाएं इससे घाव जल्दी ठीक हो जाएगा.
2 .कड़वे नीम के पत्तों को तेल में तले फिर तले हुए पत्तों को उसी तेल में पीसकर फोड़े पर लगाएं. इससे घाव जल्दी ठीक होगा.
3 .काकजंघा के पत्ते को जलाकर तेल में पीसकर लगाने से घाव जल्दी ठीक होगा.
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4 .हल्दी का पावडर घाव पर लगाने से घाव जल्दी सूखता है.
5 .हिंगुलादि मलहम का इस्तेमाल किसी भी तरह की फ़ोड़े को ठीक करने के लिए रामबाण मलहम है.
इस मलहम को बनाने के लिए शिगरफ, सफेद कत्था, राल, कबीला 6- 6 ग्राम, नीला थोथा आधा ग्राम इन सब को पीसकर पाउडर बना लें. अब सौ बार खुले हुए मक्खन में मिलाकर मलहम बनाकर फोड़े पर लगाने से वह जल्दी ठीक हो जाता है. यह सडनयुक्त फोड़े- फुंसियों को भी ठीक कर देता है.
6 .सफेदकत्था 6 ग्राम, आमलासार गंधक 6 ग्राम, गंध बिरोजा 10 ग्राम, फिटकरी 6 ग्राम, रस कपूर 3 ग्राम, गेरू 6 ग्राम, शीतल चीनी 6 ग्राम तथा सिंदूर 6 ग्राम को पीसकर पाउडर बना लें. अब एक छटाक घी और आधी छटाक मोम को प्याली में रखकर आच पर पिघला लें और ऊपर से सभी चूर्ण को मिलाकर डालकर मलहम तैयार कर लें. इस मलहम को किसी भी तरह के घाव पर उपयोग करने से जल्दी ठीक हो जाता है.
7 .घी 30 ग्राम, तूतिया 1 ग्राम, सफेद मोम 20 ग्राम, सिंदूर 5 ग्राम लेकर उसमें पहले घी और मोम को आग पर पिघला लें. फिर उसमें तूतिया और सिंदूर पीसकर मिलाकर मरहम तैयार कर लें. इस मलहम को किसी भी तरह की फोड़े- फुंसियों पर लगाने से अच्छा लाभ होता है.
8 .इसके साथ ही मंजिष्ठादि क्वाथ, सारिवादि क्वाथ, महातिक्त घृत, मंद्यती चूर्ण, गंधक रसायन, खदिरारिष्ट इत्यादि का मुख द्वारा सेवन करने स फोड़े- फुंसियां जल्दी ठीक हो जाते हैं और दोबारा नहीं होते हैं.
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नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.