रोग परिचय- सिरदर्द होना एक आम समस्या है जो किसी को भी हो सकता है. हालांकि सिर दर्द कोई रोग नहीं है बल्कि दूसरे रोगों का लक्षण मात्र होता है.
सिर दर्द होने के कारण-
विष्टम्भ, कब्ज, सर्दी, जुकाम, बुखार, मासिकधर्म दोष, गर्भाशय के रोग, उष्णता, चिंता, भय, क्रोध से रक्त कम होने से दुर्बलता आदि के कारण सिर के रोग होते हैं.

आयुर्वेद के अनुसार सिर दर्द 10 प्रकार के होते हैं-
वात, पित्त, कफ, त्रिदोषज, रक्तज, क्षयज, कृमिज, सूर्यावर्त, अर्धविभेदक, अनंतवात एवं शंखक.
1 .वातज शिरो रोग-
लक्षण- शरीर में अकारण अधिक दर्द हो,रात्रि में अधिक उल्टी या हल्लास हो, यह कभी ज्यादा कभी कम हो जाय. महीने में 3-4 बार हो और वर्षों तक चले यह वातज शिरोरोग के लक्षण हैं.
वातज शिरोरोग के आयुर्वेदिक उपचार-
- सिर को बाँधने, अमृतांजन लगाने या अजवायन का लेप करने से राहत मिलती है.
- कायफल चूर्ण या श्वासकुठार रस सूंघने से सिर दर्द से राहत मिलती है.
- सरस्वती बटी या शिरः शूलादि वज्र बटी और बिषतिन्दुक बटी 2-2 बटी सुबह- शाम कुछ दिनों तक सेवन करने से वातज सिर दर्द दूर हो जाता है.
2.3 .पितज और रक्तज सिर दर्द-
लक्षण- सिर बहुत ही गरम हो, नाक, आँख से गरम धुंआ निकलने जैसा प्रतीत हो, रात को दर्द कम हो जाये, ठंढे पदार्थों से आराम मिले,गला सूखे, प्यास लगे, सिर पर हाथ या कपड़ा सहन न हो तो सिर में रक्त बढ़ जाने के कारण रक्तज सिर दर्द जानें.
उपचार-
- सिर पर चन्दन का लेप या चावल को गुलाब जल में पीसकर लेप लगाने से राहत मिलता है. मेहंदी के पत्तों का लेप लगाना फायदेमंद होता है.
- श्रीखंड चूर्ण 1 ग्राम,गोदंती भस्म 1 ग्राम,जहरमोहरा पिष्टी 4 गूंज मिलाकर पानी के साथ सेवन करें और सरस्वती बटी 2-2 और शिरःशूलादि वज्र बटी 2-2 ठंढे पानी या निम्बू के शरबत या चन्दन के शरबत के साथ सेवन करें.
- आलू बुखारा 100 ग्राम पानी में भिगोकर मसलकर छानकर पिएं.
- धनिया को पानी में भिगोकर रातभर के लिए छोड़ दें, सुबह मसलकर छानकर पिने से सिर दर्द से राहत मिलता है.
- लौकी के बीजों का तेल या खसखस का तेल 2-2 बूंद नाक में डालने से पितज सिर दर्द से आराम मिलता है.
- सिर पर ब्राम्हीतेल की मालिस करें.
ये राज पता हो तो हर कोई पा सकता है सुंदर, गोरा और निखरी त्वचा
श्वेत प्रदर ( ल्यूकोरिया ) होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
4 .कफज सिर दर्द-
लक्षण-सिर भारी हो, हल्का दर्द हो,यह दर्द बहुत दिनों तक चलता है,सिर में कफ भरा हो और सिर में ठंढा लगे, आँखों के निचे सूजन हो.
उपचार-
- एक पैन में पानी को आंच पर चढ़ा दें अब जब पानी उबलने लगे तो 10-12 बूंद अमृतधारा डालकर भाप लेने से राहत मिलता है
- अजवाइन का पाउडर सिर में डालकर कपड़ा बांधकर रखने से कफज सिर दर्द से राहत मिलता है.
- अजवाइन या हल्दी का लेप ललाट पर लगाने से सिर दर्द से राहत मिलता है.
- कायफल का चूर्ण सूंघने से किसी भी प्रकार के सिर दर्द से राहत मिलता है.
- दालचीनी 1 ग्राम,बड़ी इलाईच 1 दाना को चाय में डालकर पिने से सिर दर्द से राहत मिलता है.
- सितोपलादि चूर्ण या तालिसादि चूर्ण या लवंगादि चूर्ण 2 ग्राम और श्रृंग भस्म 1/2 को मिलाकर सुबह- शाम सेवन करे और श्वास कुठार रस 2-2 गोली सुबह- शाम कुछ दिनों तक सेवन करने से कफज सिर दर्द दूर हो जाता है.
5 .क्षयज सिर दर्द-
अधिक दिमागी काम करने से, वीर्य या खून के कम होने से, वृद्धावस्था के कारन,चिंता और भय आदि से दर्द होता है.
लक्षण- दर्द बहुत तेज होता है.शुन्यता हो, भ्रम हो,थकावट, आँखों के सामने अँधेरा छा जाए.नींद बराबर नही आवे सिर में हल्का दर्द हमेशा बनी रहे तो यह क्षयज सिर दर्द है.
उपचार-
- स्वर्णब्राम्ही बटी या लक्ष्मी विलास रस या सूतशेखर बटी या सफामृत लौह 2 गोली सुबह- शाम और च्यवनप्राश या बसंतबहार रसायन 10 ग्राम सुबह- शाम दूध के साथ सेवन करें और सरस्वती बटी 2 गोली सुबह- शाम सेवें करें.
- ब्राम्हीघृत, स्वर्णबसंतमालती, बसंत कुसुमाकर रस आदि ताकतवर औषधि का सेवन करना उतम है.
- ब्राम्ही तेल या महालाक्षादि तेल या बादाम तेल से सिर की मालिस करने से सिर दर्द में राहत मिलता है.
- दूध, घी,मलाई,खसखस,का हलुआ,बादाम, जलेबी, गाजर, खजूर और फल आदि पौष्टिक चीजों का सेवन करें.
6 .कृमिज सिर दर्द-
सिर के आगे भाग में कफ दुष्ट और गन्दा होने से इसमें सूक्ष्म कीड़ा पैदा हो जाते है तो सिर में सुई कोचने की भाति दर्द होती है.कीड़ों के काटने के कारण सिर बार- बार फड़कता है.नाक से रक्त और पीप सहित पानी निकले, कभी- कभी नाक से सूक्ष्म कीड़ा भी निकलते हैं.चलने और सिर हिलाने में नाक और माथे में सरसराहट होती है.
उपचार-
- हिंग 40 mg और कपूर 50mg को एक चम्मच तिल के तेल में मिलाकर नाक में 5-5 बूंद डालकर ऊपर की तरफ खीचें. या नीम का रस या रीठे का पानी नाक में डालें.
- या तीखा नस्य कायफलादि सूंघें इससे छींक आएगी, जिससे कृमि बाहर निकल जायेंगे.
- नाक में सरसों तेल या षडबिंदु तेल या अणु तेल रोजाना डालें.
- गोदंती भस्म 1 ग्राम, भाभीरंग चूर्ण 2 ग्राम को मिलाकर सुबह- शाम शहद के साथ सेवन करें.
- सरस्वती बटी या शिरःशूलादि वज्र बटी 2-2 पथ्यादि क्वाथ से सुबह- शाम सेवन करें.
छाती में जलन होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार
अग्निमांद्य रोग होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
7 .सूर्यावर्त सिर दर्द-
लक्षण- सूर्योदय के समय आँखों के ऊपर भवों में दर्द की शुरुआत हो और जैसे- जैसे दिन चढ़े दर्द बढती जाए और संध्या को सिर दर्द शांत हो. अक्सर यह दर्द आधे सिर में होता है.यह पित्तोत्पन्न त्रिदोषज कष्ट साध्य दर्द है.इसमें काफी दर्द होता है और बहुत दिनों तक चलती है.
7 .अर्धविभेदक शूल यानि आधा सीसी का दर्द-
केवल बलवान वायु या कफ सहित वायु सिर के आधे भाग को ग्रहण करके उस भाग में मान्या नाड़ी और कनपटी, कान, आँख,मस्तिष्कमें बहुत दर्द उत्पन्न करता है.असाध्य दर्द होती है.रोग के अत्यंत बढ़ने से और अधिक दिन चलने से नेत्र और कानों की शक्ति ख़त्म कर देता है.इसलिए इसे त्रिदोषज कहा गया है.
8.9 .अनंत वात सिर दर्द एवं त्रिदोषज
तीनों दोष ( वात, पीत, कफ )कुपित होकर गले के पश्चात् भाग और मान्या नाड़ी में बहुत तेज दर्द उत्पन्न करते हैं.सिर के पीछे भाग में दर्द और खिंचाव होता है तथा भ्रू और कनपटियों में भी दर्द होता है.इससे हनुग्रह तथा आँखों के रोग हो सकते हैं.
उपचार-
सूर्यावर्त,अर्ध विभेदक और अनंत वात दर्द का उपचार निम्न है.
- चन्द्रकला रस 1/2 ग्राम,गोदंती भस्म 1 ग्राम,श्रीखंड चूर्ण 1 ग्राम सुबह- शाम दूध से लें.और ब्राम्हीघृत या अश्वगंधा घृत 10-10 ग्राम सुबह- शाम सेवन करें.
- सरस्वती बटी और शिरःशूलादि वज्र बटी 2-2 बटी दिन में 2-3 बार सेवन करें.
- लक्ष्मीविलास बाटी, सूतशेखर रस,स्वर्णबसंत मालती, जहर मोहरा पिष्टी, प्रवाल पिष्टी आदि भी इस रोग में सेवन करना लाभदायक है.
- नाक में घी का नस्य या षडबिंदु तेल डालें.
- सिर पर महा लाक्षादि तेल या ब्राम्ही तेल की मालिस करें.
- घी, दूध, मलाई, फल आदि पौष्टिक चीजों का सेवन करें.
10 .शंखक सिर दर्द ( brain tumor )
कुपित पीत, वायु और दुष्ट रक्त कनपटियों में घुसकर तीब्र दर्द, डाह और लाल रंग का दारुण सूजन उत्पन्न करते हैं.यह सूजन बिष के समान वेगवान होता है और बहुत जल्दी सिर और गला अवरुद्ध हो जाता है.तृष्णा, मूर्च्छा और बुखार होता है.यह शंखक रोग 3 दिन में ही रोगी का जान ले सकता है.जल्दी और योग्य उपचार करने पर रोगी बच सकता है.
उपचार-
- रोगी को अँधेरे और ठंढे वातावरण वाले कमरे में रखें जहाँ पूर्ण शांति हो.
- सिर पर बर्फ रखनी चाहिए.
- दशांग लेप लगावें.
- जोक से या सुई से बिष युक्त रक्त को निकालें.
- चन्दन का तेल लगावें और नाक में भी डालें या केशर 50 ml एक चम्मच गो घृत में पीसकर नाक में डालें.
- सिर पर तेल लगावें, शीतल जल या त्रिफला हिम की धारा डाली जाय और
- श्रीखंड चूर्ण 1 ग्राम,जहरमोहरा पिष्टी 4 गूंज, गोदंती भस्म 1 ग्राम,सूतशेखर रस 2-2 बाटी सुबह- शाम दूध से या घी से सेवन कराएँ.
- सरस्वती बटी, शिरःशूलादि वज्र बटी 2-2 बाटी सारिवादि हिम या धमासा और धनिया हिम से दिन में 3-4 बार सेवन कराएँ.
- च्यवनप्राश भी ट्यूमर को दूर करता है.
स्रोत- आयुर्वेद ज्ञान गंगा.
ये भी पढ़ें-
- कंपवात रोग क्या है? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
- वृक्क पथरी क्या है ? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
- प्रतिश्याय ( सर्दी ) क्यों हो जाती है ? जानें कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
- चेचक क्या है ? जाने कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
- आमाशय व्रण ( पेप्टिक अल्सर ) क्या है ? जाने कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय