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जठर अत्यम्लता ( Hyperacidity ) क्या है ? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

By : Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)In : Health TipsRead Time : 1 MinUpdated On December 3, 2021

हेल्थ डेस्क- इसे अम्लता, एसिडिटी, हाइपरक्लोरहाइड्रिया ( Hyperchlorhydriya ) नाम से जाना जाता है.

जठर अत्यम्लता (Hyperacidity ) क्या है ?

जठर अत्यम्लता ( Hyperacidity ) क्या है ? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

आमाशय के किसी विशेष कारणों से उत्तेजित होने के कारण प्राकृतिक रूप से बनने वाला हाइड्रोक्लोरिक एसिड जरुरत से ज्यादा बनने लगता है. जिससे नाभि के आसपास जलन, खट्टी डकारें आदि लक्षण हो जाते हैं. इस अवस्था को जठर अत्यम्लता ( Hyperacidity ) या एसिड डिस्पेप्सिया कहते हैं.

 जठर अत्यम्लता (Hyperacidity ) होने के क्या कारण है ?

1 .जिन कारणों से अमाशय रस अधिक बनता है, उन्हीं कारणों से इसके लक्षण पैदा होते हैं.

2 . कुछ व्यक्तियों में यह अम्ल स्वाभाविक रूप से ही ज्यादा उत्पन्न होने लगते हैं.

3 . जो व्यक्ति अधिक सोच- विचार, चिंता और तनाव में रहते हैं उन्हें यह बीमारी हो जाती है.

4 . भोजन समय पर नही करना इस बीमारी का कारण बनता है.

5 . शराब, धुम्रपान तथा उतेजक खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन करना.

6 .पिताश्मारी, क्रोनिक एपेंडीसाइटिस और आमाशय व्रण ( पेप्टिक अल्सर ) आदि रोगों से ग्रसित व्यक्तियों में आमाशयिक रस ज्यादा बनता है.

जठर अत्यम्लता (Hyperacidity ) का लक्षण क्या है?

1 . मुंह का स्वाद ख़राब हो जाना.

2 . खट्टी डकारें आना.

3 . नाभि के आसपास जलन होना.

4 . चाय, कॉफी इत्यादि पीने से सम्पूर्ण ग्रासनलिका में जलन होती है.

5 . मुंह में खट्टा पानी भर जाता है.

6 . लक्षण भोजन करने के 1 या 2 घंटे बाद शुरू होता है.

7 . सोडाबाईकार्ब आदि एल्कालाइन के खाने से अथवा थोड़ा सा भोजन कर लेने से कुछ देर के लिए राहत मिल जाती है.

8 . ज्यादा उग्रवस्था में पेट में दर्द तथा पेट फूलने जैसी प्रतीत होती है.

9  . कोई- कोई व्यक्ति इससे बेचैन होकर अर्धरात्री के समय उठकर बैठ जाता है.

10 .भोजन सही ढंग से नही पच पाता है जिससे मल में अधपचा भोजन निकलता है. कभी- कभी अतिसार भी हो जाता है.

11 . नाभि प्रदेश में जलन के साथ दर्द, कंठ में जलन और क्षोभ, बेचैनी, नींद नही आना आदि लक्षण भी उत्पन्न होते हैं.

निदान - उपर्युक्त लक्षणों के आधार पर इस बीमारी के निदान में कोई कठिनाई नही होती है.

अम्लशूल ( acidity ) ज्ञात करने के लिए उपकरण-

ब्रेडफर्ड विश्वविद्यालय ( उतारी इंग्लैंड ) के वैज्ञानिकों ने शरीर में अम्लशूल ( acidity ) ज्ञात करने और उसे नियंत्रित करने के लिए एक उपकरण विकसित करने में सफलता हासिल की है. यह उपकरण रोगी की भोजन नली में अम्लीय पदार्थ का पता लगाता है.

यह उपकरण बहुत ही साधारण होता है. इस उपकरण में एक पतली सी नली होती है, जिसे नथुने में से हलक में पहुचाया जाता है. इस नली के सिरे पर सेंसर लगा होता है. जो भोजन नली में अम्लीयता को मापता है और इसकी सुचना एक इलेक्ट्रोनिक उपकरण पर आ जाती है. जिसे रोगी अपने कमर पर पहनता है. वीडियो कैसेट के आकर का यह उपकरण रोगी अपने कपड़ों के निचे पहन सकता है. इसे पहने से चलने- फिरने में कोई परेशानी नही होती है.

रोगी का परिक्षण समय समाप्त हो जाने पर आंकड़े अस्पताल में कंप्यूटर पर विश्लेषण के लिए डे दिए जाते हैं. इसके बाद पूरी रिपोर्ट, आंकड़े एवं जानकारी अध्ययन के लिए चिकित्सक के पास भेज दिए जाते हैं.

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 जठर अत्यम्लता (Hyperacidity ) का सामान्य चिकित्सा-

1 . इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की तरफ विशेष ध्यान देनी चाहिए. खट्टे, चरपरे और मसालेदार भोजन से परहेज करना चाहिए.

2 . इस रोग में प्रोटीन खाने से लाभ मिलता है. जैसे दूध, मांस, अंडा. लेकिन लगातार इसका सेवन ज्यादा करने से रोग बढ़ सकता है. इसलिए सिमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए.

3 .भोजन के पहले जैतून का तेल पीना फायदेमंद होता है. मृदु अवस्था या कुछ समय बाद मक्खन, मलाई आदि भी दिया जा सकता है.

4 . भोजन के समय ज्यादा पानी नही पीना चाहिए. भोजन के कुछ समय बाद जरुरी मात्रा में पानी पीना चाहिए.

5 .एक बार में भरपेट भोजन नही करना चाहिए, बल्कि थोड़ा- थोड़ा करके कई बार में खाना चाहिए.

6 . सुबह अंडा, पूर्वाह्न में लघु भोजन, दोपहर में दूध, अपराह्न में मक्खन, टोस्ट आदि और और रात्रि में लघु आहार लेना चाहिए.

7 .रात्रि में भोजन करने के बाद तुरंत नही सोना चाहिए, बल्कि थोड़ी देर टहलना चाहिए.

8 . सुबह जल्दी उठना और टहलना फायदेमंद होगा.

9 . सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना भी इस रोग से राहत देता है.

10 .रात को ताम्बे के वर्तन में पानी रखकर सुबह उस पानी को पीने से इस बीमारी में काफी राहत मिलती है.

जठर अत्यम्लता ( Hyperacidity ) का आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय-

1 .सौंफ-

एसिडिटी की समस्या होने पर सौंफ चबाना फायदेमंद होता है, क्योंकि सौंफ की तासीर ठंडी होती है इसे चबाकर खाने से पेट मे एसिडिटी के कारण हो रही जलन दूर होती है.

2 .अदरक-

एसिडिटी की समस्या होने पर अदरक का सेवन करना लाभदायक होता है, इसके लिए पानी के साथ अदरक के एक टुकड़े को उबालकर पिएं या फिर काला नमक में अदरक का एक टुकड़ा लपेट कर चूसें, आराम मिलेगा.

3 .आंवला-

आंवले का सेवन एसिडिटी को दूर करने में काफी मददगार होता है, पाचन संबंधी उपायों में यह गिना जाता है. एसिडिटी होने पर आंवले को काले नमक के साथ खाना फायदेमंद होता है. आप चाहे तो आंवले का मुरब्बा, जूस या आचार के रूप में सेवन कर सकते हैं.

4 .जीरा-

जीरा पाचन शक्ति को बेहतर बनाने में काफी लाभकारी होता है. एसिडिटी की समस्या होने पर आधे चम्मच जीरे को पानी में उबालकर पीना फायदेमंद होता है या 50 ग्राम जीरे को भुनकर 10 ग्राम कालानमक के साथ पीसकर 5 ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करें.

5 .पुदीना-

पुदीना पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में काफी मददगार होता है. इससे पेट में हो रही जलन को दूर करने में काफी मदद मिलती है. यदि एसिडिटी के कारण पेट में जलन हो रही है तो पुदीने की पत्तियां चबाने या फिर पानी में नींबू और पिसी हुई पुदीना पत्ती को काले नमक के साथ मिलाकर पिएं.

6 .इलायची-

एसिडिटी की समस्या से छुटकारा पाने में इलायची काफी मददगार होती है. यदि पेट में जलन हो रही है तो एक- दो इलायची को मुंह में लेकर चूसते रहें इससे काफी राहत मिलेगी.

7 .तुलसी की पत्तियां-

तुलसी की पत्तियां ना सिर्फ सर्दी, खांसी, जुकाम में फायदेमंद है बल्कि यह पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में भी काफी मददगार होता है. एसिडिटी की समस्या से बचने के लिए खाना खाने के बाद 5-7 तुलसी के पत्तों को चबाकर खाएं या फिर काढ़ा बनाकर पिएं.

8 .दालचीनी-

एसिडिटी की समस्या को दूर करने में दालचीनी एंटासिड की तरह काम करती है. इसके लिए एक कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी के पाउडर को मिलाएं और थोड़ी देर इसे उबालें. इसके बाद चाय की तरह पी लें.

9 .सेब का सिरका-

सेब के सिरके में अल्कालाइजिंग प्रभाव होता है जिसके कारण यह एसिडिटी की समस्या को दूर करने में मददगार होता है. इसके लिए एक कप पानी में दो चम्मच सेब का सिरका मिलाएं और इस मिश्रण को पी लें. ऐसी मात्रा दिन में दो-तीन बार पिएं.

10 .गुड़-

पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में गुड़ काफी मददगार होता है. गुड़ का सेवन पाचन क्रिया में अल्कलाइन को बनाता है जिससे एसिडिटी की समस्या दूर होती है. जब तक एसिडिटी नहीं चली जाती है तब तक खाना खाने के बाद हमेशा थोड़ा सा गुड़ को मुंह में लेकर चूसें.

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जठर अत्यम्लता (Hyperacidity ) का आयुर्वेदिक उपाय-

1 .स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण- इस चूर्ण को 5 से 15 ग्राम की मात्रा में रात को खाना खाने के बाद ठंढे पानी के साथ सेवन करने से सुबह एक- दो बार पतला पैखाना होकर पेट साफ होता है जिससे अम्लपित (acidity ) की समस्या से राहत मिलती है.

2 .शतपत्रादि चूर्ण या द्रक्षादी चूर्ण या श्रीखंड चूर्ण या दाड़ीमाष्ट्क चूर्ण 3 ग्राम, आधा ग्राम और प्रवाल पिष्टी आधा ग्राम मिलकर सेवन करें.

3 .चित्रकादि वटी 2 गोली दिन में 3 बार पानी या धनिया हिम के साथ सेवन करें.

4 .महाशंख वटी 2 गोली दिन में 2-3 बार गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से पेट से जुडी समस्याए गैस, कब्ज, एसिडिटी की समस्या दूर हो जाती है.

5 .चन्दनासव, उशीरासव, द्राक्षासव, धात्री रसायन, चन्द्रकला रस इत्यादि का सेवन करना अम्लपित में फायदेमंद होता है.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उदेश्य से लिखा गया है किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरुर लें. धन्यवाद.

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The information given on this website is based on my own experience and Ayurveda. Take the advice of a qualified doctor (Vaidya) before any use. This information is not intended to be a substitute for any therapy, diagnosis or treatment, as appropriate therapy according to the patient's condition may lead to recovery. The author will not be responsible for any damage caused by improper use. , Thank you !!

Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)

मैं आयुर्वेद चिकित्सक हूँ और जड़ी-बूटियों (आयुर्वेद) रस, भस्मों द्वारा लकवा, सायटिका, गठिया, खूनी एवं वादी बवासीर, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि रोगों का इलाज करता हूँ।

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