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गर्भाशय में पानी और चर्बी जमा होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

By : Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)In : Health TipsRead Time : 1 MinUpdated On April 20, 2022

हेल्थ टिप्स- इस रोग में गर्भाशय के अंदर स्राव जमा हो जाता है जिससे पेडू के ऊपर उभार महसूस होने लगता है. तरल पदार्थ के पर्याप्त मात्रा में जमा होने से महिला का पेट एवं पेडू वाला भाग जलोदर के रोगी की तरह बढ़ जाता है.

गर्भाशय में पानी और चर्बी जमा होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

गर्भाशय में पानी जमा होने के कारण-

विद्वानों का कहना है कि यह रोग मासिक धर्म के बंद हो जाने से शरीर में श्लेष्मा की अधिकता से यकृत विकार के कारण गर्भाशय तथा वृक्क की दुर्बलता के कारण होता है.

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गर्भाशय में पानी जमा होने के लक्षण-

गर्भाशय में पानी जमा होने पर महिला के पेट पर उभार हो जाता है. पेट के अंदर पानी की लहरें प्रतीत होती है. महिला दिनोंदिन कमजोर होती जाती है. उसके पेट में गैस बनने लगता है. उसकी क्षुधा नष्ट हो जाती है. सांस लेने में परेशानी होने लगता है. मासिक धर्म का आना बंद हो जाता है. इस रोग में पेट का बढ़ना पेडू के स्थान से शुरू होता है. महिला को मूत्र अधिक मात्रा में आता है.

रोग का निदान-

उपर्युक्त लक्षणों से इस रोग की पहचान आसानी से की जा सकती है.

इस रोग के लक्षण गर्भ एवं जलोदर से मिलते- जुलते हैं इसलिए इन रोगों से इनका अंतर करके देखना चाहिए.

इस रोग में गर्भ का संदेह होने पर पर्याप्त समय व्यतीत होने पर भी गर्भाशय में बच्चे की गति प्रतीत नहीं होती और न ही स्तनों में कोई परिवर्तन होता है. महिला को चलने- फिरने में गर्भाशय में पानी हिलता हुआ महसूस होता है.

जलोदर में पेट, यकृत एवं नाभि के आसपास वाला भाग बढ़ता है जबकि इस रोग में पेट पेडू के स्थान से बढ़ता है. साथ ही इस रोग में जलोदर की अपेक्षा पेशाब अधिक मात्रा में आता है. इसके अतिरिक्त जलोदर की भांति पेट पानी की झलक प्रतीत नहीं होती है.

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गर्भाशय में पानी भर जाने पर आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय-

1 .आयुर्वेद में इस रोग की चिकित्सा आधुनिक चिकित्सा की भांति पुनर्नवा औषधि बूटी से ही की जाती है. महिला को पुनर्नवा का रस सेवन कराया जाता है. पुनर्नवा मंडूर का सेवन करना भी लाभकारी होता है.

2 .इस रोग में पंचामृत लौहमंडूर का सेवन लाभदायक होता है.

3 .उपर्युक्त चिकित्सा के साथ-साथ पेडू पर निम्न लेप करना लाभदायक होता है.

बकरी की मेंगनी की राख, अंगूर की लकड़ी की राख 12-12 ग्राम, आंवलासार गंधक 6 ग्राम, उपलों की राख 12 ग्राम पानी में पीसकर 2 ग्राम विशुद्ध सिरका मिलाकर गर्म करके पेडू पर लेप करना चाहिए.

4 .महिला को वायु कारक, गरिष्ट आहार से परहेज रखें. पेय पदार्थों का सेवन कम से कम कराएं.

गर्भाशय पर चर्बी आने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

रक्तगत चर्बी की अधिकता के कारण वसा के अंश गर्भाशय रचना में जमा होने लगते हैं. जिससे गर्भाशय काफी मोटा और बड़ा हो जाता है. उसका भार भी सामान्य से अधिक भारी हो जाता है.

गर्भाशय पर चर्बी आने के कारण-

जो महिला विलासिता पूर्ण जीवन व्यतीत करती है साथ ही कामकाज से दूर रहकर अधिक मात्रा में घी, दूध, मक्खन और मलाई का अधिक सेवन करती है उनके शरीर के प्रत्येक भाग में चर्बी की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है. गर्भाशय के दुर्बल होने पर गर्भाशय में प्रसारित चर्बी घुल नहीं पाती है और वह उसी रूप में जमा होकर गर्भाशय को अधिक मोटा बना देती है. इसके अतिरिक्त थायराइड ग्लैंड में दोष आने से भी चर्बी का अत्यधिक मात्रा में जमा होने लगता है.

गर्भाशय पर चर्बी जमा होने के लक्षण-

गर्भाशय पर चर्बी जमा होने के कारण महिला को मासिक धर्म का आना प्रायः बंद हो जाता है. जबकि वह बाहर से मोटी, ताजी तथा भली- चंगी मालूम होती है. कुछ केसों में महिला के दुर्बल होने पर भी उसके गर्भाशय पर चर्बी जमा रहती है. महिला के चर्बीयुक्त गर्भाशय की दिवालें अत्यधिक मोटी होने के कारण उसके अंदर की कैविटी कम हो जाती है, जिससे गर्भ रहने पर गर्भपात हो जाता है. ऐसे तो ऐसी अवस्था में जल्दी गर्भ ठहरता ही नहीं है.

गर्भाशय पर जमा चर्बी दूर करने के आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय-

1 .गर्भाशय पर चर्बी जमा होने की मुख्य कारणों को सबसे पहले दूर करें.

2 .महिला को पानी में शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट सेवन कराना चाहिए.

3 .यदि गर्भाशय पर चर्बी जमा हो गई हो तो घी, दूध, मक्खन का सेवन बिलकुल बंद कर देना चाहिए. उसे भोजन में चने की रोटी दें. पर्याप्त मात्रा में व्यायाम एवं परिश्रम करने का निर्देश देना चाहिए.

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4 .यदि थायराइड के कारण गर्भाशय पर चर्बी जमा हुआ हो तो अमृतादि गूगल दो-दो गोली सुबह- शाम एवं रात को सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन गुनगुने पानी के साथ करना चाहिए.

5 .महिला को हमेशा गरम पानी पीना लाभदायक होता है.

6 .महिला को अशोकारिष्ट 20-20 मिलीलीटर सुबह-शाम उतना ही पानी मिलाकर पीना चाहिए. इससे गर्भाशय के समस्त विकार दूर होकर धीरे-धीरे चर्बी खत्म होने लगती है.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.

Hashtag: गर्भाशय के रोग गर्भाशय पर चर्बी होना गर्भाशय में पानी होना

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-: Note :-

The information given on this website is based on my own experience and Ayurveda. Take the advice of a qualified doctor (Vaidya) before any use. This information is not intended to be a substitute for any therapy, diagnosis or treatment, as appropriate therapy according to the patient's condition may lead to recovery. The author will not be responsible for any damage caused by improper use. , Thank you !!

Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)

मैं आयुर्वेद चिकित्सक हूँ और जड़ी-बूटियों (आयुर्वेद) रस, भस्मों द्वारा लकवा, सायटिका, गठिया, खूनी एवं वादी बवासीर, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि रोगों का इलाज करता हूँ।

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