हेल्थ डेस्क– चिलचिलाती धूप और गर्मी में कुछ लोगों को नाक से खून बहने की समस्या होती है. जिसे नकसीर कहते हैं. गर्मी के दिनों में अक्सर नकसीर की समस्या होती है. हालांकि यह समस्या खुद ही दूर हो जाती है. लेकिन यह बार-बार होती रहे तो यह गंभीर चिकित्सा समस्या का संकेत है. गर्मी के दौरान आपकी नाक अत्यधिक शुष्क हो जा सकती है. नाक में कई रक्त वाहिकाएं होती है जो नाक के सामने और पीछे की सतह से करीब अवस्थित होती है. वह बहुत ही नाजुक होती है. सामान्य चोट, तेज छींक या अन्य कारणों से वह फट जाती है जिसके कारण नाक से खून निकलने लगता है. 3 और 10 वर्ष की आयु के बीच व्यस्क को और बच्चों में नाक से खून आना आम बात होती है.
इसके अलावा यदि किसी महिला को उम्र होने पर मासिक धर्म नहीं आए या फिर आकर अधिक दिनों तक रुका रह जाए तो ऐसी स्थिति में भी नाक से खून आने की समस्या हो सकती है ?
तो चलिए जानते हैं विस्तार से-
रोग परिचय- नकसीर, नाक से खून आना, रक्तपित, Epistaxis के नामों से जाना जाता है.

कारण- धूप या आग का अधिक सेवन, अधिक परिश्रम या व्यायाम करना, लवण और अम्ल पदार्थ सेवन करने से, शराब अधिक मात्रा में पीने से, क्रोध अधिक करने से पित्त कुपित होकर रक्त को दूषित करता है. जला देता है तब रक्त रंध्रों से बहता है उसे रक्तपित्त कहते हैं. इसके अलावे किसी महिला को अधिक दिनों तक मासिक धर्म रुक जाने से भी नाक से खून आने की समस्या हो सकती है.
यह दो प्रकार का होता है.
1 .ऊर्ध्वगामी- इसमें नाक, कान, आंख और मुख से रक्त बहता है.
2 .अधोगामी- इसमें गुदा, लिंग और योनि से रक्त बहता है.
रक्त अधिक मात्रा में निकलता है जब रोग अधिक बढ़ जाता है तो रोम कूपों से भी रुधिर बहता है या दोनों मार्गों से निकलने लगता है. प्रायः नाक से खून आता है. रक्त लाल या कालापन लिए लाल या पिच्छिल या पतला पीप युक्त आता है. रक्त प्रतिदिन आवे, दिन में दो- तीन बार आवे या कुछ दिनों के पश्चात आवे, इसका कोई भी नियमित समय नहीं है. उर्ध्व मार्ग से आने वाला रक्तपित साध्य है अधो मार्ग से आने वाला कष्ट साध्य है.
अन्य कारण- यकृत, प्लीहा, अमाशय, उरःक्षत, मांसार्बुद आदि के कारण भी रक्त मुख से आता है तथा प्रवाहिका, आंतरिक ज्वर, कैंसर और मासिक धर्म दोष के कारण भी अधो मार्ग से रक्त आता है. यह रक्त आना रक्त पित्त रोग से भिन्न है लेकिन इन रोगों में भी रक्त को बंद करने के लिए रक्तपित वाला चिकित्सा करने से रक्त बंद होगा और स्वास्थ्य लाभ होगा.
असाध्य रक्तपित- दोनों मार्गों से आने वाला और रोम कूपों से आकर व्याधि से शरीर क्षीण हो गया हो, वृद्ध हो, जब सबकुछ लाल दिखे, आंखें लाल हो, रक्त काला या अनेक रंग वाला या पीप युक्त हो, मुर्दे की सी गंध रक्त से आती हो तो असाध्य है.
उपद्रव- इसका सही समय पर इलाज नही होने के कारण जीर्ण ज्वर, क्षय, पांडू, अरुचि, तृष्णा, भ्रम, दुर्बलता रोग के साथ जुड़ जाते हैं.
रक्त पित्त का घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार-
1 .बहते हुए रक्त तुरंत बंद करने के लिए सिर पर ठंडा पानी डालें या बर्फ की थैली रखें.
2 .यदि नाक से खून आता हो तो शुद्ध फिटकरी या कपर्दक भस्म नाक में डालकर रुई से बंद कर दें या आम की गुठली पानी में भिगोकर पीसे छान कर उसका पानी नाक में डालें. इसका कुछ दिन प्रयोग करने से पुराना रक्तपित्त भी ठीक हो जाता है.
3 .अधोगामी रक्त हो तो पेडू के ऊपर वर्फ की थैली या गीली मिट्टी की पट्टी या चंदन का लेप करें. रोगी को ठंडी जगह में सुलाए और हवा करें तथा आम की गुठली का चूर्ण 1 ग्राम, गैरीकम आधा ग्राम और शंख जीरक भस्म आधा ग्राम पानी से दिन में तीन बार दें या दाड़िम पुष्प चूर्ण 2 ग्राम, प्रवाल पिष्टी या अकीक पिष्टी या कहरवा पिष्टी आधा ग्राम दिन में दो-तीन बार अंजबार शरबत या कुष्मांड शरबत या चंदन शरबत या दूध या पानी के साथ दें. या हरी दूब को पानी से ठंडाई के समान पीसकर छानकर पीना भी फायदेमंद होता है.
4 .श्रीखंड चूर्ण, शतपत्रादी चूर्ण, चंद्रकला रस, सुपारी पाक, कुष्मांडावलेह, धात्री रसायन, चंदनासव, उशीरासव आदि भी उत्तम योग है. शीतल, लघु और शीघ्र पाकी ( जल्दी पचने वाला ) पदार्थ, दूध, फल का सेवन करें.
5 .बैरोजा 200 mg और शुद्ध गुलाबी फिटकरी 200mg एक चम्मच चीनी में मिलाकर फकने से किसी भी मार्ग से आ रहे खून तुरंत बंद हो जाते हैं.
6 .अपामार्ग के पंचांग का कल्क चावल के धोवन अथवा दूध के साथ पीने से खून आना तुरंत बंद हो जाता है.
7 .अनार के फूलों को जमा करके उन्हें धूप में सुखा लें और पीसकर पाउडर बना लें. इस पाउडर को सूंघने से नकसीर ( नाक से खून ) आने की समस्या दूर होती है.
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