Ayurved Gyan Sagar Health, Food & Beauty Tips In Hindi

  • Question & Answer
  • Beauty Tips
  • Food
  • Health Tips
  • आरिष्ट /आसव / क्वाथ
  • बटी / गुग्गुल / रस
  • चूर्ण
  • More
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Contact Us
    • DMCA

Leucorrhoea- श्वेत प्रदर रोग होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू इलाज

By : Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)In : Health TipsRead Time : 1 MinUpdated On September 23, 2022

हेल्थ डेस्क- महिलाओं के गर्भाशय की आवरक- झिल्ली से, गर्भाशय के अंदर से और गर्भाशय की मुख से अक्सर अलग-अलग रंगों का स्राव निकलता है. जैसे- दूध की तरह धुले हुए मांस के पानी की तरह, सफेद, पीला, नीला, गाढ़ा और काले रंग का. इसी को प्रदर कहते हैं. अगर प्रदर साधारण तौर पर आता है तो वह सफेद रंग का ही होता है.

श्वेतप्रदर रोग होने के कारण और लक्षण-

छोटी उम्र की बच्चियों को गंडमाला यानी गले की गांठे होने के कारण भी यह रोग हो सकता है. इस रोग की समय पर चिकित्सा ना होने के कारण गर्भाशय से ज्यादा मात्रा में पीप की तरह का स्राव होने लगता है जिसके कारण महिला की योनि के अंदर और मुंह पर जख्म की तरह हो जाता है.

  • शादी के सालों बाद भी चाहते हैं सुहागरात वाली मजा तो पति- पत्नी करें यह काम, फिर देखें कमाल

प्रदर रोग अक्सर ठंड लगने के कारण, साफ सफाई ना रखने, ज्यादा मसालेदार भोजन करने से, अधिक दिनों तक बीमार रहने से, अधिक शारीरिक संबंध बनाने से, मासिक धर्म के दौरान या बीच-बीच में ज्यादा खून आने के कारण, गर्भाशय में कोई उत्तेजक पदार्थ रहने, बार बार गर्भपात कराने आदि कारणों से हो जाता है. गंडमाला के रोगी और श्लेष्मा प्रधान महिलाओं को ज्यादा हुआ करता है.

इसके अलावा अत्यधिक मात्रा में कफ बनने वाला भोजन, अधिक चिंता, क्रोध, भय आदि होना, अत्यधिक पित्तवर्धक भोजन करना, ज्यादा कामोत्तेजक चिंतन करना, कामुक फिल्में देखना, सेक्स से जुड़ी पुस्तकें पढ़ना आदि के कारण भी यह रोग हुआ करती है.

श्वेत प्रदर का आयुर्वेदिक एवं घरेलू इलाज-

1 .पुष्यानुग चूर्ण 100 ग्राम.

कुक्कुटांडत्वक भस्म 5 ग्राम.

गोदंती भस्म 5 ग्राम.

प्रदरान्तक लौह 20 ग्राम.

त्रिबंग भस्म 3 ग्राम.

शतावर चूर्ण 10 ग्राम.

मुक्ताशुक्ति भस्म 2 ग्राम.

स्वर्ण माक्षिक भस्म 5 ग्राम.

उपर्युक्त सभी चीजों को अच्छी तरह से मिलाकर इसकी 60 पुड़िया बना लें.

सेवन विधि- 50 ग्राम चावल को 12 घंटे पानी में भिगोकर रखें. इसके बाद इसे हल्का सा मसल कर इस पानी को छानकर एक उड़िया दवा खा कर पी लें. इसका सेवन सुबह काम करना है. इस औषधि को 2 माह तक लगातार सेवन करने से श्वेत प्रदर की समस्या दूर हो जाती है.

  • श्वेत प्रदर रोग होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार

इस दवाई को सेवन करने से श्वेत प्रदर की समस्या दूर होने के साथ ही इसके कारण होने वाला हाथ- पैरों का दर्द, कमजोरी, हड्डियों का कमजोर हो जाना, खून की कमी हो जाना, चेहरे पर तेज की कमी हो जाना इत्यादि समस्याएं दूर हो जाती है.

2 .फिटकरी को पानी में घोलकर योनि में दिन में तीन बार डालने से श्वेत प्रदर में अच्छा लाभ होता है.

3 .फिटकरी के भस्म 3 ग्राम और गूलर के छाल 10 ग्राम को साफ मुलायम कपड़े में छोटी सी पोटली बनाकर रात्रि में योनि के भीतर रखें. सुबह इसे निकाल कर फेंक दें. ऐसा करने से हर तरह की प्रदर लाभ होता है.

4 .आंवला चूर्ण-

आंवले को सुखाकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखें. अब इसमें से 3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करें. लगातार एक महीने तक सेवन करने से श्वेतप्रदर एवं रक्त प्रदर नष्ट हो जाता है.

5 .झरबेरी का चूर्ण-

झरबेरी यानी जंगली बैर को सुखाकर पीसकर पाउडर बनाकर सुरक्षित रख लें. अब इसमें से 3 से 4 ग्राम की मात्रा में चीनी और शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से श्वेत प्रदर का आना खत्म हो जाता है.

  • सफेद बालों को काला करने के आयुर्वेदिक उपाय

6 .नागकेसर चूर्ण-

नागकेसर को पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें. अब इसमें से 3 ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ सुबह खाली पेट प्रतिदिन सेवन करने से कुछ ही दिनों में श्वेत प्रदर की समस्या दूर हो जाती है.

7 .केला-

Leucorrhoea- श्वेत प्रदर रोग होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू इलाज
Leucorrhoea- श्वेत प्रदर रोग होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू इलाज

पके हुए दो केले को चीनी के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से श्वेत प्रदर में आराम मिलता है.

8 .गुलाब का फूल-

Leucorrhoea- श्वेत प्रदर रोग होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू इलाज
Leucorrhoea- श्वेत प्रदर रोग होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू इलाज

गुलाब के फूलों को छाया में अच्छी तरह से सुखाकर इसे पीसकर पाउडर बनाकर सुरक्षित रख लें. अब इसमें से 3 से 5 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से श्वेत प्रदर से छुटकारा मिलता है.

9 .मुलेठी का चूर्ण-

मुलेठी को अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें. अब इसमें से 1 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें. नियमित कुछ दिनों तक इसका सेवन करने से श्वेत प्रदर की बीमारी खत्म हो जाती है.

10 .बड़ी इलायची और माजूफल-

बड़ी इलायची और माजूफल को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर दोनों के बराबर मिश्री का चूर्ण मिलाकर सुरक्षित रख लें. अब इसमें से 2- 2 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से श्वेत प्रदर की बीमारी से छुटकारा मिलता है.

11 .जीरा और मिश्री का चूर्ण-

जीरा और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें. अब इसमें से 2 ग्राम की मात्रा में चावल के धोवन के साथ सुबह- शाम सेवन करें. कुछ दिनों तक सेवन करने से श्वेत प्रदर रोग दूर हो जाता है.

  • मुंहासे दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय

12 .जामुन छाल का चूर्ण-

जामुन की छाल को छाया में सुखाकर पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें. अब इसमें से एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पानी के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से श्वेतप्रदर रोग ठीक होता है.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.

Hashtag: HEALTH Leucorrhoea SHWET PRADAR WHAT IS LEUCORRHOEA

शेयर
  • Facebook
  • Twitter
  • Pin It
  • Email
  • LinkedIn
  • WhatsApp

Read Also

  • अम्हौरी ( घमौरी ) होने के कारण, लक्षण और शर्तिया आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

    अम्हौरी ( घमौरी ) होने के कारण, लक्षण और शर्तिया आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

  • गर्भावस्था में अभक्ष्य ( मिट्टी आदि ) पदार्थ खाने की आदत छुड़ाने के आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

    गर्भावस्था में अभक्ष्य ( मिट्टी आदि ) पदार्थ खाने की आदत छुड़ाने के आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

  • वीर्य में शुक्राणु की संख्या बढ़ाने के लिए क्या करें ? जाने आसान एवं घरेलू उपाय

    वीर्य में शुक्राणु की संख्या बढ़ाने के लिए क्या करें ? जाने आसान एवं घरेलू उपाय

-: Note :-

The information given on this website is based on my own experience and Ayurveda. Take the advice of a qualified doctor (Vaidya) before any use. This information is not intended to be a substitute for any therapy, diagnosis or treatment, as appropriate therapy according to the patient's condition may lead to recovery. The author will not be responsible for any damage caused by improper use. , Thank you !!

Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)

मैं आयुर्वेद चिकित्सक हूँ और जड़ी-बूटियों (आयुर्वेद) रस, भस्मों द्वारा लकवा, सायटिका, गठिया, खूनी एवं वादी बवासीर, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि रोगों का इलाज करता हूँ।

Reader Interactions

Comments ( 0 )

See Comments»

Leave a Reply 😃 Cancel reply

Primary Sidebar

Recent Posts

  • How to control the ever increasing obesity?
  • How beneficial is bay leaf water in fatty liver? Know other advantages
  • I need a detailed plan to lose 30 pounds in 10 weeks. Can anyone suggest such a scheme?
  • What diet should I eat to reduce belly fat ?
  • If you want to reduce the increased uric acid, then use celery like this.

Categories

  • ASTROLOGY
  • Beauty Tips
  • Food
  • Health Tips
  • OTHER
  • Question & Answer
  • Uncategorized
  • आरिष्ट /आसव / क्वाथ
  • चूर्ण
  • बटी / गुग्गुल / रस
  • भस्म




Footer

Copyright © 2023 · -Ayurvedgyansagar.com