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मात्र 10 दिनों में मधुमेह (डायबिटीज ) को जड़ से खत्म कर सकता है यह आयुर्वेदिक नुस्खा, आजमाकर देखें

By : Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)In : Health TipsRead Time : 2 MinUpdated On April 30, 2022

हेल्थ डेस्क- आज के समय मधुमेह यानी डायबिटीज काफी लोगों को परेशान कर रहा है. यह भारत में अपना पांव बहुत तेजी से पसार रहा है. डायबिटीज से काफी लोग ग्रसित हो रहे हैं. अनुमानित अनुपात के अनुसार 100 में से करीब 90 लोग डायबिटीज यानी मधुमेह के शिकार हो रहे हैं. डायबिटीज को आम भाषा में शुगर की बीमारी के नाम से जाना जाता है. यह रोग अधिक उम्र के लोगों के साथ- साथ युवाओं, यहां तक कि बच्चों में भी देखने को मिल रहा है जो चिंता का विषय है.

मात्र 10 दिनों में मधुमेह (डायबिटीज ) को जड़ से खत्म कर सकता है यह आयुर्वेदिक नुस्खा, आजमाकर देखें
मात्र 10 दिनों में मधुमेह (डायबिटीज ) को जड़ से खत्म कर सकता है यह आयुर्वेदिक नुस्खा, आजमाकर देखें

आज हम इस लेख में मधुमेह ( डायबिटीज ) क्या है ? मधुमेह ( डायबिटीज ) होने के क्या कारण है? मधुमेह ( डायबिटीज ) कितने प्रकार के होते हैं ? डायबिटीज के रोगी का आहार कैसा होना चाहिए एवं घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खों के बारे में बात करेंगे.

मधुमेह क्या है ? What is diabetes?

मधुमेह अंग्रेजी में डायबिटीज और आम भाषा में शुगर की बीमारी के नाम से लोग ज्यादा जानते हैं. हम आहार के रूप में जो कुछ भी खाते हैं हमारे शरीर को ऊर्जा उसी से प्राप्त होती है. दरअसल, हमारा शरीर पचे हुए भोजन में से निकली शुगर को ऊर्जा में परिवर्तित कर देती है और इसे बदलने का काम हमारे शरीर में मौजूद इंसुलिन करता है.

इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन है जो हमारे शरीर में ही बनता है. ताकि हमारे शरीर में ब्लड शुगर के लेबल को नियंत्रित करने में मदद कर सके. इंसुलिन का निर्माण हमारे शरीर में अग्नाशय और पैंक्रियाज नामक ग्रंथि में होता है. इंसुलिन हमारी शरीर में शुगर को खून में मिलने से रोकता है जिससे शुगर हमारे खून तक नहीं पहुंच पाती है. शुगर हमारे शरीर की कोशिकाओं में ही स्टोर होकर रह जाती है. लेकिन जब हमारे शरीर में इंसुलिन कम हो जाता है या इंसुलिन का बनना बंद हो जाता है तो शुगर आसानी से हमारे खून में पहुंच जाता है तो ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है. दरअसल, मधुमेह रोगी के शरीर में इंसुलिन या तो बनना बंद हो जाता है या हमारा शरीर इंसुलिन के प्रति संवेदनशील नहीं रह जाती हैं.

मधुमेह कितने प्रकार की होती है ? How many types of diabetes are there?

मधुमेह दो प्रकार की होती है. टाइप -1 और टाइप -2.

वैसे टाइप -1 मधुमेह टाइप -2 मधुमेह दोनों में ही हमारी शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है. लेकिन इन दोनों के कारण और इलाज की बात की जाए तो दोनों में बहुत ही असमानता है. टाइप 1 मधुमेह को इस रोग का शुरूआती दौर कहा जा सकता है जिसका मतलब है कि मधुमेह अभी हमारे शरीर में हो रही है जिसे नियंत्रण में किया जा सकता है मतलब आप शुगर का घरेलू उपचार करके करके मधुमेह नियंत्रित कर सकते हैं.

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टाइप 1 मधुमेह शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है लेकिन वही मधुमेह टाइप 2 में व्यक्ति का ब्लड शुगर बहुत अधिक बढ़ जाता है जिसे नियंत्रित करने में थोड़ा समय लग जाता है.

टाइप-1 मधुमेह के क्या कारण है ? What is the cause of type 1 diabetes?

टाइप 1 मधुमेह में हमारा शरीर इंसुलिन बनाना पूरी तरह से रोक देती है यह एक स्वप्रतिरक्षित रोग है जिसका मतलब है कि हमारे शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी कमजोर हो जाती है कि वह शरीर में मौजूद अपने ही उत्तकों व अन्य पदार्थों को रोगजनक समझने लगती है और उन पर हमला कर नष्ट कर देती है. टाइप-1 मधुमेह अनुवांशिक भी होता है जो कि जन्म के साथ ही व्यक्ति को हो सकता है या कम उम्र में ही मधुमेह रोग हो सकता है.

टाइप- 2 मधुमेह के क्या कारण है ? What are the causes of type 2 diabetes?

टाइप- 2 मधुमेह कई कारणों से हो सकता है जैसे की भरपूर नींद नहीं लेना, खराब लाइफस्टाइल, असंतुलित खानपान, मोटापा, मानसिक तनाव में रहना इत्यादि. कई विशेषज्ञों का कहना है कि टाइप- 2 मधुमेह भी अनुवांशिक रूप से हो सकता है. इस रोग में इंसुलिन बनने की मात्रा कम हो जाती है या फिर शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन की ओर से संवेदनशील नहीं रह पाती है. व्यक्ति की लाइफस्टाइल के कारण यह किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन अधिकतर देखा जाता है कि टाइप- 2 मधुमेह बड़ी उम्र के लोगों को ही होता है.

टाइप- 1 मधुमेह, टाइप- 2 मधुमेह का उपचार क्या है ?

टाइप- 1 मधुमेह और टाइप- 2 मधुमेह के इलाज की प्रक्रिया अलग-अलग है. टाइप- 1 मधुमेह के लक्षण के आधार पर शरीर में इंसुलिन बनना पूरी तरह से बंद हो जाता है. इसी कारण से शरीर में समय-समय पर इंजेक्शन की मदद से इन्सुलिन पहुंचाने की आवश्यकता पड़ती है.

टाइप- 2 मधुमेह में इंसुलिन बनता तो है लेकिन बहुत ही कम मात्रा में बनता है. इसलिए इसमें रोगी के शरीर में दवा की मदद से इंसुलिन बनाने का कार्य किया जाता है. लेकिन आवश्यकता पड़ने पर भी पहुंचाने की भी जरूरत पड़ती है.

मधुमेह को नियंत्रित करने के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय- Home and Ayurvedic remedies to control diabetes

1 .जामुन के बीज-

जामुन के बीज रक्त में बढ़े हुए शर्करा को नियंत्रित करने में काफी मददगार औषधि होती है. इसके लिए जामुन की गुठलियों को पीसकर पाउडर बना लें. अब आधे से एक चम्मच की मात्रा में सुबह खाली पेट ठंडे पानी के साथ सेवन करें.

2 .अंजीर के पत्ते-

डायबिटीज के मरीजों के लिए अंजीर के पत्ते का सेवन करना काफी लाभदायक होता है. इससे मधुमेह नियंत्रण में रहता है. इसके लिए अंजीर के पत्तों को खाली पेट चबाना चाहिए या इसे पानी में उबालकर पीना चाहिए.

3 .मेथी-

मधुमेह के रोगियों के लिए मेथी का उपयोग किसी रामबाण औषधि के कम नहीं है. यह रक्त में बढे हुए शर्करा को नियंत्रित करने में काफी मददगार होता है. इसके लिए एक चम्मच की मात्रा में मेथी को रात में पानी में डालकर छोड़ दें और सुबह मेथी के दाने को चबाकर खा लें और पानी पी लें. या मेथी को लाल होने तक भून कर पीसकर पाउडर बना लें और सुरक्षित रखें और इसमें से एक चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सुबह खाली पेट सेवन करें. ऐसा करने की रक्त में शर्करा नियंत्रित हो जाती है.

4 .करेला-

मधुमेह रोगियों के लिए करेला का सेवन करना काफी लाभदायक माना जाता है. करेला शरीर में ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने के साथ ही ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मददगार होता है. विशेषज्ञों के अनुसार प्रतिदिन सुबह खाली पेट करेले के जूस का सेवन करने से मधुमेह नियंत्रित रहता है. मधुमेह के रोगियों को प्रतिदिन करेले की सब्जी का सेवन करना लाभदायक होता है.

5 .दालचीनी-

मधुमेह के रोगियों के लिए दालचीनी भी काफी कारगर औषधि मानी जाती है. दालचीनी के बायोएक्टिव यौगिक मधुमेह को नियंत्रित करने में मददगार होता है. दालचीनी इन्सुलिन की गतिविधि को उत्तेजित करके रक्त शर्करा के स्तर को भी नियंत्रित करती है. इसके लिए आधा चम्मच दालचीनी को गर्म पानी में मिलाकर दिन में एक बार सेवन करना चाहिए.

6 .आंवला-

मधुमेह के रोगियों के लिए आंवले का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होने के साथ ही अग्नाशय को स्वस्थ रखने में मददगार होता है. आंवला का कई प्रकार से सेवन किया जा सकता है. एक कप करेले के रस में एक चम्मच आंवले का रस मिलाकर कुछ महीनों तक प्रतिदिन पीने से ब्लड शुगर के स्तर को आसानी से कम करने में मदद मिलती है.

7 .मधुमेह को नियंत्रित करने के रामबाण उपाय-

तुलसी का पत्ता 8-10 पिस, हल्दी एक चम्मच, मेथी एक चम्मच, दालचीनी आधा चम्मच, लौंग 2 पीस, छोटी इलायची 2 पीस लें. सभी को अधकुटा करके 2 कप पानी में उबालें. जब पानी एक कप रह जाए तो छान कर सुबह खाली पेट पिएं. प्रतिदिन ऐसा करने की मात्र 10 दिनों में ही मधुमेह की समस्या दूर हो जाती है लेकिन इसके सेवन से आधा घंटे पहले और बाद में कुछ न खाएं.

8 .वसंत कुसुमाकर रस एक गोली सुबह- शाम और चंद्रप्रभा वटी दो गोली सुबह-शाम नियमित सेवन करने से कुछ ही दिनों में मधुमेह नियंत्रित हो जाता है. यह मधुमेह रोगियों के लिए सबसे लाभदायक आयुर्वेदिक औषधि है.

मधुमेह रोगियों का आहार कैसा होना चाहिए ?

1 .मधुमेह को नियंत्रित रखने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ हुई आहार में बदलाव करना आवश्यक होता है क्योंकि इसके इलाज में यह काफी मददगार साबित होती हैं.

2 .मधुमेह से ग्रसित व्यक्ति को अपने आहार में लगभग 8% कार्बोहाइड्रेट, 20% प्रोटीन और 20% वसा लेना चाहिए. इन तीनों का कुल मिलाकर 1500 से 1800 जरूर लेना चाहिए.

3 .प्रतिदिन फल 2 से 3 मौसमी व 3 से 4 प्रकार की सब्जियों का सेवन अवश्य करना चाहिए. मांसाहार से परहेज करें. विशेषकर रेड मीट का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए.

4 .ब्रेकफास्ट में आप एक कटोरी के लगभग अंकुरित अनाज का सेवन करें. इसके अलावा आप आधा गिलास दूध लेकिन बिना मलाई वाला. केवल दूध पीना पसंद नहीं है तो एक से दो कटोरी दलिया खाएं या ब्रेड में आप केवल ब्राउन ब्रेड ही सेवन कर सकते हैं. दो परांठे खाए हैं लेकिन तेल में बने हुए पराठे नहीं खाने हैं. केवल सादे खाने हैं एक कटोरी दही का सेवन प्रतिदिन करें.

5 .दोपहर के समय भोजन करने के लगभग आधा से 1 घंटे पहले एक अमरुद, संतरा, सेब और पपीता जरूर खाएं. इसके बाद रोटी आपको दो खानी है. चावल आप एक छोटी कटोरी सेवन करें. एक कटोरी की दाल, एक कटोरी सब्जी के साथ एक कटोरी दही व एक प्लेट सलाद का सेवन करें.

6 .शाम के समय ग्रीन टी पीए, लेकिन चीनी ना मिलाएं और कम मीठे वाले बिस्कुट खाएं. ऑप्शन में कोई बेक्ड स्नेक्स का सेवन कर सकते हैं.

7 .रात की डाइट में आप केवल दो रोटी और एक कटोरी के बराबर सब्जी का सेवन करें. इसके अलावा सोने से पहले एक गिलास हल्दी वाला दूध पिएं.

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नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. अधिक जानकारी के लिए और किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें और लेख पसंद आए तो शेयर करें. धन्यवाद.

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-: Note :-

The information given on this website is based on my own experience and Ayurveda. Take the advice of a qualified doctor (Vaidya) before any use. This information is not intended to be a substitute for any therapy, diagnosis or treatment, as appropriate therapy according to the patient's condition may lead to recovery. The author will not be responsible for any damage caused by improper use. , Thank you !!

Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)

मैं आयुर्वेद चिकित्सक हूँ और जड़ी-बूटियों (आयुर्वेद) रस, भस्मों द्वारा लकवा, सायटिका, गठिया, खूनी एवं वादी बवासीर, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि रोगों का इलाज करता हूँ।

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