हेल्थ डेस्क- एक्जिमा बहुत ही जटिल बीमारी है जो किसी को हो जाए तो ठीक करना काफी मुश्किल हो जाता है. और जब खुजली होने लगती है तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आज हम इस लेख के माध्यम से एक्जिमा क्या है ? एक्जिमा होने के कारण क्या है ? एक्जिमा के लक्षण क्या है ? और आयुर्वेदिक एवं कुछ घरेलू उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे.

एक्जिमा क्या है ? What is eczema?
एक्जिमा एक त्वचा का रोग है जो शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है और इस कारण त्वचा पर खुजली, दाने, लाल चकत्ते, त्वचा पपड़ीदार होना, हो जाती हैं. इसमें बहुत जोरों की खुजली होती है. खुजलाते- खुजलाते कई लोग खून तक निकाल देते हैं. लेकिन खुजली से राहत नहीं मिलती है. हालांकि कुछ लोगों में एक्जिमा होने पर फफोले भी हो जाते हैं.
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एक्जिमा होने के कारण क्या है ? What is the cause of eczema?
1 .एक्जिमा शरीर में खून की खराबी के कारण होता है. एक्जिमा होने पर यदि इसका सही समय पर और उचित इलाज न किया जाए तो यह बहुत तेजी से पूरे शरीर में फैलता है. कुछ लोगों में एक्जिमा साफ- सफाई नहीं रखने और भोजन में लापरवाही बरतने के कारण भी कई सालों तक बना रहता है.
2 .एक्जिमा से संक्रमित व्यक्ति के जख्म को छूने से दूसरे लोग भी एक्जिमा के शिकार हो सकते हैं. पेट खराब रहने की वजह से भी एक्जिमा होने की संभावना अधिक हो जाती है. महिलाओं में मासिक धर्म से संबंधित रोगों के कारण भी एक्जिमा की समस्या हो सकती है.

3 .साबुन, चुना, सोडा, डिटर्जेंट आदि का ज्यादा प्रयोग, रक्त विकार, महिलाओं में मासिक धर्म की गड़बड़ी और किसी दाद, खाज, खुजली वाले व्यक्ति के कपड़े पहनने से भी एक्जिमा हो सकता है.
4 .एक्जिमा एक जेनेटिक रोग भी माना जाता है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को प्रभावित कर सकता है.
5 .पर्यावरण में बदलाव के कारण भी कुछ लोगों को एक्जिमा की समस्या हो सकती है.
6 .एक्जिमा के कारणों में कुछ सूक्ष्मजीव भी शामिल हैं जैसे स्टेफिलोकोक्कस ऑरियस, वायरस और कुछ फंगस जैसे बैक्टीरिया के कारण भी एक्जिमा हो सकती है.
एक्जिमा के लक्षण क्या है ? What are the symptoms of eczema ?
1 .एक्जिमा रोग की शुरुआत में रोगी को तेज खुजली होती है. बार- बार खुजली करने पर उसके शरीर में छोटी-छोटी फुंसियां निकल आती है. इन फुंसियों में बहुत तेज जलन और खुजली होती है. फुंसियों के पक जाने पर उसमें से पीप निकलता है. फुंसियां के जख्म बन जाते हैं तो उसमें से पूरी तरह मवाद बहने लगता है. इस रोग में त्वचा पर छोटे- छोटे लाल दाने निकल आते हैं. इसमे खुजली होती है और खुजलाने के बाद जलन होती है. बाद में यह दाग के रूप में फैलने लगते हैं. यदि पूरे शरीर में एक्जिमा हो गया हो तो बुखार भी आ सकता है.
2 .एक्जिमा के मुख्य लक्षण गर्दन, चेहरे और पैरों पर लंबे समय तक खुजली, सुखी- खुरदरी त्वचा के लक्षण. बच्चों में घुटनों और कोहनी के अंदरूनी भाग में भी हो सकता है.
3 .एक्जिमा के लक्षण व्यक्ति के उम्र पर भी बहुत हद तक निर्भर करता है. लेकिन अधिकतर मामलों में एक्जिमा की शिकायत होने पर त्वचा पर खुजली होना, त्वचा का खुरदरा होना, त्वचा का फटना शामिल है. हालांकि कई लोगों की एक्जिमा की समस्या जल्दी ठीक हो जाती है तो कुछ लोग इस समस्या से परेशान रहते हैं.
एक्जिमा के प्रकार- Types of eczema
1 .एटॉपिक एग्जिमा-
एक्जिमा का सबसे कॉमन टाइप है एटॉपिक डर्मेटाइटिस. यह उन लोगों को होता है जिन्हें पहले से तेज बुखार और अस्थमा की समस्या होती है. एटॉपिक डर्मेटाइटिस ज्यादा कर बचपन में होता है. लेकिन यह किसी भी उम्र के लोगों को परेशान कर सकता है. इसके कारण त्वचा पर दाने हो जाते हैं जो अक्सर आपके कोहनी या घुटनों पर होते हैं. वही बच्चों को अक्सर उनके स्कैल्प और गालों पर दाने निकल आते हैं.
2 .कॉन्टैक्ट एक्जिमा-
कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस में किसी चीज के बार-बर संपर्क में आने से शरीर का इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है और यह त्वचा में सूजन पैदा करती है यानी त्वचा के संपर्क में आने के कारण शरीर में एलर्जी प्रतिक्रिया शुरू हो जाता है. जब त्वचा को किसी चीज या पदार्थ के संपर्क में आने से नुकसान होता है तो इस प्रकार का एक्जिमा उत्पन्न हो सकता है. इससे आपकी त्वचा पर फफोले हो सकते हैं जो कभी भी फट सकते हैं. इसके साथ ही त्वचा पर खुजली, लालिमा और जलन की समस्या हो सकती है.
3 .डिस्कॉइड एक्जिमा-
यह एक्जिमा छोटे घाव के रूप में बाद में टांगों और छाती पर होता है. बड़ों में इस टाइप के एक्जीमा होने की संभावना अधिक रहती है. यह एटॉपिक एग्जिमा के साथ-साथ कुछ रेयर मामलों में एलर्जी कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस से भी संबंधित हो सकता है. वहीं कुछ मामलों में यह एथलीट फुट नामक एक फंगस इंफेक्शन की एलर्जी प्रतिक्रिया से भी संबंधित होता है.
4 .सेबोरहोइक एक्जिमा-
यह एक आम त्वचा की स्थिति है जो मुख्य रूप से स्कैल्प को प्रभावित करती है. यह पपड़ी दार पैच, लाल त्वचा और जिद्दी रूसी का कारण बनता है. सेबोरहोइक डर्मेटाइटिस शरीर के पहले इन क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है. जैसे- चेहरा, नाक के किनारे, कान, पलकें, भौ और छाती.
5 .नुम्मूलर एक्जिमा-
नुम्मूलर डर्मेटाइटिस में सीके के आकार के लाल निशान बनते हैं. इस एक्जिमा की स्थिति से अक्सर पेट का निचला हिस्सा, पैर, बाजू, कलाई, हाथ के पीछे की हिस्सा और कमर प्रभावित होता है.
6 .डिशिड्रोटिक एग्जिमा-
डिशिड्रोटिक एग्जिमा एक्जिमा से हाथ पैर प्रभावित होते हैं. हालांकि यह हाथ या पैर से पूरी शरीर के त्वचा में भी फैल सकता है. इस स्थिति में भी फफोले हो जाते हैं जो फ्लूइड से भरे होते हैं और खुजली का कारण बनते हैं. फफोले सामान्य रूप से लगभग 2 से 4 सप्ताह तक रहते हैं और मौसम से जुड़े एलर्जी या तनाव से संबंधित भी हो सकते हैं.
7 .स्टैसिस एक्जिमा-
जब शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही तरीके से नहीं होता है तो उससे स्टैसिस डर्मेटाइटिस की स्थिति उत्पन्न होती है. अगर शरीर में खुजली हो रही है या फिर भूरे रंग का दाग दिख रहा है तो यह स्टैसिस डर्मेटाइटिस के लक्षण को दर्शाता है.
एक्जिमा का आयुर्वेदिक उपाय- Ayurvedic remedy for eczema
1 .कांचनार गुग्गुल दो- दो गोली सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें.
2 .गंधक रसायन वटी दो-दो गोली सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें.
3 .खदिरारिष्ट 10 से 20 मिलीलीटर सुबह-शाम सेवन करें.
4 .करंज का तेल 10 मिलीमीटर, मोम 5 ग्राम और भीमसेनी कपूर 2-3 ग्राम लें. अब करंज तेल और मोम को गर्म करें. इसके बाद आंच से उतारकर कपूर को डालकर अच्छी तरह से मिला लें. यह मलहम तैयार हो जाएगा. अब इसे सुरक्षित रख लें. इस मल्हन का प्रयोग प्रभावित हिस्से पर सुबह- शाम करें.
नोट- उपर्युक्त चिकित्सा नियमित रूप से तीन- चार महीने तक इस्तेमाल करने से पुराने से पुराने एक्जिमा एवं सभी तरह के चरम रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं यह आजमाया हुआ आयुर्वेदिक उपाय है.
एक्जिमा का घरेलू उपाय- Home remedies for eczema
1 .अजवाइन को पानी के साथ पीसकर एक्जिमा पर लेप करने से एक्जिमा से राहत मिलता है. नियमित कुछ दिनों तक इसका प्रयोग करने से एक्जिमा ठीक हो जाता है.
2 .एक्जिमा वाले हिस्से को खुजला कर उस पर आम के डंठल से निकलने वाले रस को लगाने से एक्जिमा रोग में लाभ होता है.
3 .नारियल के तेल और कपूर को अच्छी तरह से मिलाकर एक्जिमा वाले स्थान पर लगाने से एग्जिमा का रोग दूर हो जाता है.
4 .1 लीटर तिल के तेल में 250 ग्राम कनेर की जड़ को जलाकर छान लें. इस तेल में जड़ डालकर काफी देर तक उबालने से जड़ जल जाती है. इस तेल को रोजाना साफ रुई से एक्जिमा पर सुबह-शाम लगाने से एक्जिमा रोग जड़ से खत्म हो जाता है.
5 .नीम के गुलाबी पत्ते लेकर तेल में पकाएं. जब यह पत्ते जल जाए तो तेल को छानकर उसमें थोड़ा सा कपूर डालें और इस तेल का प्रयोग एक्जिमा पर करने से बहुत राहत मिलता है.
6 .नीम के कोमल पत्तों का रस निकालकर उसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पीने से खून साफ होकर खून की खराबी से होने वाले सारे रोग दाद, खाज, खुजली, फुंसियां आदि नष्ट हो जाते हैं.
7 .नीम के पत्तों को पानी में उबालकर एक्जिमा को धोकर साफ करें फिर उस जगह पर नींबू का रस और तुलसी के पत्तों को पीसकर लेप करने से एक्जिमा रोग ठीक हो जाता है.
8 .त्रिफला, नीम की छाल और परवल के पत्तों को पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें. इस काढ़े से एक्जिमा के दाग को साफ करने से यह रोग जल्दी ठीक हो जाता है.
9 .त्रिफला, कुटकी, दारूहल्दी, मजीठ, गिलोय और नींबू की छाल को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें. इस काढ़े को प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से कुछ ही दिनों में एक्जिमा रोग समाप्त हो जाता है.
नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.