धात रोग क्या है ? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

हेल्थ डेस्क- जब किसी व्यक्ति के मन में कामेच्छा उत्पन्न होती है या सेक्स की भावना जगती है तो लिंग अपने आप कस जाता है. उसका अंग उत्तेजित अवस्था में आ जाता है इस अवस्था में व्यक्ति के लिंग से पानी के रंग जैसी पतली तरल निकलने लगती है. यह कम मात्रा में होने के कारण लिंग से बाहर नहीं आ पा रहा है लेकिन जब व्यक्ति लंबे समय तक उत्तेजित रहता है तो यह तरल बाहर तक आ जाता है जिसे धात रोग कहा जाता है.

धात रोग क्या है जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
धात रोग क्या है जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

चलिए जानते हैं विस्तार-

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आजकल के समय अनैतिक सोच और अश्लीलता के बढ़ने के कारण आजकल के युवा पुरुष और महिलाएं अक्सर अश्लील पुस्तकें पढ़ते हैं और अश्लील फिल्में देखते हैं. इसके अलावा अपने वीर्य और रज को गलत तरीके से बर्बाद करते हैं यानी उत्तेजित होने पर अक्सर लड़के या लड़कियां हस्तमैथुन का सहारा लेते हैं. ज्यादातर लड़के और लड़कियां केवल अपने विचारों में शारीरिक संबंध बनाना शुरु कर देते हैं जिसके कारण उनका लिंग लंबे समय तक उत्तेजना की स्थिति में रहता है और पानी की तरह उनके लिंग या योनि से तरल बहने लगता है. ऐसा कभी कभार होता है तो कोई नुकसान नहीं होती है. लेकिन बार-बार होने लगती है तो यह परेशानी का कारण बन जाता है.

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जब स्थिति खराब हो जाती है और एक लड़के को कोई लड़की दिमाग में आती है तो उसके लिंग उत्तेजित होकर पानी की तरह तरह बाहर आने लगता है और उसकी उत्तेजना शांत हो जाती है. यह एक प्रकार का रोग है जिसे शुर्तबाद या धात रोग कहा जाता है.

धात रोग होने के क्या कारण है ?

  • अधिक कामुक और अश्लील विचारों में डूबे रहना.
  • मन का बेचैन रहना.
  • अक्सर कुछ न कुछ मन पर दुख होते रहना.
  • दिमागी कमजोरी.
  • जब किसी व्यक्ति के शरीर में पौष्टिक पदार्थों और विटामिन की कमी हो जाती है तो भी धात रोग हो सकता है.
  • किसी बीमारी के लिए अधिक गर्म दवाइयों का सेवन करना.
  • किसी के शरीर की कमजोरी और प्रतिरोधी श्रम की कमी.
  • किसी बात को लेकर हमेशा चिंतित रहना.
  • प्रोस्टेट तरल पदार्थ का पतला होना.
  • यौन अंगों की अधिक कमजोरी.
  • हस्तमैथुन अधिक करना.
  • गरम मसालेदार चीजों का अधिक सेवन करना.

धात रोग के लक्षण क्या है ?

  • लिंग के अग्र भाग से लार की तरह टपकना.
  • वीर्य पानी की तरह पतला होना.
  • दिन प्रतिदिन शारीरिक कमजोरी होते जाना.
  • छोटी सी बात पर भी तनाव में आ जाना.
  • चरम सीमाओं या शरीर के अन्य भागों में झटके महसूस होना.
  • पेट की बीमारी कब्ज से परेशान रहना.
  • सांस लेने में तकलीफ होना ज्यादा कमजोरी के कारण.
  • शरीर के अंगों में दर्द रहना.
  • ज्यादा या कम चक्कर आना.
  • हर समय थकान महसूस होना.
  • किसी काम में मन नहीं लगना.
  • शरीर में हमेशा सुस्ती छाई रहना.
  • पेशाब करते समय आगे या पीछे तरल चमकीला पदार्थ का आना.
  • कभी-कभी पेशाब में जलन होना.

धात रोग का आयुर्वेदिक उपाय-

सबसे पहले धात रोग होने की मुख्य कारणों को दूर करें, इसके पश्चात निम्न आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करें.

आयुर्वेद की धातु पौष्टिक चूर्ण आधा से एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें, साथ में चंद्रप्रभा वटी दो गोली सुबह- शाम और रात को खाना खाने के बाद एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से निश्चित ही धात गिरने की समस्या दूर हो जाती है. यह उपाय महिला- पुरुष दोनों के लिए कारगर है.

धात रोग का घरेलू उपाय-

1 .जामुन की गुठली को धूप में सुखाकर पीसकर पाउडर बनाकर सुरक्षित रखें. अब इसमें एक चम्मच की मात्रा प्रतिदिन सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें. कुछ सप्ताह ही सेवन करने से धात गिरना बंद हो जाता है.

2 .सफेद मूसली का पाउडर एक चम्मच में एक चम्मच मिश्री मिलाकर सेवन करें. उसके बाद एक गिलास गाय का दूध पिएं तो धात की समस्या दूर हो जाती है. इसे लगातार कुछ दिनों तक सेवन करना चाहिए. इसके सेवन धात गिरने की समस्या दूर होकर शरीर को आंतरिक शक्ति मिलती है और व्यक्ति के शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है.

3 .तुलसी के बीज का पाउडर आधा चम्मच, आधा चम्मच मिश्री का पाउडर मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करने से लाभ होता है और धात गिरने की समस्या दूर हो जाती है.

4 .प्रतिदिन सुबह खाली पेट दो चम्मच आंवले के रस को एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है या आंवले के चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ भी सेवन कर सकते हैं ऐसा करने से भी धात रोग ठीक हो जाता है.

5 .एक चम्मच गिलोय के रस को एक चम्मच शहद में मिलाकर सुबह खाली पेट प्रतिदिन सेवन करने से धात की समस्या दूर हो जाती है.

6 .25 ग्राम सेमल के पेड़ की छाल, 25 ग्राम मिश्री को पीसकर पाउडर बनाकर सुरक्षित रखें और इसमें से दो चम्मच की मात्रा में गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें धात गिरने की समस्या दूर हो जाती है.

7 .अर्जुन पेड़ की छाल व जड़ के अर्क को चंदन के साथ करने की लाभ होता है.

धात रोग से बचने के उपाय-

1 .योग और व्यायाम को नियमित अपने जीवन में शामिल करें .यह कई रोगों को दूर करने की क्षमता रखता है.

2 .तनाव से दूर रहें.

3 .मादक पदार्थों का सेवन बिलकुल बंद कर दें.

4 .बिना जरूरी अवैध दवाओं का सेवन ना करें.

5 .उत्तेजक किताबें को ना पढ़ने और ना ही उत्तेजक फिल्में देखें.

6 .मन में कभी भी गंदे विचार ना लाएं.

7 .हस्तमैथुन ना करें.

8 .अपने आहार में पोषक तत्व से युक्त चीजों को शामिल करें. खान-पान पर ध्यान रखें. आहार पर ध्यान देते वक्त बिन्स से परहेज करना चाहिए. धात रोग से छुटकारा पाने के लिए प्रोटीन, आयरन, विटामिन बी कम्प्लेक्स से भरपूर चीजों का सेवन करना फायदेमंद होता है.

नोट- इस लेख को पढ़ने के बाद आपको यह स्पष्ट हो गया होगा कि धात रोग कोई लाइलाज बीमारी नहीं है. ऊपर बताए गए आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय इत्यादि को अपनाकर आप इस रोग से छुटकारा पा सकते हैं. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि उपर्युक्त किसी भी दवाओं के प्रयोग से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें. क्योंकि दवाओं की मात्रा एक चिकित्सक आपकी स्थिति के अनुसार निश्चित कर सकता है. धन्यवाद.

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I am an Ayurveda doctor and treat diseases like paralysis, sciatica, arthritis, bloody and profuse piles, skin diseases, secretory diseases etc. by herbs (Ayurveda) juices, ashes.

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