हेल्थ डेस्क- आज के समय में यूरिक एसिड का शरीर में बढ़ना एक आम समस्या हो गया है. जिसके कारण जोड़ों में दर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही है. यदि इसे समय पर इलाज न किया जाए तो यह अपंगता और लंगड़े पन का कारण बन सकता है. यूरिक एसिड बढ़ने पर शरीर देता है यह संकेत, नजरअंदाज करना बना सकता है लंगड़ा, जाने नियंत्रित करने के उपाय
यूरिक एसिड क्या है ? What is uric acid?
आयुर्वेद के अनुसार यूरिक एसिड में वात एवं रक्त एक साथ प्रकुपित होती हैं. बढ़े हुए दूषित रक्त के द्वारा वायु का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है, रुकी हुई वायु फिर से पूरी रक्त को दूषित कर देती है. यह दूषित रक्त धीरे-धीरे नीचे पैरों में जमा हो जाता है एवं वायु के साथ मिलकर वात रक्त रोग उत्पन्न करता है. सामान्य तौर पर यूरिक एसिड महिलाओं में 2.6 से 6.0 mg/dl एवं पुरुषों में 3.4 से 7.0 mg/dl होना चाहिए.

पेशाब में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ना अक्सर गठिया रोग का संकेत देती है. गठिया रोग में जोड़ों में दर्द व हाथ लगाने पर दर्द होने लगता है. इसमें पैरों की बड़ी अंगुलियों में सूजन और दर्द होने लगता है.
शरीर में यूरिक एसिड कैसे बनता है ? How is uric acid made in the body?
आपके शरीर की किडनी जब किसी कारण से अपना काम सही ढंग से नहीं कर पाती है तो यूरिक एसिड की समस्या होने लगती है. किडनी का काम है हानिकारक पदार्थों को पेशाब के साथ बाहर निकाल देना और जब किडनी के इस काम को करने की क्षमता कम हो जाती है तो शरीर में यूरिया एसिड जमा होने लगता है. बढ़ा हुआ यूरिक एसिड हड्डियों के बीच जमा होने लगता है और उसे आपको यूरिक एसिड के लक्षण महसूस होने लगते हैं.
आप जो कुछ भी खाते हैं उससे यूरिक एसिड का निर्माण होता है. इसमें से अधिकांश यूरिक एसिड किडनी और द्वारा फिल्टर होकर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाते हैं. लेकिन अगर यूरिक एसिड शरीर में ज्यादा बन रहा हो या आपकी किडनी फिल्टर नहीं कर पाती है तो रक्त में यूरिक एसिड का लेबल बढ़ने लगता है. यही कुछ समय बाद हड्डियों में जमा होने लगता है और आपको यूरिक एसिड के लक्षण महसूस होने लगते हैं.
यूरिक एसिड बढ़ने के क्या कारण हैं ? What are the causes of increased uric acid?
वैसे तो माना जाता है कि आहार के कारण यूरिक एसिड बढ़ता है. लेकिन इसके अलावा भी और कई कारण है जिसके वजह से यूरिक एसिड बढ़ता है जैसे-
- जब किसी कारण से गुर्दे खराब होने की वजह से फिल्ट्रेशन की क्षमता कम हो जाती है तो यूरिया यूरिक एसिड में परिवर्तित हो जाता है. जिसके परिणाम स्वरूप हड्डियों के बीच में जमा हो जाता है.
- आपके आहार में प्युरिन ज्यादा होने की वजह से भी यूरिक एसिड ज्यादा बनने लगता है.
- जो व्यक्ति अधिक मात्रा में शराब का सेवन करते हैं अक्सर उनका यूरिक एसिड बढ़ जाता है.
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- आयरन हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण होती है लेकिन जब शरीर में यह अधिक मात्रा में होने लगता है तो यूरिक एसिड बढ़ जाता है.
- जिन व्यक्तियों को उच्च रक्तचाप की समस्या रहती है उनका यूरिक एसिड बढ़ जाता है.
- थायराइड की मात्रा जिन व्यक्तियों में ज्यादा या कम होती है उन्हें भी यूरिक एसिड बढ़ जाता है.
- अधिक मोटापा का होना भी यूरिक एसिड बढ़ने का कारण माना जाता है.
यूरिक एसिड बढ़ने पर शरीर देता है यह संकेत- When uric acid increases, the body gives this signal-
- यूरिक एसिड बढ़ने पर आपके पैरों के जोड़ों में दर्द होने लगता है. पैरों की एड़ियों में दर्द महसूस होता है. जोड़ों में सूजन हो सकता है.
- जोड़- जोड़ में सुबह- शाम एक दर्द होना या फिर दर्द कम या ज्यादा होना यूरिक एसिड बढ़ने का संकेत है.
- एक जगह देर तक बैठने पर उठने में पैरों की एड़ियों में सहन ना होने वाला दर्द होना और कुछ समय बाद दर्द सामान्य या ठीक हो जाना यूरिक एसिड बढ़ने का संकेत है.
- पैरों, जोड़ों, अंगुलियों, गाठों में सूजन होना.
- आपके शरीर में शर्करा का लेवल बढ़ जाना यूरिक एसिड के लक्षणों में शामिल है.
- यह रोग जोड़ों विशेषतया छोटी जोड़ों से शुरू होता है. हाथ और पैरों की अंगुलियों में या अंगूठे में तेज दर्द के साथ रोग शुरू होता है.
- प्रायः यह दर्द रात के समय होती है और रोगी को नींद नहीं आती है.
- यूरिक एसिड बढ़ने के संकेतों में आपको बुखार, अत्यधिक प्यास लगने की समस्या होने लगती है.
- शरीर में कंपन होना यूरिक एसिड के संकेतों में शामिल है.
- जोड़ों में लालपन व सूजन होना यूरिक एसिड बढ़ने के संकेत हैं.
- कुल मिलाकर कहा जाए तो यदि आपके जोड़ों में अकड़न, दर्द, सूजन की समस्या हो तो यह यूरिक एसिड बढ़ने का संकेत दे रहा है. यदि इसका इलाज समय पर ना किया जाए तो इसके कारण जोड़ों में अत्यधिक दर्द, अकड़न व सूजन होकर आपको लंगड़ा या अपंग बना सकता है.
बढ़े हुए यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के घरेलू उपाय-Home remedies to control high uric acid
1 .बेकिंग सोडा-
बेकिंग सोडा यूरिक एसिड को कम करने के लिए काफी लाभदायक होता है. इसके लिए एक गिलास पानी में आधा चम्मच बेकिंग सोडा घोलकर प्रतिदिन पिएं. ऐसा करने से 1 से 2 सप्ताह में यूरिक एसिड का स्तर कम हो जाता है.
2 .सेब का सिरका-
यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के लिए सेब का सिरका काफी मददगार होता है. इसके लिए एक गिलास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें. दो-तीन सप्ताह तक इसका नियमित सेवन करने से यूरिक एसिड का स्तर नियंत्रित हो जाता है. आपको दर्द से काफी राहत मिलता है.
3 .अजवाइन-
हर घर में मसाले के रूप में इस्तेमाल होने वाला अजवाइन यूरिक एसिड के स्तर कम करने में मददगार होता है. इसके लिए एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें. अब उसे मसल कर छानकर सुबह खाली पेट पी लें. नियमित इसका सेवन करने से कुछ ही दिनों में यूरिक एसिड की समस्या से निजात मिल जाता है.
4 .बथुआ-
बथुआ का सेवन करना यूरिक एसिड को नियंत्रित करने में काफी मददगार होता है. इसके लिए बथुआ के पत्तों का जूस निकालकर सुबह खाली पेट सेवन करना चाहिए. इस बात का ध्यान रखें कि इसका सेवन करने की बाद 2 घंटे तक भी नहीं खाएंगे. इसका असर 1 सप्ताह में ही आपको नजर आने लगेगा.
5 .भरपूर मात्रा में पिएं पानी-
शरीर को हाइड्रेट रखकर आप यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित रख सकते हैं. शरीर में पानी का उचित स्तर यूरिक एसिड को बाहर निकालने के लिए जरूरी होता है. इसलिए थोड़ी- थोड़ी देर में पानी पीते रहना चाहिए.
6 .जैतून का तेल-
जैतून के तेल से बना हुआ आहार का सेवन करना शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है. इसमें विटामिन ई इत्यादि पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं जो यूरिक एसिड को कम करते हैं. यह यूरिक एसिड को कम करने की बहुत ही अच्छी आयुर्वेदिक दवा के रूप में काम करता है. प्रतिदिन सुबह आधा चम्मच की मात्रा में जैतून के तेल का भी सेवन कर सकते हैं.
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7 .अलसी-
अलसी के बीज का सेवन करना कई बीमारियों को दूर रखने के साथ भी यूरिक एसिड को भी कम करने में मददगार होता है. इसके लिए भोजन के आधे घंटे बाद अलसी के बीज को चबाकर खाना चाहिए. यह यूरिक एसिड को कम करने में काफी असरदार है.
8 .कच्चा पपीता-
एक कच्चा पपीता लेकर से काटकर बीजों को अलग कर लें और इसको 2 लीटर पानी में 5 मिनट के लिए उबाल लें. इस पानी को ठंडा करके छान लें और फिर दिन में दो-तीन बार पिएं. इसके सेवन से यूरिक एसिड नियंत्रित हो जाता है.
नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.