हेल्थ डेस्क- कुछ महिलाओं में मासिक धर्म प्रारंभ होने से पहले सिर दर्द, उल्टी, मितली आदि लक्षण मिलते हैं जो एक स्वाभाविक मासिक स्राव में नहीं मिलते हैं. इस रोग में शरीरकोशा में वाह्य जल का संचय होता है.

आर्तवपूर्वी तनाव ( Pre- menstrual Tension ) क्या है ?
मासिक धर्म जिसे आमतौर पर एक महिला की अवधि के रूप में जाना जाता है. गर्भाशय की आंतरिक परत पर म्यूकोसल उत्तक और रक्त की नियमित रिहाई होती है. 80% तक महिलाएं मासिक धर्म के समय कुछ चेतावनी का संकेत देती हैं जैसे- मुहासे, कोमल स्तन, सूजन, थका हुआ महसूस करना, भोजन की लालसा यानी चटपटा खाने की इच्छा होना, थकान महसूस करना, चिड़चिड़ापन ये नियमित मासिक धर्म के लक्षण है और जब वह दैनिक जीवन की गतिविधियों में हस्तक्षेप करते हैं तो उन्हें आर्तवपूर्वी तनाव ( Pre- menstrual Tension ) कहा जाता है.
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आर्तवपूर्वी तनाव ( Pre-menstrual Tension ) होने के कारण क्या है ?
यह रोग किन कारणों से होता है अभी तक विद्वानों में मतभेद है. कुछ विद्वान इसका कारण मन की भावुकता मानते हैं तथा कुछ प्रोजेस्टेरोन की अपेक्षा इस्ट्राडियोल की अधिक मात्रा में उपस्थिति मानते हैं. कुछ विद्वान इसका कारण द्वितीयक एल्डोस्टरौनिज्म को मानते हैं. यह तनाव प्रायः बिजस्फोट के चक्र के समय ही होता है.
आर्तवपूर्वी तनाव ( Pre- menstrual Tension ) रोग के लक्षण क्या है ?
यह रोग विशेष रूप से 30- 40 वर्ष की अवस्था वाली महिलाओं में मिलता है. इसमें सिर दर्द के साथ उल्टी, हल्लास आदि के तीव्र लक्षण होती हैं. महिला को मलावरोध ( Constiptian ) हो जाता है. किसी- किसी को अतिसार हो जाता है. महिला के भार में बढ़ोतरी हो जाती है. उसके स्तन भरे हुए तथा शूलयुक्त हो जाती हैं. पैरों पर शोथ हो जाता है. महिला को प्रक्षुब्धता ( Irritability ) बढ़ जाती है. किसी- किसी को अनिद्रा और किसी- किसी को अपस्मार जैसा दौरा पड़ता है.

आर्तवपूर्वी तनाव ( Pre- menstrual Tension ) के भावनात्मक और व्यवहार संबंधी लक्षण-
तनाव या चिंता.
मन का उदास रहना.
दुख की घड़ियां.
चिड़चिड़ापन या क्रोध होना.
भूख में बदलाव यानी भोजन की लालसा होना.
नींद नहीं आना.
समाज से दूरी बनाना यानी अलग रहना पसंद करना.
एकाग्रता में कमी होना.
आर्तवपूर्वी तनाव ( Pre- menstrual Tension ) के शारीरिक लक्षण-
जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द.
सिर दर्द होना.
द्रव प्रति धारणा से संबंधित वजन बढ़ना.
पेट में सूजन होना.
स्तन कोमलता.
मुहासा निकलना.
थकान महसूस करना.
कब्ज रहना या अतिसार ( दस्त ) होना.
उपर्युक्त लक्षणों का प्राकृतिक आर्तव स्राव की अवस्था में पूर्ण रुप से अभाव रहता है. यह लक्षण मासिक स्राव के साथ- साथ समाप्त हो जाते हैं. प्रसव के पश्चात् तो पूर्ण रूप से समाप्त हो जाते हैं.
आर्तवपूर्वी तनाव ( Pre- menstrual Tension ) का आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय-
1 .जैसा कि बताया जा चुका है कि शरीरकोश में बाह्य जल का संचय होता है. इसका निराकरण करना आवश्यक है इसके लिए नौसादर 1 ग्राम की मात्रा में दिन में दो-तीन बार देते हैं. ताकि खुलकर पेशाब आती रहें और संचित द्रव्य पेशाब द्वारा बाहर निकल सके.
2 .पेशाब लाने के लिए अन्य उपयोगी उत्कृष्ट औषधियों का उपयोग करना चाहिए.
3 .आरोग्यवर्धिनी वटी उष्ण जल के साथ सुबह खाली पेट देना चाहिए. साथ ही सोंठ का चूर्ण 3 से 5 ग्राम की मात्रा में दिन में एक बार गर्म पानी के साथ दें.
4 .अतिसार की अवस्था में चुटकी भर हींग गर्म पानी के साथ सेवन कराएं अथवा त्रिकटु चूर्ण का सेवन कराना चाहिए.
5 .मलावरोध की अवस्था में एक ऑंस कास्टर आयल 8 ऑंस गर्म दूध में मिलाकर प्रति दूसरे दिन रात को सोने से पहले देना चाहिए.
6 .अशोकारिष्ट 20 मिलीलीटर उतना ही पानी मिलाकर सुबह-शाम रोगी को पिलाना चाहिए.
7 .इसके लक्षणों को कम करने के लिए कैल्शियम, विटामिन बी, सी और विटामिन ई जैसे आहार का सेवन करना लाभदायक होता है.
नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. अधिक जानकारी के लिए योग्य स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह लें. धन्यवाद.
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