रोग परिचय- श्वसन संस्थान संबंधी रोगों में सबसे पहला लक्षण खांसी के रूप में मिलता है. यह कोई स्वतंत्र रोग नहीं है बल्कि यह दूसरे रोगों का लक्षण मात्र है. इसका समावेश ब्रोंकाइटिस के अंतर्गत किया जाता है.

खांसी आवाज करती हुई विस्फोटक निःश्वसन के रूप में होती है जो बंद कंठ द्वार के विरूद्ध निकलती है. इसका उद्देश्य श्वासप्रणाल तथा श्वसनवृक्ष से निःस्राव या फंसे हुए बाहरी पदार्थ को निकाल फेंकना है. यह स्वतः होने वाली प्रक्रिया के रूप में होती है.
खांसी होने के कारण-
- श्वासनलिकाओं में क्षोभ उत्पन्न करने वाले पदार्थ पहुंचने, क्षय रोग, कंठरोग, स्वर यंत्र शोध, न्यूमोनिया, ब्रोंकोनिमोनिया, ब्रोंकाइटिस, दम्मा, हिस्टीरिया, कंठ में बाल आदि किसी वस्तु का चिपकना, खाते समय भोजन का कुछ अंश स्वर यंत्र में चले जाना आदि कारणों से होती है.
- सर्दी, खांसी एवं जिगर की खराबी आदि रोगों में भी खांसी उत्पन्न होती है.
- खांसी प्रायः गले और फेफड़ों के विकार से उत्पन्न होती है.
- गले में वागल शोथ.
- मौसम में बदलाव.
- श्वसन संस्थान में बही वस्तु की उपस्थिति इत्यादि कारणों से खांसी उत्पन्न होती है.
खांसी के लक्षण-
सामान्य रूप से खांसी 3 प्रकार की होती है-
- सूखी खांसी.
- तर खासी ( गिली खांसी ).
- दौरे के रूप में उठने वाली खांसी.
1 .सूखी खांसी- लापरवाही एवं गर्म चीजों के अत्यधिक प्रयोग से फेफड़े में कफ उत्पन्न होकर सूख जाता है. फेफड़े के दोनों स्तर कहीं-कहीं पर चिपक जाते हैं. सिर भारी हो जाता है तथा सिर में दर्द रहता है. इस प्रकार की खांसी में ठॉयथे- ठॉय की कर्कश आवाज होती है और सिर में टपकन जैसा दर्द होता है.
सूखी खांसी में बलगम नहीं आता है, यदि आता भी है तो बहुत अधिक खांसने पर थोड़ा सा बलगम निकलता है.
इस प्रकार की खांसी न्यूमोनिया, दम्मा, यक्ष्मा, ब्रोंकाइटिस तथा प्लूरिसी की प्रारंभिक अवस्था में होती है. इसमें रोगी की छाती जकड़ी हुई महसूस होती है. खांसी बार-बार होती है. सूखी खांसी में रोगी को बहुत कष्ट होता है.
साधारणतः ऐसी खांसी वायु मार्ग फेरिंग्स, स्वर यंत्र, श्वासप्रणाल या बड़ी श्वसनी में हुए क्षोभ के कारण होती है. इसमें बलगम नहीं निकलता है एवं बार-बार थोड़े समय के लिए खांसी आती रहती है. छाती, गले व सिर में दर्द रहता है. जैसे ड्राइप्लूरिसी में.
राजयक्ष्मा ( टीबी ) होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार
वृक्क ( किडनी ) में पथरी होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार
2 .तर खांसी- तर खांसी में बलगम आसानी से और अधिक मात्रा में निकलता है. सामान्यतः एक-दो दिन सूखी खांसी रहने के बाद श्वसन संस्थान का श्लेष्मीय आवरण उत्तेजित हो जाता है. जिसके फलस्वरूप श्लेष्मा (कफ ) प्रारंभ हो जाता है.
ऐसी खांसी के साथ बलगम निकलता है जो श्लेष्माभ,सपूय या शेष्मपूयी होता है.
इसमें खासी आने पर साथ में बलगम निकलता है. जैसे कि ब्रोंकिएक्टेसिस में. रोगी की छाती में दर्द नहीं होता लेकिन सिर भारी रहता है. बलगम निकलने से रोगी को आराम मिलने लगता है.
खांसी के विषय में इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
- खांसी सूखी है अथवा कफ के साथ.
- खांसी प्रवेगी है अथवा नहीं.
- खांसी का समय सुबह उठने पर अधिक आता है या रात में.
- खांसी का क्या ऋतु से संबंध है.
- खांसी के साथ क्या उल्टी भी होता है.
- खांसी के साथ क्या आवाज में परिवर्तन हुआ है.
सूखी खांसी सामान्य तौर पर तब आती है जब स्वरयंत्र, श्वासप्रणाल या श्वसनी की श्लेष्मकला में रक्तसंकुलता या रक्ताधिक्य हो जाता है और निःस्राव नहीं रहता जैसे कि श्वसन पथ के संक्रमण की प्रारंभिक अवस्था में या क्षोभक धूल या धुएं के अभिश्वसन के बाद होता है. कफ के साथ आने वाली खांसी में यह संकेत मिलता है कि श्वसन पथ में निःसरण हो रहा है जैसा कि चिरकारी श्वसनीशोथ, श्वसनी विस्फार और फुस्फुसिका गुहिका में होता है.
थोड़ी देर आने वाली खांसी सामान्य रूप से ऊपरी श्वसन पथ में संक्रमण के कारण होती है. जैसा की प्रतिश्याय में पाया जाता है. इसके अतिरिक्त ऐसी खांसी प्लूरिसी की वेदना में भी पाई जाती है क्योंकि श्वसन गति वेदना के कारण अवरोधित होती है, देर तक चलने वाली या आवेग के साथ आने वाली खांसी विशेषकर चिरकारी श्वसनी शोथ और कूकर खांसी में होती है. तर खांसी ब्रोंकाइटिस तथा तपेदिक का पूर्वाभास कराती है.
ये राज पता हो तो हर कोई पा सकता है सुंदर, गोरा और निखरी त्वचा
3 .दौरे के रूप में उठने वाली खांसी- इसका आक्रमण प्रायः रात के समय होता है. रोगी सोते-सोते जाग जाता है और पूरी तरह से खांसने लगता है. खांसते- खांसते उसका चेहरा लाल हो जाता है और संपूर्ण शरीर की मांसपेशियां तन जाती है. ऐसी खांसी 24 घंटे में 20 से 40 तक वेगपूर्वक आती है. इसमें हल्का बुखार भी हो सकता है. ऐसी खांसी प्रायः बच्चों में काली खांसी में मिलती है.
खांसी दूर करने की आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार-
सामान्य चिकित्सा-
- सबसे पहले रोग के मूल कारणों को दूर करें.
- रोगी को लग्जेक्टिव तथा स्वेद लाने वाली औषधियां दें.
- रोगी को पूर्ण विश्राम देकर पीने के लिए गर्म पानी दें.
- रोगी को गर्म जगह में रखकर उसे यथासंभव ठंड से बचाएं.
- खांसी से बचाव के लिए शाम से पहले औषधि जरूर दें.
- यदि बिना किसी स्पष्ट कारण के सुखी खांसी उठ रही है और रोगी धूम्रपान करता है तो इस बात की संभावना है कि उसे स्मोकर कफ है. ऐसी दशा में रोगी को धूम्रपान छोड़ने की सलाह देनी चाहिए. इससे प्रायः दो-तीन दिन में खांसी खुद ही ठीक हो जाती है.
- यदि खांसी के मूल कारणों को दूर करने पर भी खांसी ठीक नहीं हो रही है और रोगी को अत्यधिक कष्ट हो रही हो तब उसकी चिकित्सा करनी चाहिए.
खांसी दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय
- जातिफलादि चूर्ण 1 ग्राम, श्रृंग्यादि चूर्ण 1 ग्राम शहद के साथ सुबह- शाम दें और च्यवनप्राश और वासावलेह 5- 5 ग्राम और भागोतर बटी 2-2 और लोहासव या द्राक्षासव या दशमूलारिष्ट 20 मिलीलीटर पियें और कफ पानक 20 मिलीलीटर. उदक 20 मिलीलीटर 3 भाग कर के दिन में तीन बार पियें.
- मुलेठी 20 ग्राम, बड़ी इलायची के दाने 20 ग्राम और खड़ी शक्कर 40 ग्राम को पीसकर चूर्ण बनाकर रखें. जब खांसी का वेग आवे तब मुंह में डालकर चूसें, इससे खांसी से तुरंत राहत मिलेगी.
- सितोपलादि चूर्ण या लवंगादि चूर्ण मधु में मिलाकर रखें और खांसी का वेग आने के समय थोड़ा- थोड़ा चाटें. खांसी रुक जाएगी.
- लसोड़े की पत्ती तवे पर रखकर जलाकर पाउडर कर 1-2 ग्राम दिन में 3-4 बार शहद के साथ सेवन करें.
- अडूसा का रस 20 मिलीलीटर और शहद 20 मिलीलीटर मिलाकर पीना खांसी के लिए उत्तम है.
- यदि सूखी खांसी हो और कफ नहीं निकल रहा हो तो अंजीर 4 दाने, दालचीनी 10 ग्राम एक ग्लास पानी में पकाकर छानकर पीने से कफ शीघ्र निकलने लगता है और खांसी दूर हो जाती है.
- मुलेठी, सौंफ, हरड़ छाल, दालचीनी, बड़ी इलायची, पीपल, काली मिर्च और काली द्राक्ष बराबर मात्रा में 5- 5 ग्राम लेकर 250 मिलीलीटर पानी में उबालें आधा रहने पर छानकर दिन में दो बार मिश्री या मधु के साथ पिएं.
- 10-12 तुलसी के पत्ते, 5 गोल मिर्च और स्वादानुसार गुड़ को दो कप पानी में उबालें. जब पानी एक कप रह जाए तो आंच से उतारकर गुनगुना रहने पर पत्तियों को मसलकर छानकर पीएं. इससे सुखी एवं तर दोनों ही खांसी में लाभ होता है.
- कुलंजन के एक छोटे से टुकड़े को मुंह में लेकर चूसते रहने से खांसी का वेग रुक जाता है. तीन-चार दिन लगातार ऐसा करने से खांसी दूर हो जाती है.
- यशोंदा को काढ़ा बनाकर पीने से भी खांसी में अच्छा लाभ होता है. इसके लिए एक यशोंदा का पैकेट लें और एक गिलास पानी में डालकर उबालें. साथ ही स्वादानुसार गुड़ मिलाए. जब पानी आधा रह जाए तो दो हिस्सों में बांटकर सुबह- शाम पिएं. नियमित 3-4 दिन ऐसा करने से किसी भी तरह का खांसी ठीक हो जाता है.
नोट- कमरे में शुद्ध हवा अच्छी तरह आनी चाहिए, दूध, अंजीर, खजूर, फल आदि शक्ति वर्धक पदार्थ का सेवन रोगी को कराना चाहिए. खांसी हुए व्यक्ति को ठंडी वस्तु, छाछ, चावल, चिकने पदार्थ ठंडे पानी से स्नान, ठंडी हवा का सेवन, धूल, धुआं आदि से दूर रहना चाहिए.
इसे भी पढ़ें-
ayurvedgyansagar.com पर पढ़ें-
हिस्टीरिया रोग क्या है ? जाने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
जानें- बेहोशी होने के कारण, लक्षण और आपातकालीन उपचार
कमर दर्द ( कटि वेदना ) होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार
श्वसनीविस्फार ( ब्रोंकाइटिस ) होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार
कंपवात रोग क्या है? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
वृक्क पथरी क्या है ? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
प्रतिश्याय ( सर्दी ) क्यों हो जाती है ? जानें कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
चेचक क्या है ? जाने कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
आमाशय व्रण ( पेप्टिक अल्सर ) क्या है ? जाने कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
उन्डूकपुच्छशोथ ( Appendicitis ) क्या है? जानें कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
हैजा रोग क्या है ? जानें कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
सर्दियों में सिंघाड़ा खाने के फायदे
अफारा (Flatulence ) रोग क्या है ? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
जठर अत्यम्लता ( Hyperacidity ) क्या है ? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
हिचकी क्या है? जाने कारण, लक्षण एवं घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय
विटामिन डी क्या है ? यह हमारे शरीर के लिए क्यों जरूरी है ? जाने प्राप्त करने के बेहतर स्रोत
सेहत के लिए वरदान है नींबू, जाने फायदे
बच्चों को मिर्गी होने के कारण, लक्षण, उपचार एवं बचाव के तरीके
हींग क्या है ? जाने इसके फायदे और इस्तेमाल करने के तरीके
गठिया रोग संधिशोथ क्या है ? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
पुरुषों को नियमित करना चाहिए इन चीजों का सेवन, कभी नही होगी कमजोरी की समस्या
सोना, चांदी आदि धातु से बने गहने पहनने के क्या स्वास्थ्य लाभ होते हैं? जरुर जानिए
दूध- दही नहीं खाते हैं तो शरीर में कैल्शियम की पूर्ति के लिए करें इन चीजों का सेवन
स्पर्म काउंट बढ़ाने में इस दाल का पानी है काफी फायदेमंद, जानें अन्य घरेलू उपाय
एक नहीं कई बीमारियों का रामबाण दवा है आंवला, जानें इस्तेमाल करने की विधि
रात को सोने से पहले पी लें खजूर वाला दूध, फायदे जानकर हैरान रह जाएंगे
महिला व पुरुषों में प्रजनन क्षमता बढ़ाने के कारगर घरेलू उपाय
दिल और दिमाग के लिए काफी फायदेमंद है मसूर दाल, मोटापा को भी करता है नियंत्रित
कई जटिल बीमारियों का रामबाण इलाज है फिटकरी, जानें इस्तेमाल करने के तरीके
पेट में कृमि ( कीड़ा ) होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
पित्ताशय में पथरी होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
जानें- स्वास्थ्य रक्षा की सरल विधियां क्या है ?
सारस्वतारिष्ट बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
बाजीकरण चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
अश्वगंधादि चूर्ण बनाने की विधि उपयोग एवं फायदे
शतावर्यादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
शतपत्रादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
लवण भास्कर चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
अमृतारिष्ट बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
गंधक रसायन चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
महामंजिष्ठादि क्वाथ बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
योगराज और महायोगराज गुग्गुल बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
आयुर्वेद के अनुसार किस ऋतु में कौन सा पदार्थ खाना स्वास्थ्य के लिए हितकर होता है, जानें विस्तार से
ब्रेन ट्यूमर होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार
श्रीखंड चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
ब्राह्मी चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
बिल्वादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
तालीसादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
सितोपलादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
दाड़िमपुष्प चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग और फायदे
मुंहासे दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय
सफेद बालों को काला करने के आयुर्वेदिक उपाय
गंजे सिर पर बाल उगाने के आयुर्वेदिक उपाय
कर्पूरासव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
वासासव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
मृगमदासव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
द्राक्षासव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
अर्जुनारिष्ट बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
खदिरारिष्ट बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
चंदनासव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
महारास्नादि क्वाथ बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
रक्तगिल चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
नारसिंह चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
कामदेव चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
शकाकलादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
विदारीकंदादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
प्रद्रांतक चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
माजूफलादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
मुसल्यादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
सारिवादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
कंकोलादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
प्रवालादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
जातिफलादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
अद्रकासव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
लोहासव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे
औषधि प्रयोग के लिए पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए फल, फूल, छाल, पत्ते व जड़ी- बूटियां ?
दिल की धड़कन रोग क्या है ? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
अपतानिका ( Tetany ) रोग क्या है? जानें कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
शरीर की कमजोरी, थकान, खून की कमी दूर कर मर्दाना ताकत को बेहतर बढ़ाती है ये 12 चीजें