सुंदरता को बढ़ाने के लिए लोग कई तरह के क्रीम, पाउडर का इस्तेमाल करते हैं तो वहीं धातु के गहने भी पहनते हैं. यह गहने न सिर्फ खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं बल्कि यह सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं. कई शोधों से पता चला है कि धातु के गहने पहनने से चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं. गहने धारण करना स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है.
चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो धातुओं के गहनों को धारण करने से ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है. शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है क्योंकि धातु में चुंबकीय गुण होता है. यही कारण है कि धातु से बने धारण करने पर मानव शरीर में आश्चर्यजनक प्रभाव देखने को मिलता है.
बहुत पहले प्राचीन ग्रीक चिकित्सकों ने महसूस किया कि रॉक युक्त धातु तत्वों में चुंबकीय गुण होता है. शोध भी बताते हैं कि मैग्नेट जीवित माननीय उत्तकों के आसपास सामान्य सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं. चिकित्सा पद्धति में विद्युत चुंबकीय क्षेत्र द्वारा नसों और हड्डियों का उपचार किया जाता है और स्थिर मैग्नेट का इस्तेमाल घाव को भरने में भी अहम भूमिका निभाता है.
आज के समय में लोगों की यह शिकायत होती है कि वह शरीर के विभिन्न हिस्सों में तर्क से परेशान रहते हैं ऐसे में चिकित्सा विशेषज्ञ बिना दवा खाए दर्द से छुटकारा पाने के लिए धातुओं से बने गहनों को धारण करने की सलाह देते हैं. चिकित्सकों का कहना है कि कई तरह की समस्याओं से ग्रस्त लोगों को धातु की गहने धारण करने को कहा गया और कुछ समय बाद उन्होंने बताया कि उन्हें इससे लाभ हुआ है.
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धातु से बने गहने पहनने के लाभ-
सोना के गहने-
सोने के गहने काफी प्रचलित है इसका इस्तेमाल सदियों से किया जाता रहा है. आजकल के चिकित्सा क्षेत्र में इसका काफी प्रयोग भी किया जा रहा है. दांतों के कैविटीज को भरने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है. इसका इस्तेमाल कई तरह के सर्जरी में भी किया जाता है. प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. सोने का इस्तेमाल हजारों साल से चिकित्सा में प्रयोग किया जाता रहा है. सोना तनाव और अवसाद को भी कम करने में मदद करता है. सोने से बने गहने धारण करने से यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है. यदि सर्दी-जुकाम या सांस की बीमारी हो तो कनिष्ठा उंगली में सोने की अंगूठी पहनना लाभदायक होता है. सोना धारण करने से गले, कान, हाथ, पैर और छाती का दर्द दूर होता है.
कणों में सोने की बालियां पहनने से स्त्री रोग एवं डिप्रेशन आदि से राहत मिलती है. सोना शरीर में उर्जा और गर्मी पैदा करता है जिससे कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है. जैसे- सर्दी, जुकाम, ब्लड प्रेशर की बीमारी, हृदय संबंधी रोग तथा डिप्रेशन इत्यादि.
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चांदी से बने गहने-
चांदी के गहने देखने में तो सुंदर होते ही हैं साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक होते है. चांदी बहुत ही महत्वपूर्ण धातु है यह हमारे शरीर की अंतर तत्वों को संतुलित रखता है. यह रक्त वाहिकाओं को अनुकूल बनाता है और हड्डियों और त्वचा की बीमारियों को भी दूर करता है. हालांकि चांदी के गहने कभी भी पहने जा सकते हैं लेकिन शरद ऋतु के रंगों के साथ इसे पहनना बेहतर माना जाता है.
मानव सभ्यता के प्रारंभिक काल से ही इसके असामान्य गुणों के कारण चांदी पहनते आए हैं. ऐसा माना जाता है कि चांदी ऊर्जा के प्रवाह को उत्सर्जित करता है और चांदी के गहने को धारण करने से शरीर पर अत्यधिक ऊर्जा जमा करने में मदद करता है. यह प्रवृत्ति का नाश कर शरीर को स्फूर्ति और मजबूती प्रदान करता है.
यह त्वचा के माध्यम से अवशोषित होता है और दर्द से राहत प्रदान करता है. यूरोप में चिकित्सा पद्धति मिला बहुत पहले से ही प्रचलित है. यूरोप में गठिया की बीमारी में इसे काफी प्रभावी माना जाता है. यह ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने के साथ ही मांसपेशियों का भी दर्द कम करता है.
आपने देखा होगा कि अक्सर चांदी के गहने पहनने से त्वचा पर हरे रंग का दाग हो जाता है. यह जल्दी ही चला भी जाता है. इस दाग का मतलब है कि चांदी का गुण आपके शरीर में प्रवेश कर रहा है और दाग की समस्या आम तौर पर गर्मी के दिनों में ही होता है.
चांदी का इस्तेमाल घाव भरने के लिए भी किया जाता है. चांदी के बर्तन में रखा गया पानी पीने से भी कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं इस पानी को पीने से ह्रदय रोग से काफी राहत मिलता है.
चांदी की रिंग पहनने से एक फायदा यह भी है कि यह हमारे दिमाग में पॉजिटिव विचारों को लेकर आती है जिसके कारण हमें बुरे विचारों को सोचने का समय नहीं मिलता है और इस तरह से हमारा दिमाग शांत रहता है.
विवाहित महिलाएं पैरों के बीच की तीसरी उंगली में बिछिया पहनती है यह गहना सिर्फ का श्रृंगार की वस्तु नहीं है बल्कि दोनों पैरों में बिछिया पहनने से महिलाओं का हार्मोन सिस्टम सही रूप से काम करता है. बिछिया पहनने से थायराइड की संभावना कम हो जाती है. बिछिया एक्यूप्रेशर उपचार पद्धति पर कार्य करती है. जिससे शरीर के निचले अंगों का तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियां सबल रहती है.
बिछिया एक खास नस पर प्रेशर बनाती है जो कि गर्भाशय में समुचित रक्त संचार प्रवाहित करती है. इस प्रकार बिछिया महिलाओं की गर्भधारण क्षमता को भी स्वस्थ रखती है.
चांदी की पायल पहनने से पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित करती है. इतना ही नहीं पेट और निचले अंगों में वसा बढ़ने की गति को रोकती है. चांदी की पायल पैरों से घर्षण करके पैरों की हड्डियों को भी मजबूत बनाती है.
पैरों में पायल पहनने से महिला की इच्छाशक्ति मजबूत होती है. यही वजह है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बिना पूरी लगन से परिवार के भरण-पोषण में लगी रहती हैं.
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तांबा से बने गहने-
तांबे से बनी गहने को पहनने से गठिया के दर्द से राहत मिलती है और त्वचा संबंधित बीमारियां दूर होती है. तांबे का चिकित्सा में इस्तेमाल काफी पुराना है. अब तो आधुनिक चिकित्सा शास्त्र में भी मानने जाने लगा है कि तांबा स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है. प्राचीन मिस्र में जहां इसका उपयोग पानी को शुद्ध करने के लिए किया जाता था वही पूरी दुनिया में तांबे का इस्तेमाल गले के खराब, नेत्र संक्रमण और त्वचा संबंधित बीमारियों से राहत पाने के लिए किया जाता रहा है.
आधुनिक विज्ञान की माने तो इसमें एंटीमाइक्रोबियल्स पाया जाता है यह जीवाणुओं के प्रसार को रोकता है. त्वचा में निखार लाता है. पेट के कीड़ों को मारता है, बढ़ती उम्र में होने वाले रक्तचाप की समस्या और रक्त विकार रोगों से मुक्ति दिलाता है और अम्लता से होने वाले सिर दर्द, चक्कर आना, पेट में जलन आदि को भी दूर करता है.
अंबर-
अंबर से बने गहने गर्दन और गले की परेशानियों से बचाव करते हैं. अंबर के ब्रेसलेट को पहनना गठिया के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होता है. इतना ही नहीं अंबर के गहने पहनने से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है और थकान दूर होता है. यही वजह है कि 50 साल की उम्र के बाद अंबर धारण करने की सलाह दी जाती है.
यह उम्र के साथ बढ़ने वाली समस्याओं को कम करता है लोगों की रक्षा के लिए अंबर ताबीज का इस्तेमाल भी किया जाता है. अंबर के गहने गले में पहनने से गले में दर्द और सूजन दूर होता है. धातुओं के गहने ना सिर्फ आपकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं बल्कि कई रोगों से बचाव करने में भी मददगार होते हैं.