हेल्थ डेस्क- मंकीपॉक्स का संक्रमण दुनिया में बहुत समय से है. हालांकि इसके कोरोना वायरस जैसी महामारी का रूप लेने की संभावना बहुत कम है. मंकीपॉक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है. यह संक्रमित जानवर के काटने, उसके शरीर के तरल पदार्थ या फर के संपर्क में आने से हो सकता है.
किसी भी वायरस से संक्रमित होने पर उसके लक्षणों को समझना जरूरी है. इसलिए घबराने के बजाय उसके बारे में जानना चाहिए. इसके बाद ही सही उपचार लें.
मंकीपॉक्स और चिकन पॉक्स में क्या अंतर है ? What is the difference between monkeypox and chicken pox?
मंकीपॉक्स और चिकन पॉक्स का वायरस एक ही परिवार के होते हैं. मंकीपॉक्स अर्थोपॉक्स वायरस और चिकन पॉक्स वेरीसेला जोस्टर वायरस के कारण होता है. चिकन पॉक्स और मंकीपॉक्स दोनों का ही संक्रमण रेस्पिरेटरी ड्रॉप्लेट्स, जख्म, दानों,व व्यक्तिगत चीजों को छूने से होता है. मंकीपॉक्स में शुरुआती 5 दिनों में बुखार और बदन दर्द के लक्षण मिलते हैं. 5 दिन बाद शरीर पर दाने पड़ते हैं और 1 सप्ताह के भीतर दाने पीप ( मवाद ) पड़ जाती हैं. दूसरे सप्ताह तक दाने सूखने लगते हैं व 2 सप्ताह के बाद पपड़ी झड़ना शुरू हो जाती है.
चिकन पॉक्स के दानें अलग तरह के होते हैं. कोई दाना फट चुका होता है तो कोई सुख रहा होता है. मंकीपॉक्स पीड़ित के शरीर में सभी दानें एक जैसे दिखाई देते हैं जबकि चिकन पॉक्स के दानें लाल होते हैं. चिकन पॉक्स शरीर के एक हिस्से को ही प्रभावित करता है तो वही मंकीपॉक्स से पूरा शरीर प्रभावित होता है. मंकीपॉक्स का कोई इलाज नहीं है लेकिन चेचक का टीका मंकीपॉक्स को रोकने में 85% तक प्रभावी साबित हुआ है.
मंकीपॉक्स के लक्षण क्या है ? What are the symptoms of monkeypox?
1 .कमजोरी व जोड़ों में सूजन होना.
2 .तेज बुखार व बदन दर्द होना.
3 .दानों में असहनीय दर्द होना.
4 .सिर में तेज दर्द और चिड़चिड़ापन होना.
5 .शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन होना.
6 .लाल चकता का घाव में बदलना.
7 .त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ना.
8 .नए दानें निकलना और पुराने दानों का सुखना.
9 .मांस पेशियों में तेज दर्द होना.
10 .ठंड लगना.
11 .थकान और लिंफ नोड्स में सूजन.
12 .न्यूमोनिया लक्षण मिलना.
मंकीपॉक्स से बच्चों और गर्भवती को है ज्यादा खतरा-
कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति, बच्चों, गर्भवती महिला व बुजुर्गों को मंकीपॉक्स के संक्रमण का खतरा अधिक रहता है. सुचारू रूप से वैक्सीनेट न होने वाले मंकीपॉक्स के हाई रिस्क जोन में है. अगर बुखार के साथ ही शरीर में किसी भी तरह के दाने नजर आ रहे हैं तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें. मंकीपॉक्स वायरस के प्रति सजग रहें जिससे इसका व्यापक स्तर पर प्रसार ना होने पाए.

मंकीपॉक्स से किस तरह करें बचाव- How to protect against monkeypox
मंकीपॉक्स वायरस का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं मिल पाया है. डॉक्टर इस बीमारी में संक्रमण के लक्षणों को कम करने और मरीज की स्थिति में सुधार करने के लिए इलाज करते हैं. मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण में दिखने वाले लक्षण स्मॉल पॉक्स के लक्षण के समान होते हैं. दरअसल, यह बीमारी सबसे पहले साल 1970 में इंसानों में देखने को मिली थी. सबसे पहले यह बीमारी अफ्रीका में रिसर्च के दौरान बंदरों में मिली थी. जिसके बाद इसका संक्रमण इंसानों में भी देखा गया था. मंकीपॉक्स की बीमारी से बचाव के लिए आप अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी द्वारा बताए गए इन टिप्स को अपनाकर इससे बचाव कर सकते हैं.
1 .पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें.
2 .ट्रिपल लेयर मास्क का प्रयोग करें.

3 .ऐसे जानवरों के संपर्क में आने से बचें जिनसे मंकीपॉक्स का खतरा है.
4 .मंकीपॉक्स संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने से बचें.
5 .हाथ- मुंह की साफ- सफाई का विशेष ध्यान रखें या अल्कोहल युक्त हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
6 .मंकीपॉक्स ग्रसित व्यक्ति के करीब जाने पर डिस्पोजल दस्तानें का इस्तेमाल करें.
7 .संक्रमित व्यक्ति का चादर, तकिया, कपड़े और बिस्तर आदि का प्रयोग न करें.
नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है मंकीपॉक्स से जुड़े लक्षण मिलने पर डॉक्टरी सलाह लें. धन्यवाद.
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