Ayurved Gyan Sagar Health, Food & Beauty Tips In Hindi

  • Question & Answer
  • Beauty Tips
  • Food
  • Health Tips
  • आरिष्ट /आसव / क्वाथ
  • बटी / गुग्गुल / रस
  • चूर्ण
  • More
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Contact Us
    • DMCA

रोग प्रतिरोधक क्षमता क्या है ? जानें कम होने के कारण, लक्षण और बढ़ाने के उपाय

By : Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)In : Health TipsRead Time : 2 MinUpdated On May 8, 2022

हेल्थ डेस्क- रोग प्रतिरोधक क्षमता हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक होता है क्योंकि यह हमारे शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति देने के साथ ही रोगों से मुक्त रखने में मददगार होता है. आज हम इस लेख के माध्यम से रोग प्रतिरोधक क्षमता क्या है ? हमारे शरीर में यह कम क्यों हो जाती है और इसे बढ़ाने के उपाय के बारे में बताएँगे.

रोग प्रतिरोधक क्षमता क्या है जानें कम होने के कारण, लक्षण और बढ़ाने के उपाय
रोग प्रतिरोधक क्षमता क्या है जानें कम होने के कारण, लक्षण और बढ़ाने के उपाय

रोग प्रतिरोधक क्षमता क्या है ? What is immunity?

रोग प्रतिरोधक क्षमता हमारे शरीर की वह शक्ति है जो हमारे शरीर को वैसे कीटाणुओं से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होते है जिससे हमारा शरीर रोगों से बचा रहता है. रोग प्रतिरक्षा का वर्णन सबसे पहले रूसी वैज्ञानिक द्वितीय मेनिकोव और फ्रांसीसी सूक्ष्म जीवविज्ञानी लुई पाश्चर ने किया था. प्रारंभ में रोग प्रतिरोधक क्षमता को केवल संक्रमण या संक्रामक रोगों के प्रति शरीर की प्रतिरक्षा के रूप में माना जाता था. लेकिन बाद में पता चला कि यह हमारे शरीर को सभी प्रकार की बीमारियों से लड़ने के साथ-साथ रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है. यह शरीर की कोशिकाओं को भी बदलता है. उदाहरण के लिए यदि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है तो आप कैंसर जैसी घातक बीमारी से भी लड़ सकते हैं.

  • जानिए- लू लगने के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय
  • कब्ज से छुटकारा पाने के आसान घरेलू उपाय

रोग प्रतिरोधक क्षमता के प्रकार-

यह दो प्रकार की होती है -1. जन्मजात और 2. योगात्मक प्रतिरक्षा.

1 .जन्मजात रोग प्रतिरोधक क्षमता- यह व्यक्ति को रोगों से तो बचाती है लेकिन लंबे समय तक चलने वाली नहीं होती है.

2 .योगात्मक प्रतिरक्षा- यह बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है और विशिष्ट रोगजनकों के खिलाफ दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करता है.

रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के क्या कारण हैं ? What are the causes of low immunity?

क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोग दूसरों की तुलना में बार- बार बीमार क्यों पड़ते हैं ? इसका कारण यह है कि उनके शरीर में शायद कीटाणुओं और विषाणुओं से लड़ने की क्षमता नहीं है, जिसका अर्थ है कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम है या उनका प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर है.

रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कई कारण हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं-

1 .तनाव- लगभग हम सभी ने अपने जीवन में कभी न कभी तनाव महसूस जरुर किया होगा. तनाव सिरदर्द, सीने में दर्द, बेचैनी और समग्र तनाव की विशेषता है. ये सभी कारक मिलकर हमारी रोग प्रतिरोधक प्रणाली को अधिक मेहनत करने के लिए मजबूर करते हैं ताकि हमारा शरीर बीमारियों से लड़ सके. लेकिन कभी-कभी हमारा प्रतिरोधक क्षमता उनसे लड़ना नहीं जानता और कम इम्युनिटी का कारण बनता है.

  • SHARIRIK KAMJORI DUR KARNE KE UPAY- पुरुष अपनी शारीरिक कमजोरी दूर कर पाए नया जोश, जानें आयुर्वेदिक उपाय

2 .व्यायाम न करना- यह हमेशा आवश्यक नहीं है कि हमारा प्रतिरक्षा तंत्र हमारे शरीर के लिए हमेशा फिट रहे और हमारी जीवनशैली के अनुसार, एक अध्ययन से पता चलता है कि नियमित व्यायाम से न्यूट्रोफिल को कार्य करने में मदद मिलती है, न्यूट्रोफिल वे कोशिकाएं हैं. जो अवांछित और कभी-कभी खतरनाक सूक्ष्मजीवों को मारने का काम करते हैं. ये सूक्ष्मजीव स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं. इस तरह से व्यायाम न करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है.

3 .पर्याप्त नींद न लेना- क्या आप जानते हैं कि जब आप सो रहे होते हैं, तब भी संक्रमण से लड़ने वाली आपकी रक्त कोशिकाएं आपके शरीर से संक्रमणों को दूर रखने का काम कर रही होती हैं. इसलिए कम नींद और थकान भी कम इम्युनिटी का कारण हो सकता है.

4 .अनुचित आहार- यह अनुमान लगाया गया है कि हर साल 310,000 और 580,000 अमेरिकियों की मौत के लिए खराब आहार और व्यायाम की कमी एक साथ जिम्मेदार हैं. इसलिए जरूरी है कि संतुलित आहार लिया जाए. जिसमें सभी विटामिन, खनिज, पोषक तत्व, एंटीऑक्सीडेंट और आवश्यक तत्व मौजूद हों, दूसरी ओर, वसायुक्त जंक फूड से बचना चाहिए क्योंकि इनमें पॉलीअनसेचुरेटेड वसा होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को काम करने से रोकते हैं.

  • मात्र 10 दिनों में मधुमेह (डायबिटीज ) को जड़ से खत्म कर सकता है यह आयुर्वेदिक नुस्खा, आजमाकर देखें

रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के लक्षण क्या हैं ? What are the symptoms of low immunity?

जिस प्रकार मानव शरीर को सभी आवश्यक एवं जरूरतमंद खाद पदार्थों की जरूरत होती है उसी प्रकार से एक स्वस्थ और निरोग शरीर के लिए बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी मजबूत होना आवश्यक होता है. किसी व्यक्ति के अंदर उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो उसके लिए बहुत ही चिंता का विषय बन जाता है. जिस प्रकार से व्यक्ति के अंदर किसी बीमारी के अनेक लक्षण दिखाई देते हैं उसी प्रकार से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के भी कुछ प्रमुख लक्षण होते हैं जैसे-

  • तनाव महसूस होना.
  • अधिक सर्दी लगना.
  • पेट संबंधित परेशानियां होना.
  • चोट या घाव को ठीक होने में अत्यधिक समय लगना.
  • किसी भी प्रकार का संक्रमण होना.
  • अत्यधिक कमजोरी महसूस होना. .
  • बार-बार किसी बीमारी की चपेट में आना.

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय- Ways to increase immunity-

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आप निम्न आहार और उपाय कर सकते हैं जो इस प्रकार हैं-

1 .नियमित व्यायाम करें- नियमित व्यायाम हमारे रक्त संचार को बढ़ाकर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. इसलिए प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए.

2 .विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें- विटामिन डी का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है, खासकर जब हमारा शरीर सर्दी और फ्लू सहित श्वसन संक्रमण से लड़ता है. विटामिन डी प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन कुछ समय धुप में बैठना चाहिए. संतरा, मशरूम, सालमन मछली, अंडा, दूध आदि का सेवन करना चाहिए.

  • गुर्दे ( kidney ) की पथरी को जड़ से ख़त्म करने के आयुर्वेदिक उपाय

3 .ओवर-द-काउंटर दवाएं लेने से बचें- अत्यधिक नशीली दवाओं का सेवन आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली में हस्तक्षेप कर सकता है और आपके यकृत, गुर्दे और श्वसन प्रणाली के कार्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है. हालांकि दवाएं और एंटीबायोटिक्स शरीर को बीमारियों से ठीक करने में मदद करते हैं, लेकिन यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद नहीं करता है.

4 .कॉफी की जगह ग्रीन टी पिएं- हालांकि कॉफी में कुछ एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, लेकिन यह हमारे शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को रोकता है, इसलिए कॉफी की जगह ग्रीन टी पिएं, इससे आपका मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद मिलती है.

5 .धूम्रपान और शराब पीने से बचें- धूम्रपान, तंबाकू और शराब का सेवन आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली के कामकाज में हस्तक्षेप कर सकता है यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर सकता है. जिससे आपका शरीर कई बीमारियों से संक्रमित हो सकता है, इसलिए इन सभी का त्याग करें और अपने प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाएं. विषाक्त खाद्य पदार्थों से बचें इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.

6 .स्वच्छता बनाए रखें- अधिकांश संक्रमण दूषित सतहों को छूने और फिर उन्हें अपने मुंह, आंख, नाक पर लगाने से फैलते हैं. कुछ अच्छी आदतों को अपनाकर इस संक्रमण के होने की संभावना को दूर किया जा सकता है, जैसे- आस-पास साफ-सफाई का ध्यान रखना, खाना खाने से पहले और बाद में अच्छी तरह हाथ धोना, दूषित खाना न खाना, नाखून काटना आदि करें.

7 .पर्याप्त नींद लें- नींद की कमी आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करती है. इसलिए आपको हर दिन पर्याप्त नींद लेनी चाहिए.

8 .खुलकर हंसें- खुलकर हंसने से न सिर्फ आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है बल्कि आपका मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है, इसलिए जब भी मौका मिले अपने दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ खुलकर हंसें.

9 .प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें- तरबूज, व्हीटग्रास, दही, पालक, शकरकंद, ब्रोकली, लहसुन, अदरक, अनार का रस आदि जैसे प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें ताकि आपकी संपूर्ण प्रतिरक्षा में सुधार हो सके. तरबूज में ग्लूटाथियोन होता है, जो एक एंटीऑक्सिडेंट है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद करता है.

10 .प्राकृतिक काढ़े का सेवन- हमारे घरों में कुछ ऐसे भी प्राकृतिक रूप से मसाले मौजूद होते हैं जिनका हमारे आहार प्रतिदिन इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इनका काढ़ा बनाकर सेवन किया जाए तो यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत ही आसानी से बढ़ा सकते हैं. आप काढ़े के रूप में काली मिर्च, मेथी दाना, हल्दी, दालचीनी, इलायची, अदरख और लौंग इत्यादि प्राकृतिक मसाले का सेवन कर सकते हैं. इन सभी में आपको एंटीऑक्सीडेंट तत्व मौजूद होता है. जिसके कारण यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्राकृतिक रूप से बढ़ाने में मददगार होता है.

11 .विटामिन सी का सेवन- विटामिन सी के सेवन से हमारे शरीर की हड्डियों को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त मानवीय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी हद तक हमारी मदद करता है. विटामिन सी के रूप में आप शिमला मिर्च, आंवला, पपीता, संतरा और अमरुद जैसी प्राकृतिक चीजों का सेवन कर सकते हैं क्योंकि इन सभी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट तत्व मौजूद होते हैं जो आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करते हैं.

  • स्वास्थ्य के साथ ही सुंदरता बढ़ाने के लिए अमृत समान गुणकारी है शहद, जाने इस्तेमाल करने के तरीके एवं फायदे
  • मलेरिया बुखार होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

12 .फल का सेवन- हमारे पृथ्वी पर फलों के अनेक प्रजातियां पाई जाती है. ऐसे में कुछ फल होते हैं जो आपक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ आपके शरीर में मौजूद सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में भी बढ़ोतरी करने का काम करते हैं. आपको संतरा, नींबू, चकोतरा, कीनू, कीवी ऐसे फल मिल जाएंगे जो स्वाद में खट्टे तो होते हैं लेकिन इनके अंदर प्रचुर मात्रा में विटामिन सी मौजूद होती है. जिन फलों का स्वाद अत्यधिक खट्टा होता है. इन सभी फलों में आपको भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है. जिसकी वजह से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में यह सभी फल मददगार होते हैं. आप इन सभी फलों को नियमित रूप से अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं और खुद को रोगों से लड़ने में सक्षम बना सकती हैं.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है अधिक जानकारी के लिए योग्य चिकित्सक की सलाह लें. धन्यवाद.

Hashtag: Ways to increase immunity- What is immunity? रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण- रोग प्रतिरोधक क्षमता क्या है जानें कम होने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय- लक्षण और बढ़ाने के उपाय

शेयर
  • Facebook
  • Twitter
  • Pin It
  • Email
  • LinkedIn
  • WhatsApp

Read Also

  • रात भर सोने के बाद भी दिन में आती रहती है नींद तो हो सकती है इन बीमारियों का संकेत

    रात भर सोने के बाद भी दिन में आती रहती है नींद तो हो सकती है इन बीमारियों का संकेत

  • Old to old joint pain will go away quickly, Ayurvedic doctor told 5 effective home remedies

    Old to old joint pain will go away quickly, Ayurvedic doctor told 5 effective home remedies

  • Know- Psoriasis Causes, Symptoms and Ayurvedic and Home Remedies

    Know- Psoriasis Causes, Symptoms and Ayurvedic and Home Remedies

-: Note :-

The information given on this website is based on my own experience and Ayurveda. Take the advice of a qualified doctor (Vaidya) before any use. This information is not intended to be a substitute for any therapy, diagnosis or treatment, as appropriate therapy according to the patient's condition may lead to recovery. The author will not be responsible for any damage caused by improper use. , Thank you !!

Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)

मैं आयुर्वेद चिकित्सक हूँ और जड़ी-बूटियों (आयुर्वेद) रस, भस्मों द्वारा लकवा, सायटिका, गठिया, खूनी एवं वादी बवासीर, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि रोगों का इलाज करता हूँ।

Reader Interactions

Comments ( 0 )

See Comments»

Leave a Reply 😃 Cancel reply

Primary Sidebar

Recent Posts

  • What are the health benefits of black grapes ?
  • Why is it important to walk everyday? know the benefits
  • What is the benefit of our body by walking ?
  • How many steps per day should you take according to your age? Know 10 benefits of walking
  • What is the difference between Type-1 and Type-2 diabetes? Know the symptoms and treatment

Categories

  • ASTROLOGY
  • Beauty Tips
  • Food
  • Health Tips
  • OTHER
  • Question & Answer
  • Uncategorized
  • आरिष्ट /आसव / क्वाथ
  • चूर्ण
  • बटी / गुग्गुल / रस
  • भस्म




Footer

Copyright © 2023 · -Ayurvedgyansagar.com