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गर्भावस्था में भगकंडू ( खुजली ) एवं योनिस्राव होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

By : Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)In : Health TipsRead Time : 1 MinUpdated On March 31, 2022

हेल्थ डेस्क- गर्भावस्था के दौरान महिलाओं तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है जिनमें मॉर्निंग सिकनेस, सिर दर्द, मूड स्विंग्स और थकान ये सभी गर्भावस्थाा के कुछ सामान्य लक्षण होते हैं. ज्यादातर महिलाओं को इस तरह के लक्षण प्रभावित करते हैं. लेकिन कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान भगकंडू यानी योनि में खुजली होना और योनिस्राव जैसी समस्याओंं का सामना हो जाताा है. ऐसे में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गर्भावस्थाा के दौरान योनि में खुजली एवं योनि स्राव कई कारणों से हो सकती है जिसका पता लगाकर  इलाज किया जाता है.

गर्भावस्था में भगकंडू ( खुजली ) एवं योनिस्राव होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

गर्भकाल के अंतिम भाग में कभी-कभी गर्भवती महिला को भगकंडू एवं योनि स्राव के कारण काफी कष्टों का सामना करना पड़ता है. यह एक स्वतंत्र रोग नहीं है बल्कि योनि संबंधित कई रोगों का लक्षण है. इसे अंग्रेजी में Pruritis of vulva and vaginal discharge कहते हैं. इस रोग में खुजली भगयोनि के चारों तरफ तक ही सीमित नहीं रहती है बल्कि योनि के ओष्ठों से लेकर गर्भाशय ग्रीवा तक एवं योनि के आसपास का वह भाग जहां बालों का उद्गम होता है वहां तक यह रोग फैल जाता है.

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गर्भावस्था में भगकंडू एवं योनि स्राव होने के कारण क्या कारण है?

योनि प्रडाह, योनि को साफ ना रखना, मूत्र नली का प्रडाह, श्लेष्मिकझिल्ली का प्रदाह आदि कारणों से इस रोग की उत्पत्ति होती है. लगभग 40% गर्भवती महिलाओं को श्वेत प्रदर एवं भगकंडू योनि के मोनालिया संक्रमण के कारण होता है. 25% गर्भवती महिलाओं में ट्राईकोमोनाज योनिशोथ के कारण होता है. अन्य 15% गर्भवती महिलाओं में दोनों ही संक्रमण मोनालिया एवं ट्राईकोमोनाज मौजूद रहते हैं. चयापचयी कारण इस रोग को उत्पन्न करते हैं. जैसे- शर्करामेह, खून की कमी होना, विटामिन ए एवं राइबोफ्लेविन की कमी एवं स्थूलता ( मोटापा ) इत्यादि. गुद जनित परजीवी संक्रमण जैसे सूत्र क्रीमी- इनके योनि में चले जाने से भी इस रोग की उत्पत्ति होती है. इस रोग को पैदा करने वाले कामला एवं त्वचा रोग भी हैं. कुछ अज्ञात हेतु कारणों से भी इस रोग की उत्पत्ति होती है.

गर्भावस्था में भगकंडू ( खुजली ) एवं योनिस्राव होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

भगकंडू एवं योनि स्राव के लक्षण क्या है ?

प्रारंभ में हल्की सी खुजलाहट रहती है और धीरे-धीरे खुजली इतनी ज्यादा हो जाती है कि महिला को अति कष्ट होने लगता है और वह सहने में असमर्थ हो जाती है. यहां तक कि खुजलाते- खुजलाते स्थान कट- फत तक जाता है. खुजलाहट के कारण महिला को नींद भी नहीं आती है. मोनालिया संक्रमण में गाढ़े दही के समान श्वेत योनि स्राव होता है. योनि लोहित वर्ण की हो जाती है.

भगकंडू एवं योनि स्राव की आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय-

1 .योनि एवं उसके आसपास के भाग की साफ- सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

2 .मोनीलियल संक्रमण में योनि एवं भग पर प्रतिदिन 1-2 प्रतिशत का जेंशियन वॉयलेट के जलीय घोल का लेप लगाना चाहिए.

3 .गिलोय, आंवला, हरड़ और जमालगोटा बराबर मात्रा में लेकर क्वाथ बनाकर इस क्वाथ की धार से योनि की सफाई करनी चाहिए. इससे खुजली जल्द ही दूर हो जाती है.

4 .सूखी मेहंदी, गाचनी, लाल चंदन, 3-3 ग्राम पीसकर बींहदाने के गाढ़े लेप वाले पानी में मिलाकर ठंडा लेप लगाने से राहत मिलती है.

5 .यदि योनि में दाह एवं जलन होती है तो आंवले के रस में चीनी मिलाकर प्रतिदिन पीना चाहिए. इस योग के प्रयोग से खुजली में अच्छा लाभ होता है.

6 .सुहागा, कपूर तथा अहिफेन- प्रत्येक को 120 मिलीग्राम की मात्रा में लेकर थोड़े से गुलाब जल में पीसकर छानकर रख लें. इसके बाद मुलायम कपडे ( सूती ) का टुकड़ा इसमें भिगोकर योनि में लगावें. आप रुई का भी प्रयोग कर सकती है.

7 .चौकिया सुहागा गर्म जल में घोलकर योनि को धोने लाभ होता है. इससे खुजली एवं स्राव से राहत मिलती है.

8 .शुद्ध सुहागा, पाँचों नमक, वंशलोचन, शिलाजीत, नागर मोथा, चित्रक, पद्माख, नीलोफर, जीवंती, मुलेठी, मुनक्का, गिलोय, सफेद चंदन, लाल चंदन सभी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें. अब इस चूर्ण में से 3 से 6 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से योनिकंडू एवं योनि स्राव का निवारण हो जाता है.

9 .एक गिलास पानी में भीमसेनी कपूर मिलाकर योनि मार्ग में लगाने से खुजली दूर होती है.

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10 .केले के गूदे में आंवले का रस और मिश्री मिलाकर खाने से योनि की खुजली ठीक हो जाती है.

11 .योनि में खुजली होने पर तुलसी के रस का लेप लगाएं.

12 .अगर स्राव के कारण खुजली हो तो सुबह- शाम 5- 5 ग्राम आंवले का चूर्ण शक्कर के साथ सेवन करने से आराम मिलता है.

13 .गूलर की ताजी पत्तियां 50 ग्राम लेकर आधा लीटर पानी में उबालें. आधा रह जाने पर उतारकर इसमें 30 ग्राम पिसा हुआ सुहागा मिला लें. इसके बाद गुनगुने पानी में मिलाकर पिचकारी द्वारा योनि प्रक्षालन करें.

14 .200 ग्राम गेहूं को रात को पानी में भिगो दें. सुबह इसे पीसकर शुद्ध घी में इसका हलवा बनाकर दिन में दो-तीन बार खाने से आराम मिलेगा.

16 .योनि की खुजली के कारण अगर योनि में दर्द और सूजन हो या घाव हो गया हो तो एरंड तेल को रूई के फाहे में भिगोकर योनि के अंदर रखें. 1 सप्ताह तक इसके नियमित प्रयोग करने से आराम मिलेगा.

17 .नीम की पत्ती, त्रिफला, गिलोय, मुलेठी और शरपुंखा सभी को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर रख लें. अब इसमें से 10 ग्राम को 500 ग्राम पानी में उबालें. जब पानी आधा रह जाए तो उतारकर छान लें. इस पानी से दिन में दो- तीन बार नियमित रूप से योनि को धोएं. यह अचूक नुस्खा है.

18 .योनि संक्रमण में दूध, दही का सेवन लाभदायक होता है. इस रोग में दही का अधिक से अधिक सेवन करें. थोड़ी सी दही योनि के आसपास लगाने से भी लाभ होता है.

19 .संक्रमण के कारण अगर योनि में सूजन आ गई हो या जलन हो रही हो तो नारियल का तेल योनि में लगाएं इससे जलन से राहत मिलेगी.

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नोट- यह लेख शैक्षणिक उदेश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.

Hashtag: bhagkandu hone ke karan yoni me khujli गर्भावस्था में भगकंडू ( खुजली ) एवं योनिस्राव होने के कारण गर्भावस्था में भगकंडू एवं योनि स्राव होने के कारण क्या कारण है? भगकंडू एवं योनि स्राव की आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय- भगकंडू एवं योनि स्राव के लक्षण क्या है ? लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

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-: Note :-

The information given on this website is based on my own experience and Ayurveda. Take the advice of a qualified doctor (Vaidya) before any use. This information is not intended to be a substitute for any therapy, diagnosis or treatment, as appropriate therapy according to the patient's condition may lead to recovery. The author will not be responsible for any damage caused by improper use. , Thank you !!

Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)

मैं आयुर्वेद चिकित्सक हूँ और जड़ी-बूटियों (आयुर्वेद) रस, भस्मों द्वारा लकवा, सायटिका, गठिया, खूनी एवं वादी बवासीर, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि रोगों का इलाज करता हूँ।

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