बच्चों को मिर्गी होने के कारण, लक्षण, उपचार एवं बचाव के तरीके

हेल्थ डेस्क- बच्चे हर माता-पिता के लिए प्यारे होते हैं और उनके जन्म के बाद उनकी देखरेख करना किसी चुनौती से कम नहीं होता है. हर पड़ाव पर बच्चे का साथ देना और उनको होने वाली परेशानियों का डटकर सामना करना सभी आदर्श माता-पिता ऐसा ही करते हैं. लेकिन बच्चों को कई बार कुछ ऐसी समस्याएं हो जाती है. जिससे मां-बाप खुद घबरा जाते है. कोई साधारण बीमारी जैसे- सर्दी, खांसी, बुखार हो तो कोई खास बात नहीं होती है लेकिन कई ऐसी बीमारियां हो जाती जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन्हीं बीमारियों में से एक है मिर्गी.

बच्चे में मिर्गी के दौरे को देखकर माता-पिता काफी परेशान हो जाते हैं. हालांकि ऐसे समय में घबराने की नहीं बल्कि सूझबूझ से काम लेने जरूरत है. आज के इस पोस्ट में हम मिर्गी होने के कारण, लक्षण और उपचार एवं बचाव के तरीके बताएंगे.

तो चलिए जानते हैं विस्तार से-

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मिर्गी क्या है ?

मिर्गी दिमाग से जुड़ी एक विकार है. इस विकार के कारण बच्चों को समय-समय पर दौरे पड़ते हैं. यह दौरे तब आते हैं जब दिमाग में अचानक विद्युत और रासायनिक गतिविधि में परिवर्तन होता है. यह बदलाव सिर पर चोट लगने, संक्रमण, किसी तरह की विषाक्तता और जन्म से पहले मस्तिष्क के से जुड़ी समस्याओं के कारण हो सकता है.

मिर्गी का दौरा किसी भी उम्र में आ सकता है लेकिन यह बच्चों और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह सबसे अधिक पाया जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दुनिया भर में बढ़ते मिर्गी के मामलों में एक चौथाई केस बच्चों से जुड़े हुए हैं.

बच्चों में मिर्गी होने के कारण क्या है ?

* सिर में चोट लगने की वजह से भी दौरे पड़ने लगते है.

* कुछ बच्चों को मिर्गी समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है. इन बच्चों के एक या इससे अधिक जींस इस समस्या का मुख्य कारण होते हैं. इनमें जींस किस तरह से मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं और किस तरह यह मिर्गी की वजह बनते इसका पता लगाना मुश्किल है.

* बच्चों को धीरे-धीरे बढ़ने वाली समस्याएं जैसे- एंगल मैन्स सिंड्रोम, न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस, डाउन सिंड्रोम और टुबेरौस स्क्लेरोसिस होने पर भी मिर्गी की संभावनाएं अधिक हो जाती है.

*इस तरह की स्थितियां जैसे तेज बुखार होना, ब्रेन ट्यूमर, संक्रमण आदि की वजह से मस्तिष्क को नुकसान होना.

* 3 से 10% मामलों में मस्तिष्क के आकार में बदलाव मिर्गी का कारण होता है. बच्चे के जन्म के समय इस तरह के बदलाव के साथ पैदा होती हैं उनको मिर्गी की समस्या हो सकती है.

* किसी तरह के जन्मजात बीमारियां, रसायन मिर्गी दौरा पड़ने की समस्या हो सकती है.

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बच्चों में मिर्गी के लक्षण क्या है ?

* अचानक मांस पेशियों में झटके आना.

* मांस पेशियों में मरोड़ होना.

* शरीर में ऐंठन होना.

* मांस पेशियों में कठोरता.

* पेशाब और मल पर नियंत्रण न रहना.

* मांस पेशियां सुन्न होना और कमजोर होना.

* बार-बार एक ही गतिविधि करना जैसे- ताली बजाना या हाथों को रगड़ना.

* बच्चों का घूरना व एकटक एक ही जगह पर देखते रहना.

* चक्कर अथवा बेहोश होकर गिर जाना.

* डर और चिंता.

* ऐसी गंध महसूस होना जो वास्तव में होती ही नहीं है.

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बच्चों को मिर्गी का दौरा पड़ जाए तो क्या करें ?

बच्चों को मिर्गी का दौरा पड़ता देख हर कोई हड़बड़ा जाता है. अधिकतर माता-पिता जानकारी के अभाव में इस दौरान डर जाते हैं और असहाय महसूस करने लगते है ऐसे में माता-पिता बच्चे की किस तरह से मदद कर सकते हैं जानें-

* बच्चे को धीरे-धीरे फर्श पर लेटा दें.

* उसके आसपास की वस्तुओं को हटा दें.

* अब धीरे-धीरे बच्चे को एक करवट लताएँ.

* बच्चे के सिर के नीचे तकिया रख दें.

* अगर बच्चा कोई टाइट कपड़ा पहना हो तो उसे ढीला कर दें.

* बच्चे के मुंह में कुछ भी ना डालें यहां तक कि दवा या तरल पदार्थ भी नहीं. इससे उसके जबड़े जीभ या दांतों को नुकसान हो सकता है.

* बच्चे को मिर्गी के दौरे पड़ने के दौरान और उसके कुछ देर बाद तक उसके साथ ही रहे और उसके लक्षण और दौरा पड़ने के समय को नोट करके रखें. ताकि आप डॉक्टर के पास जाएं तो उन्हें लक्षण और कितनी देर तक दौरा पड़ा उसके बारे में बता सकें.

बच्चे को मिर्गी के दौरे से कैसे बचाएं ?

* बच्चे को पर्याप्त नींद लेने दें क्योंकि नींद की कमी के कारण दौरे की समस्या होती है.

* बच्चे को सिर के चोट से बचाने के लिए उसके सिर पर स्केट या साइकिल चलाते समय हेलमेट पहनाएं.

* बच्चे को प्रतिदिन एक ही समय पर दौरे को कम करने वाली दवा देना ना भूलें.

* बच्चे को गिरने से बचाने के लिए उसको सावधानी से चलने के लिए कहें.

* किसी तेज रोशनी या अधिक शोर वाली जगह पर बच्चे को न जाने दें, क्योंकि यह भी कई बार दौरे पड़ने के कारण हो सकते हैं.

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मिर्गी दूर करने के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार ?

1 .मिर्गी के मरीजों के लिए कद्दू यार पेठा सबसे अच्छा घरेलू उपाय है. पेठे की सब्जी भी बनाई जाती है और आप इसकी सब्जी का सेवन कर सकते हैं. लेकिन इसका जूस प्रतिदिन पीने से काफी लाभ होता है.

2 .मिर्गी के मरीजों को प्रतिदिन अंगूर अथवा अंगूर के रस का सेवन करना फायदेमंद होता है.

3 .ब्राह्मी बूटी को पीसकर एक चम्मच इसका रस रोगी को पिलाएं, ऐसा दिन में तीन बार पिलाने से मिर्गी के दौरे में कमी आती है.

4 .तुलसी कई बीमारियों में रामबाण की तरह काम करता है इसमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो मस्तिष्क में फ्री रेडिकल को ठीक करते हैं. मस्तिष्क की किसी भी प्रकार की बीमारी में अगर प्रतिदिन तुलसी की 15 पत्तियां चबाकर खाया जाए तो यह फायदेमंद होता है.

5 .नारियल तेल के दौरों में काफी लाभ होता है इससे दिमाग में न्यूरो को ऊर्जा मिलती है और ब्रेनवेव पर इनका शांति दायक प्रभाव पड़ता है. नारियल में जो फैटी एसिड होते हैं वह मिर्गी से निजात दिलाने में मदद करते हैं. दिन में एक चम्मच नारियल का तेल खाना फायदेमंद होता है. आप चाहे तो नारियल तेल में ही खाना बनाएं या सलाद पर डाल कर खा सकते हैं.

6 .बकरी का दूध मिर्गी के मरीजों के लिए काफी लाभदायक होता है. 250 मिलीलीटर बकरी के दूध में 50 ग्राम में मेहंदी के पत्तों का रस मिलाकर सुबह खाली पेट 2 सप्ताह तक पीने से मिर्गी के दौरे बंद हो जाते हैं. यह बड़ों का मात्रा बच्चों को इसके आधा सेवन कराएं.

7 .लहसुन की 3-4 कलियों को आधा कप दूध एवं पानी के मिश्रण में डालकर तब तक उबालें जब तक कि आधा ना रह जाए. अब आप इस मिश्रण का सेवन बच्चे को प्रत्येक दिन कराएं. इससे मिर्गी की समस्या कुछ दिनों में दूर हो जाती है आपको बता दें कि लहसुन में एंटी स्पास, एंटीऑक्सीडेंट और anti-inflammatory गुण विशेष होती है जो दौरे से बचाव करता है.

मिर्गी की आयुर्वेदिक औषधि-

1 .ब्राह्मी चूर्ण,

2 .लसुनादि वटी.

3 .स्वर्ण ब्राह्मी वटी.

4 .ब्राम्ही घृत.

5 .मेथी पाक.

6 .अपतंत्रकादि वटी.

इत्यादि का किसी योग्य डॉक्टर की देखरेख में सेवन करने से मिर्गी की बीमारी से कुछ दिनों में छुटकारा मिल जाती है.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य डॉक्टर की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.

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I am an Ayurveda doctor and treat diseases like paralysis, sciatica, arthritis, bloody and profuse piles, skin diseases, secretory diseases etc. by herbs (Ayurveda) juices, ashes.

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