ब्रेन ट्यूमर होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार

रोग परिचय- मस्तिष्क गांठ, शंखक शूल जिसे अंग्रेजी भाषा में ब्रेन ट्यूमर ( Brain Tumour ) कहा जाता है.

ब्रेन ट्यूमर होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार
ब्रेन ट्यूमर होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार

मस्तिष्क जेली के समान एक ऐसी नाजुक संरचना है जो की खोपड़ी की कठोर हड्डियों के बीच स्थित होता है. चारों ओर से घिरा होने के कारण मस्तिष्क में किसी भी चीज की अनावश्यक बढ़ोतरी परेशानी खड़ा कर देता है.

ऐसा माना जाता है कि किन्ही कारणों से कुछ खास तरह की कोशिकाएं अधिक मात्रा में बनने लगती है तो वह ट्यूमर यानी गांठ का रूप धारण कर लेता है. ट्यूमर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. लेकिन मस्तिष्क की गांठ सबसे ज्यादा खतरनाक मानी जाती है.

ब्रेन ट्यूमर होने के कारण-

  • इसके कई कारण हो सकते हैं. अनुवांशिक भी हो सकता है यानी अगर आपके परिवार में पहले किसी को ब्रेन ट्यूमर हुआ है तो आपको भी होने की संभावना अधिक हो जाती है.
  • यह ट्यूमर किसी विषाणु की वजह से भी हो सकता है. कई बार किसी दूसरी चीज के श्वसन से ब्रेन तक पहुंच जाने से भी हो जाता है या फिर किसी खतरनाक केमिकल के इस्तेमाल या खतरनाक रेडिएशन की वजह से भी ब्रेन ट्यूमर हो जाता है.
  • ब्रेन ट्यूमर में दिमाग की कोशिकांए क्षतिग्रस्त हो जाती है. ट्यूमर के दौरान दिमाग की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ती जाती है, इससे दिमाग पर दबाव पड़ने लगता है दिमाग पर दबाव पड़ने के फल स्वरुप मानसिक स्थिति भी खराब हो सकती है.

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मस्तिष्क में गांठ होने के लक्षण-

मस्तिष्क में गांठ के कारण अंदर मस्तिष्क का आयतन बढ़ता है. चारों ओर से बंद होने के कारण बढ़ा हुआ आयतन जब दबाव डालता है तो इसे रेज्ड इंट्राक्रेनियल टेंशन कहा जाता है. जिससे ये तकलीफें होने लगती है.

  • प्रायः सिर में दर्द रहना.
  • किसी अंग विशेष में लगातार कमजोरी.
  • बिना किसी उत्तेजना के दौरे पड़ना.
  • आंखों की रोशनी कम होना.
  • मिर्गी के लक्षण पैदा हो सकते हैं.
  • मानसिक संतुलन खोना.
  • बोलने में परेशानी होना.
  • कुछ नया सीखने में परेशानी होना.
  • सुनने में दिक्कत होना.
  • हाथ- पैर फड़कना.
  • मितली उल्टी आना.

ये सब ब्रेन ट्यूमर की प्रमुख लक्षण हैं यदि ऐसा कोई लक्षण खुद या अपने किसी को दिखे तो आपको बिना देर किए डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए.

मस्तिष्क का गाँठ दो प्रकार के होते हैं.

1 .कैंसरस ट्यूमर- यह ट्यूमर मस्तिष्क के अंदर होता है. यह ट्यूमर बहुत तेजी से बढ़ता है क्योंकि इसमें सेल काफी तेजी से विभाजित होते हैं. कैंसर ट्यूमर की जड़ें कहां तक अंदर हो सकती है इसका पता नहीं चलता है. मस्तिष्क के लगभग 50 फ़ीसदी ट्यूमर कैंसरस होते हैं.

2 .नॉन कैंसरस ट्यूमर- यह मस्तिष्क के बाहर लेकिन खोपड़ी के अंदर होता है यह धीमे-धीमे बढ़ता है. इसमें सेलों का विभाजन धीरे-धीरे होता है. यह नियंत्रित होता है. यह समूल नष्ट किया जा सकता है.

कैंसरस ट्यूमर को सामान्य तौर पर ग्लायोमा एस्ट्रोसाइटोमा या मैड्यूलो ब्लास्टोमा कहते हैं. ग्लायोमा ग्रेड नंबर-1 का कैंसरस ट्यूमर 20 वर्षों तक बिना कोई परेशानी उत्पन्न किए पड़ा रह सकता है.

ट्यूमर चाहे कैंसरस हो अथवा बिनाइन. दोनों ही जीवन के लिए समान रूप से घातक होते हैं. कभी संक्रमण की वजह से भी ट्यूमर हो जाता है पर वह वास्तव में ट्यूमर नहीं होता है लेकिन उसका आचरण ट्यूमर की तरह ही होता है.

ट्यूमर का प्रभाव- यदि ट्यूमर आंख के पास है तो देखने की शक्ति प्रभावित होती है. कान की नस के पास ट्यूमर होने पर सुनने की शक्ति प्रभावित होती है. हड्डियों की चोट पर ट्यूमर होने से वहां पर दर्द होता है. यदि कभी नाक के अंदर टयूमर होता है तो नाक से खून बहने लगता है. दिमाग के बाएं भाग से दाहिने हाथ की क्रिया प्रभावित होती है अर्थात यदि ट्यूमर मस्तिष्क के बाएं भाग की ओर है तो दाहिने हाथ में कमजोरी आने लगती है और यह धीरे-धीरे बढ़ने लगती है.

ट्यूमर का पता कैसे लगाया जा सकता है?

ट्यूमर का सही स्थिति जानने के लिए सीटी स्कैन अथवा m.r.i. की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे तो सीटी स्कैन ही ट्यूमर के संबंध में काफी कुछ जानकारी देता है. लेकिन m.r.i. से विशेष लाभ यह होता है कि ट्यूमर कितना बड़ा है, कहां स्थित है, ट्यूमर किस प्रकार का है, कैंस स है बिनाइन है या संक्रमण के कारण है. इन सभी बातों का सही-सही पता चल जाता है.

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मस्तिष्क गांठ ( Brain Tumour ) दूर करने के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार-

1 .रोगी को अंधेरे और ठंडे वातावरण वाले कमरे में रखा जाए जहां पूर्णता शांति हो.

2 .सिर पर बर्फ रखनी चाहिए.

3 .सर पर दशांग लेप लगाना फायदेमंद होता है.

4 .सिर पर चंदन का तेल लगावें और 4-5 बूंद नाक में भी डालें.

5 .केसर 50ml एक चम्मच को गाय के घी में पीसकर नाक में डालें.

6 .सिर पर त्रिफला हिम की धारा डाली जाए और श्रीखंड चूर्ण 1 ग्राम, जहरमोहरा पिष्टी 200 mg, गोदंती भस्म 1 ग्राम, सूतशेखर रस दो- दो बटी सुबह-शाम दूध से या घी के साथ खिलाएं और सरस्वती वटी दो-दो गोली, शिरःशूलादि बज्र बटी दो-दो गोली, सारिवादि हिम या धमासा और धनिया हिम से या पथ्यादि क्वाथ से दिन में 3-4 बार सेवन करें.

7 .च्यवनप्राश भी ट्यूमर वालों को सेवन करना हितकर होता है.

नोट- ब्रेन ट्यूमर का इलाज दो तरह से किया जाता है रेडियो थेरेपी या ऑपरेशन द्वारा. इसलिए आपको उपर्युक्त लक्षण मिलने पर डॉक्टरी सलाह जरूर लेनी चाहिए. देर करना घातक हो सकता है.

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I am an Ayurveda doctor and treat diseases like paralysis, sciatica, arthritis, bloody and profuse piles, skin diseases, secretory diseases etc. by herbs (Ayurveda) juices, ashes.

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