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जानिए- गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने के आयुर्वेदिक उपाय

By : Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)In : Health TipsRead Time : 1 MinUpdated On April 11, 2022

हेल्थ डेस्क- गर्भावस्था में गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर प्रायः बढ़ जाता है. गर्भ न रहने पर महिला का ब्लड प्रेशर 110 से 15 मिलीमीटर पारद स्तम्भ में होता है. लेकिन गर्भावस्था के पिछले आधे समय में ब्लड प्रेशर 20 मिलीमीटर पारद स्तम्भ में और बढ़ जाता है. अंतिम महीने में 130 मिलीमीटर हो जाता है. यह भी देखा गया है कि लगभग 5% गर्भवती महिलाओं का ब्लड प्रेशर उनके गर्भधारण के पश्चात बढ़ जाता है. इसके साथ ही उनमें काफी शोथ भी आ जाता है. गर्भवती में अपरा अत्यधिक मात्रा में स्टेरॉयड हार्मोन स्राव करती है जो रक्त में मिल जाते हैं. इनमें प्रोजेस्टेरोन विशेष रूप से तथा एस्ट्रोजन सामान्य रूप से वृक्क पर ठीक उसी प्रकार से प्रभाव डालते हैं जैसा कि एड्रेनोकॉर्टिकल हार्मोन का होता है. इस प्रकार सोडियम एवं पानी का बड़ी मात्रा में असाधारण होने लगता है. यह अधिक संभव है कि गर्भकाल हाई ब्लड प्रेशर उन्ही क्रिया विधियों से होता है जैसा कि एड्रेनोकॉर्टिकल हार्मोन की अधिकता में होता है. इस प्रकार रक्त के आयतन में बढ़ोतरी और हार्मोन का वाहिकाओं पर प्रत्यक्ष संकीर्णकारी प्रभाव दोनों ही ब्लड प्रेशर बढ़ाने के कारण हो सकते हैं. ब्लड प्रेशर इसलिए और बढ़ जाता है कि गर्भावस्था में महिला में रक्त की मात्रा बच्चे के पोषण के कारण काफी सीमा तक बढ़ जाती है.

जानिए- गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने के आयुर्वेदिक उपाय

जब गर्भवती का ब्लड प्रेशर 140 मिली मीटर तक बढ़ जाए तो यह खतरे का चिन्ह होता है. साथ ही रोग का सूचक भी है. ब्लड प्रेशर निरंतर बढ़ते रहने की अवस्था में प्रति दूसरे- तीसरे दिन गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर नोट करते रहना चाहिए. साथ ही उचित चिकित्सा का प्रबंध भी करना चाहिए.

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गर्भवती महिलाओं में हाई ब्लडप्रेशर की जटिलताएं- 

जिस समय गर्भवती महिला का रक्तदाब काफी अधिक बढ़ जाता है तो उसे ऐठन के दौरे पड़ने लगते हैं. उसमें एल्बुमिन- मेहता एवं शोफ उत्पन्न हो जाते हैं. उचित चिकित्सा ना होने पर गर्भापात भी हो सकता है. कभी-कभी आकस्मिक रक्तस्राव की भी संभावना रहती है. अति रक्तदाब जनित हृदयपात भी हो सकता है. इसके अतिरिक्त गर्भवती महिला में प्रमस्तिष्क रक्त स्राव, दृष्टि पटल रक्त स्राव, दृष्टि पटल विकृति वृक्कक्षति एवं अंतः गर्भाशय गर्भ मृत्यु की भी संभावना रहती है.

परिणाम- गर्भवती महिला के उच्च रक्तचाप में उचित चिकित्सा ना होने पर 1% तक मृत्यु हो सकती है पर अंतः गर्भाशय गर्भाधान की मृत्यु 10% तक हो सकती है. महिला में गर्भक्षेप होने रक्तदाब के अधिक यानी 180 190 रहने पर रोगिणी की अवस्था 40 वर्ष के लगभग होने पर रोगिणी एवं उनकी भ्रूण की मृत्यु दर अधिक हो जाती है.

गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने का आयुर्वेदिक उपाय-

1 .महिला को पूर्ण विश्राम देना चाहिए.

2 .भोजन में नमक की मात्रा कम से कम कर देनी चाहिए.

3 .मृदु विवेचक औषधियां यानी हल्का पेट साफ करने वाली चीजों का प्रयोग लाभकारी होता है.

3 .मूत्रल एवं रक्त दाब कम करने वाली औषधियां देनी चाहिए.

4 .सर्पगंधा चूर्ण- सर्पगंधा की जड़ का चूर्ण 5 से 10 ग्रेन की मात्रा में दूध, पानी अथवा गुलाब के फूलों के अर्क के साथ दिन में 2 बार गर्भवती को सेवन कराना चाहिए. इसके सेवन से कुछ ही दिनों में हाई ब्लड प्रेशर नियमित हो जाता है.

5 .सर्पगंधा घनवटी- इसकी एक- एक गोली रात को सोते समय दूध या पानी के साथ सेवन कराएं. इसके सेवन से मस्तिष्क को आराम मिलता है और महिला को नींद भी अच्छी आती है. चिकित्सक भी सर्पिना टेबलेट के नाम से सर्पगंधा की गोलियों का ही प्रयोग करते हैं.

6 .अर्जुन की छाल का चूर्ण 3 ग्राम दूध अथवा ताजे पानी के साथ सुबह-शाम प्रतिदिन सेवन कराने से ह्रदय को ताकत मिलती है और रक्तदाब नियमित हो जाता है.

7 .प्रवाल पिष्टी 240 मिलीग्राम दिन में 2-3 बार सेवन कराने से अच्छा लाभ होता है.

8 .हृदय की दुर्बलता एवं रक्तचाप वृद्धि में हीरा भस्म 420 मिलीग्राम, मुक्ता पिष्टी 120 मिलीग्राम- दोनों को मिलाकर शहद के साथ देने से गर्भवती के हाई ब्लड प्रेशर में अच्छा लाभ होता है.

9 .भृंगराज कल्प- भृंगराज का रस आधा से एक ऑस की मात्रा में दिन में तीन बार शहद के साथ सेवन करने से अच्छा लाभ होता है. इस औषधि के प्रयोग से 3 दिन तक ब्लड प्रेशर कम नहीं होता है. फिर 3 से 7 दिन में ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है और फिर नहीं बढ़ता है और 1 सप्ताह के सेवन के बाद रोग स्थाई होकर सामान्य से आगे नहीं बढ़ता है और औषधि को आवश्यकतानुसार 1 से 3 सप्ताह तक सेवन कराया जा सकता है.

10 .ह्रदय के स्पंदनाधिकय से उच्च रक्तदाब में मुक्ता भस्म 240 मिलीग्राम तथा जहरमोहरा खटाई 240 मिलीग्राम दोनों को मिलाकर एक मात्रा बना लें. ऐसी 3 मात्राए शहद के साथ देने से लाभ होता है.

11 .यदि उपर्युक्त औषधि के साथ-साथ स्मृतिवर्धक तेल का उपयोग सिर में किया जाए तो अच्छा लाभ मिलता है.

नोट- यह लेख शैक्षिक उद्देश्य से लिखा गया है किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.

Hashtag: garbhwastha me bloodpreshar गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने के आयुर्वेदिक उपाय हाई ब्लडप्रेशर

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-: Note :-

The information given on this website is based on my own experience and Ayurveda. Take the advice of a qualified doctor (Vaidya) before any use. This information is not intended to be a substitute for any therapy, diagnosis or treatment, as appropriate therapy according to the patient's condition may lead to recovery. The author will not be responsible for any damage caused by improper use. , Thank you !!

Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)

मैं आयुर्वेद चिकित्सक हूँ और जड़ी-बूटियों (आयुर्वेद) रस, भस्मों द्वारा लकवा, सायटिका, गठिया, खूनी एवं वादी बवासीर, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि रोगों का इलाज करता हूँ।

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