Ayurved Gyan Sagar Health, Food & Beauty Tips In Hindi

  • Question & Answer
  • Beauty Tips
  • Food
  • Health Tips
  • आरिष्ट /आसव / क्वाथ
  • बटी / गुग्गुल / रस
  • चूर्ण
  • More
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Contact Us
    • DMCA

गर्भावस्था में कामला ( Jaundice ) होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

By : Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)In : Health TipsRead Time : 1 MinUpdated On April 1, 2022

हेल्थ डेस्क- कामला रोग में महिला का समस्त शरीर पीला हो जाता है. गर्भवती महिला की आंखें, शरीर एवं पेशाब पीला हो जाता है. मुंह का स्वाद कड़वा, नाड़ी क्षीण, आलस्य, सारे शरीर में खुजली, मंदाग्नि, जीभ पर मैली परत का जमना आदि लक्षण मिलते हैं.

गर्भावस्था में कामला ( Jaundice ) होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

कामला ( Jaundice ) रोग होने के कारण-

विषाणु संक्रमण जनित यकृत शोथ, संक्रमित व्यक्तियों द्वारा भोजन के दूषित होने के कारण एवं समजात सीरम कामला सूचीवेध सिरिंज के संदूषण, दूषित प्लाविका अथवा रक्ताधान के कारण होता है.

इसे भी पढ़ें-

श्वेत प्रदर रोग होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार

कामला गर्भावस्था में यकृत विकार तथा परिवर्तन क्रिया से पैदा होने वाला रोग है. इसमें यकृतवाहिनी संकीर्ण हो जाती है अथवा उसमे पथरी रुक जाती है जिससे स्रावित पीत अतडियों में न पहुंचकर सीधे खून में ही मिलने लगता है.

कामला ( Jaundice ) रोग के लक्षण-

इस रोग में अरुचि. उत्क्लेश, उल्टी, बुखार, खुजली, कामला आदि लक्षण मिलते हैं. कुछ महिलाओं को यकृत-जनित सन्यास हो जाता है. यह रोग गर्भावस्था में कभी-कभी भयानक रूप धारण कर लेता है. विशेषकर शाकाहारी एवं हिनपोषित गर्भवती महिलाओं में. गर्भवती के अति उल्टी एवं गर्भपात में क्लोस्ट्रीडियम बेलशियाई संक्रमण के कारण भी इस रोग की उत्पत्ति होती है.

कामला ( Jaundice ) में दिखने वाले सामान्य लक्षण-

आंखों का पीला पड़ना, त्वचा में पीलापन, गहरे रंग का पेशाब होना, खुजली, हल्के रंग का मल त्याग, कमजोरी, भूख की कमी, सिर दर्द, मतली एवं उल्टी, बुखार होना, लीवर के आसपास सूजन होना, पैर टखने और पंजों में सूजन होना.

गर्भावस्था में कामला ( Jaundice ) होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

कामला ( Jaundice ) का निदान-

कमला का कारण निर्धारण के लिए सिरम बिलुरुबिन, सिरम प्रोटीन, सिरम अल्कलाइन फॉस्फेट परीक्षण, सिरम एसजीओटी परीक्षण एवं पेशाब में पित्तवर्णक एवं पित्तलवण परीक्षण किया जाता है.

इसे भी पढ़ें-

योनि मार्ग में खुजली होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

गर्भावस्था में कामला ( Jaundice ) रोग का चिकित्सा सिद्धांत-

1 .महिला को पूर्ण रूप से आराम देना चाहिए.

2 .भोजन में कार्बोहाइड्रेट की पर्याप्त मात्रा में लेनी चाहिए. साथ ही प्रोटीन की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए. कामला की रोगिणी को वसायुक्त भोजन नहीं देना चाहिए.

3 .गंभीर प्राकगर्भाक्षेपक तथा अति उल्टी की रोगिनियों को कामला उत्पन्न होने पर प्रसव प्रेरण अथवा गर्भपात करा देना चाहिए.

गर्भावस्था में कामला ( Jaundice ) रोग का आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय-

1 .इस रोग में पीपली, अंगोठमूल, भैंस का दूध एवं दही सब मिलाकर सेवन कराने से लाभ होता है.

2 .औषधि चिकित्सा में नवायस लौह 120 मिलीग्राम शहद के साथ मिलाकर चटाना चाहिए. साथ ही द्राक्षासव 10से 20 मिलीलीटर दुगना ताजा जल मिलाकर खाना खाने के बाद दिन में दो बार देना चाहिए.

3 .बसंत मालती रस 30 से 60 मिलीग्राम शहद के साथ सेवन कराएं. साथ ही लोहासव 10 से 20 मिलीलीटर उतना ही मात्रा में पानी मिलाकर खाना खाने के बाद दिन में दो बार देना चाहिए.

4 .मंडूर भस्म 120 से 480 मिलीग्राम तथा शिलाजीत 120 से 240 मिलीग्राम दोनों को मिलाकर शहद के साथ चटाएं. इससे कामला में अच्छा लाभ होता है.

5 .यदि कामला के साथ में सूजन भी हो तो दार्व्यादि लौह सेवन करावें. इस अवस्था में नवायस चूर्ण बहुत उपयोगी होता है.

6 .यदि कामला के साथ बुखार और अतिसार एवं सूजन के लक्षण अधिक हो तो पंचामृत पर्पटी अथवा स्वर्ण पर्पटी का सेवन कराना अधिक लाभदायक होता है.

7 .काली द्राक्ष, सनमकाई, हरड़ छाल गुलाब फूल, अमलतास की गिरी, सफेद जीरा, सौंफ, अनारदाना 10-10 ग्राम लेकर इसे 3 भाग में कर लें. अब एक कप पानी में एक भाग को रात में भिगोकर रखें और सुबह छानकर रोगी को पिलाएं और उस बचे हुए भाग को एक कप पानी डालकर भिगोकर रखें और शाम को छानकर पिलाएं. इस तरह 3 दिन पीने से पेशाब साफ होगा और कामला कम होना शुरू हो जाएगा.

8 .पुनर्नवा मंडूर या नवायस लौह 4-4 गूंज और कामलेषू चूर्ण 2-2 ग्राम सुबह-शाम पानी या दूध के साथ सेवन कराएँ और आरोग्यवर्धिनी वटी 3-3 गोली 12:00 और 4:00 बजे पानी के साथ सेवन कराएं.

9 .शुद्ध फिटकरी 1 ग्राम दही या छाछ में मिलाकर सुबह-शाम पीने से कामला में अच्छा लाभ होता है.

10 .एक नागर बेल ( देवदानी फल ) लेकर 20 मिलीलीटर पानी में अच्छी तरह से पीसकर कपड़े से छान लें. अब इसे रोगी की नाक में दोनों बाजू में डालकर रोगी को बैठा दें. नाक को हाथ न लगाने दें. इससे 1 से 2 घंटे में पीला पानी नाक से बाहर निकलेगा और कामला में तुरंत आराम मिलेगा.

इसे भी पढ़ें-

  • महिला में बांझपन होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
  • गर्भ में लिंग का निर्माण कैसे होता है ? कैसे जाने लड़का है या लड़की ?

11 .यदि कमजोरी अधिक हो गई हो तो धात्री रसायन 10- 10 ग्राम या वसंत मालती 2-2 बटी सुबह-शाम दूध के साथ रोगी को सेवन कराएं.

12 .एरंड पत्ती का रस दो- दो चम्मच सुबह -शाम सेवन कराएं इससे कामला में अच्छा लाभ होता है.

13 .इस रोग में इस बात का ध्यान रखें कि मल मूत्र ठीक प्रकार से होना चाहिए. इससे बुखार आदि शीघ्र दूर होते हैं.

14 .दिन में दो-तीन बार मेथी की चाय पीने से कामला को ठीक करने में मदद मिलती है.

15 .सुबह खाली पेट एक चुटकी नमक और काली मिर्च के साथ एक गिलास टमाटर का जूस पीने से यह कामला का इलाज करने के लिए काफी प्रभावी होता है.

गर्भावस्था के दौरान कामला ( Jaundice ) होने से कैसे रोके-

करें स्वस्थ आहार का सेवन-

आपको केवल अनुशंसित मात्रा में ही डेयरीखाद्य पदार्थ और मांस जैसे वसा युक्त चीजों का सेवन करना चाहिए. क्योंकि इसका ज्यादा मात्रा में सेवन करने से आपके लीवर को प्रभावित करता है.

वजन को नियंत्रित रखें-

हेल्दी वजन बनाए रखें और खून में कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करें.

नियमित टीकाकरण-

टीकाकरण की मदद से ( कामला ) हैपेटाइटिस को रोका जा सकता है. आपके डॉक्टर इसके बारे में आपको सलाह दे सकते हैं.

दवाओं का करें सीमित मात्रा में सेवन-

वैसी दवाओं का सेवन करने से बचे जो लीवर के लिए टॉक्सिक हो सकता है. गर्भावस्था के दौरान किसी भी दवाओं का सेवन करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए. क्योंकि यह आपके बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं.

यात्रा करते समय रहें सतर्क-

आप उन जगहों पर जाने से बचे जहां मलेरिया जैसी बीमारी होने का खतरा हो. मलेरिया परजीवी रेड ब्लड सेल्स को नष्ट कर देते हैं जिसके कारण आपको कमला की समस्या हो सकती है.

इसे भी पढ़ें-

  • गर्भवती महिलाओं में कब्जियत, अतिसार एवं पेचिस होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
  • गर्भावस्था में भगकंडू ( खुजली ) एवं योनिस्राव होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
  • गर्भावस्था में अभक्ष्य ( मिट्टी आदि ) पदार्थ खाने की आदत छुड़ाने के आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
  • अस्थिमृदुता रोग क्या है ? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
  • जानिए गर्भावस्था में उल्टी होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

नियमित जांच कराएं-

गर्भावस्था के दौरान आपको नियमित जांच के लिए जाना चाहिए जैसे ही आप कामला के लक्षणों को देखें तो तुरंत इसका इलाज करवाने के लिए डॉक्टर के पास जाएं. ताकि इसे जल्दी से ठीक किया जा सके. गर्भावस्था के दौरान होने वाले कामला आसानी से ठीक किया जा सकता है अगर इसका सही समय पर निदान किया जाए तो.

कामला में पथ्य अपथ्य- रोगी को पूर्ण विश्राम कराएं. धूप में नहीं जाने दें. आग से दूर रखें. तेल- घी खाना वर्जित है. लघु भोजन करें तथा नींबू, दही, गन्ने का रस, अंगूर, अनार, नारंगी, मीठा, मूली, गाजर, लहसुन और दूध आदि उत्तम है. शराब उष्ण पदार्थ, तीक्ष्ण पदार्थ और खारे पदार्थ सेवन ना करने दें.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.

शेयर
  • Facebook
  • Twitter
  • Pin It
  • Email
  • LinkedIn
  • WhatsApp

Read Also

  • उन्माद ( पागलपन ) होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपाय

    उन्माद ( पागलपन ) होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपाय

  • ब्रेन ट्यूमर होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार

    ब्रेन ट्यूमर होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार

  • तेजी से घटने लगेगी पेट की चर्बी, अगर अपनाएंगे ये कारगर उपाय

    तेजी से घटने लगेगी पेट की चर्बी, अगर अपनाएंगे ये कारगर उपाय

-: Note :-

The information given on this website is based on my own experience and Ayurveda. Take the advice of a qualified doctor (Vaidya) before any use. This information is not intended to be a substitute for any therapy, diagnosis or treatment, as appropriate therapy according to the patient's condition may lead to recovery. The author will not be responsible for any damage caused by improper use. , Thank you !!

Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)

मैं आयुर्वेद चिकित्सक हूँ और जड़ी-बूटियों (आयुर्वेद) रस, भस्मों द्वारा लकवा, सायटिका, गठिया, खूनी एवं वादी बवासीर, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि रोगों का इलाज करता हूँ।

Reader Interactions

Comments ( 0 )

See Comments»

Leave a Reply 😃 Cancel reply

Primary Sidebar

Recent Posts

  • What are the health benefits of black grapes ?
  • Why is it important to walk everyday? know the benefits
  • What is the benefit of our body by walking ?
  • How many steps per day should you take according to your age? Know 10 benefits of walking
  • What is the difference between Type-1 and Type-2 diabetes? Know the symptoms and treatment

Categories

  • ASTROLOGY
  • Beauty Tips
  • Food
  • Health Tips
  • OTHER
  • Question & Answer
  • Uncategorized
  • आरिष्ट /आसव / क्वाथ
  • चूर्ण
  • बटी / गुग्गुल / रस
  • भस्म




Footer

Copyright © 2023 · -Ayurvedgyansagar.com