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महिलाओं का सोम रोग क्या है ? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

By : Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)In : Health TipsRead Time : 1 MinUpdated On April 4, 2022

हेल्थ डेस्क- इस रोग में महिला की योनि से निर्मल, शीतल, गंध रहित, साफ, सफेद और पीड़ारहित पानी अत्यधिक मात्रा में बढ़ता रहता है. महिला इस पानी के वेग को रोकने में असमर्थ रहती है. वह अत्यंत दुर्बल होने के कारण बेचैन रहती है. माथा शिथिल हो जाता है. मुंह एवं तालू सूख जाते हैं. महिला में बेहोशी, जम्हाई, त्वचा में रूखापन तथा खाने-पीने की वस्तुओं से कभी तृप्ति नहीं होती है. इन लक्षणों से युक्त महिला सोम रोग से पीड़ित होती है क्योंकि इस रोग में सोम धातु का नाश हो जाता है इसलिए इसे सोम रोग कहते हैं.

महिलाओं का सोम रोग क्या है ? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
इस रोग को सामान्य भाषा बहुमूत्र या डायबिटीज इन्सीपीटस कहते हैं. प्रदर की तरह ही सोम रोग महिलाओं को होता है.
सोम रोग होने के कारण क्या है ?
अत्यधिक शारीरिक संबंध बनाना, शोक, चिंता, अत्यधिक परिश्रम, बुखार अधिक दिनों तक लगने के कारण, ऐसे पदार्थों का सेवन करना जिससे कृत्रिम बिष बन जाता हो, अत्यधिक अतिसार उत्पन्न करने वाली औषधियों के प्रयोग से संपूर्ण शरीर की अल्प धातु क्षुभित होकर अपने स्थान से निकलकर वस्ति स्थान में आ जाती है और मूत्र मार्ग से बाहर आने लगती है.
सोम रोग के लक्षण क्या है ?
सोम रोग में जो स्राव होता है वह स्वच्छ, निर्मल, शीतल, गंध रहित, पीड़ा रहित, सफेद होता है. रोग के बढ़ने पर महिला अतिशय कमजोर हो जाती है. उसका वस्ति इतना कमजोर हो जाता है कि वह पेशाब के वेग को नहीं रोक पाती है. उसे सुख नहीं मिलता है, उसका सिर सिथिल हो जाता है. मुंह और तालू सूखने लगते हैं. मूर्छा, जम्हाई, तथा प्रलाप होता है. त्वच अत्यंत रुक्ष से हो जाती है. भक्ष्य, भोज्य तथा पेय पदार्थों से तृप्ति नहीं होती है. रोग के अतिशय बढ़ जाने पर महिला पेशाब के वेग को 1 मिनट के लिए भी नहीं रोक पाती है. उठते- उठते ही पेशाब हो जाता है.
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जब महिला का सोम रोग पुराना हो जाता है तब वह मुत्रातिसार में परिवर्तित हो जाता है. पहले तो सोम रोग की दशा में पानी जैसा पदार्थ बहता रहता है. लेकिन बाद में बारंबार पेशाब होता रहता है. पेशाब की मात्रा भी अधिक होती है. यदि महिला थोड़े समय के लिए पेशाब को रोकना चाहे तो वह रोकने में पूर्ण रूप से असमर्थ हो जाती है. इस प्रकार महिला की संपूर्ण शक्ति नष्ट हो जाती है और वह मृत्यु को प्राप्त हो जाती है.
महिलाओं का सोम रोग क्या है ? जाने कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
सोम रोग का निदान-
उपर्युक्त कारणों से रोग का निदान सुविधा अनुसार हो जाता है. प्रदर की भांति सोम रोग भी महिलाओं में मिलने वाला रोग है. श्वेत प्रदर में अपत्य मार्ग से पानी आता है. गर्भाशय और योनि मार्ग में इससे संबंधित विकार रहते हैं. लेकिन सोम रोग में ऐसा नहीं होता है. सोमरोग पेशाब का एक शुद्ध रोग है. यह वस्ति से मूत्र मार्ग द्वारा निकलता है. सोम में महिला अक्सर कमजोर हो जाती है. उसका स्वास्थ्य शीघ्र ही नष्ट हो जाता है. मूत्र त्याग के समय पीड़ा का अनुभव होता है. सोम रोग के समय प्यास के जो लक्षण मिलते हैं वे आगे चलकर मुत्रातिसार में बदल जाते हैं.
सोम रोग दूर करने के आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय-
सबसे पहले रोग के कारणों की चिकित्सा करनी चाहिए. शारीरिक संबंध, चिंता, शोक आदि का परित्याग किया जाना चाहिए. रक्त की अम्लता दूर करने के लिए दो-चार दिन फलाहार पर रखकर एनिमा आदि के पेट साफ करके चिकित्सा करने से अधिक लाभ होता है.
जब योनि से निरंतर स्राव बहता हो और उसके बंद होने के लक्षण कम दिखाई देते हो तो स्तंभन चिकित्सा करनी चाहिए.
उपर्युक्त चिकित्सा सिद्धांतों का पालन करते हुए निम्न औषधियों द्वारा आवश्यकतानुसार चिकित्सा करने से यह रोग ठीक हो जाता है.
1 .बसंत कुसुमाकर रस 120 मिलीग्राम जामुन के बीज का चूर्ण 1 ग्राम को मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से अच्छा लाभ होता है. रस रत्नाकर की इंदु बटी 240 मिलीग्राम तथा छोटी इलायची 240 मिलीग्राम की मात्रा में मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से अच्छा लाभ होता है.
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2 .वन्गाष्टक भस्म 240 मिलीग्राम की मात्रा में दिन में दो बार शहद के साथ सेवन करें. इसके बाद ऊपर से हल्दी का चूर्ण 1 ग्राम और 100 ग्राम आंवले के रस में मिलाकर सेवन कराएं. यह इस रोग का सबसे अच्छा प्रभाव कारी उपाय है.
3 .शतावरी चूर्ण 12- ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद और मिश्री के साथ सेवन करने से सोम रोग दूर होकर शरीर पृष्ठ- पुष्ट बन जाता है.
4 .बृहद सोमनाथ रस इसकी 1-2 गोली शहद, पक्का केला, आंवले का रस और शहद अथवा बृहद धात्रीघृत के साथ दिन में दो- तीन बार सेवन करने से अच्छा लाभ होता है.
5 .आशु कारी अवस्था में मुत्राशय शोधन के लिए सारिवा फांट या प्रदाह शमनार्थ शामक अनुपान देना चाहिए. पुराने रोग में इस रस के साथ सरिवासव शिलाजीत मिला कर देना फायदेमंद होता है.
6 .सोमनाथ रस 1-2 गोली दिन में दो बार सुबह- शाम पके केले तथा शहद मिले आंवले के रस के साथ सेवन करने से अच्छा लाभ होता है.
सोम रोग के शुरू में बहुधा मुत्राशय प्रदाह होता है उस समय मूत्राशय में दाह, मूत्र मार्ग में दर्द और कष्ट के साथ मूत्र त्याग होता है. तत्पश्चात रोग के पुराने होने पर जल की तरह स्राव होता रहता है. दर्द का प्रायः अभाव रहता है मूत्र धारण शक्ति का ह्रास हो जाता है और महिला धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है. इस चिरकारी अवस्था में इस ( सोमनाथ ) रस का प्रयोग करना चाहिए.
विशेष चिकित्सा- 1 .सोम रोग में महिला को प्यास अधिक लगती है, मूत्र का परिमाण घटाने के लिए कदलीयोग, शतमूली योग, खजूरी योग 1 बार प्रतिदिन सेवन कराएं. दूसरी बार तालकेश्वर रस सेवन कराएं.
2 .कब्ज की अवस्था में चंद्रप्रभा वटी और हेममुद्गर को एक साथ सेवन कराएं. इसके बाद हेमनाथ रस, सोमनाथ रस, या सोमेश्वर रस का प्रयोग करें. साथ ही मलावरोध के लिए अन्य औषधियां अलग से दे सकते हैं.
3 .मधुमेह के लक्षण होने पर वृहद पूर्णचंद्र रस, वसंत कुसुमाकर रस अथवा वृहद बंगेश्वर रस सेवन कराएं. कदल्यादि घृत मूत्र के परिमाण को कम करने के लिए विशेष उपयोगी है. इसका प्रयोग मधुमेह में भी किया जाता है.
4 .सोम रोग में अफीम मिश्रित औषधियां अच्छा लाभ करता है. पर इनसे मलावरोध की अधिक संभावना रहती है, ऐसी अवस्था में मलावरोध निवारक दवाओं का भी साथ में प्रयोग करते रहना चाहिए.
5 .सोम रोग के सभी अवस्थाओं में वृहद पूर्णचंद्र 240 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम केले में रखकर खिलाते रहने से पूर्ण लाभ होता है.
6 .रस सिंदूर 120 मिलीग्राम, शहद 24 ग्राम और आमलकी रस दो ऑंस मिलाकर सुबह-शाम सेवन कराने से सोम रोग में अच्छा लाभ होता है.
7 .लौह भस्म 60 से 120 मिलीग्राम की मात्रा में खिलाकर ऊपर से गिलोय और त्रिफला का क्वाथ पिलाने से सोम रोग जल्दी ठीक हो जाता है.
7 .भिंडी की जड़, सूखा पिंडारू, सूखे आंवले, विदारीकंद प्रत्येक औषधि 48 ग्राम, उड़द का चूर्ण 24 ग्राम, मुलेठी 24 ग्राम सबको कूट पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें. अब इस चूर्ण में से 6 ग्राम की मात्रा में सेवन करें तथा ऊपर से मिश्री मिला हुआ गाय का दूध पिलावें. इस औषधि को सुबह-शाम सेवन कराने से अच्छा लाभ होता है.
8 .केले की पक्की फली, आंवले का रस और शहद और मिश्री सबको मिलाकर खाने से अच्छा लाभ होता है.
9 .आधा चम्मच शतावर का चूर्ण खाकर ऊपर से दूध पीने से सोम रोग जल्दी ठीक होता है.
10 .विदारीकंद, उरद का आटा, मुलेठी शहद और मिश्री सबको बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से सोम रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है.
11 .नागकेसर को मट्ठा के साथ पीसकर पीने और मट्ठा तथा भात का सेवन करने से सोम रोग खत्म हो जाता है.
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12 .यदि दर्द के साथ सोम रोग हो तो शराब में तेजपात और इलायची का चूर्ण मिलाकर पिलावें. इसमें लोध्रासव  का प्रयोग भी फायदेमंद होता है.
13 .आंवले की गुठली को पानी से पीसकर कल्क बनावें और उसमें शहद मिलाकर सेवन करें. इससे सोम रोग तथा श्वेत प्रदर दोनों ही नष्ट हो जाते हैं.
14 .काला जीरा 36 ग्राम, काला नमक 12 ग्राम, कालीमिर्च 6 ग्राम, तुलसी पत्र 24 ग्राम सबको कूट पीसकर झरबेरी के बराबर गोली बना लें. अब इसमें से एक- एक गोली सुबह- शाम ताजे पानी के साथ सेवन करें. इसके नियमित सेवन करने से सोम रोग दूर हो जाता है.
15 .केले की पकी फली, विदारीकंद और शतावर का चूर्ण इन सबको एकत्र कर दूध के साथ सुबह-शाम प्रतिदिन पीने से सोम रोग नष्ट हो जाता है.
16 .ओंगा, आंवला, रतनजोत सभी औषधि 6-6 ग्राम पीसकर खाकर और ऊपर से 250 मिलीलीटर दूध 100 ग्राम मिश्री मिलाकर पिलाने से अच्छा लाभ होता है.
17 .कटसरैया का चूर्ण तिल के तेल में मिलाकर 7 दिन तक सेवन करने से श्वेत प्रदर तथा सोम रोग जड़ से खत्म हो जाता है.
18 .जामुन के बीज का चूर्ण 2 ग्राम शहद में मिलाकर चटायें और ऊपर से गाय का दूध पिलाएं. इससे सोम रोग एवं प्रदर दोनों ही ठीक हो जाते हैं.
19 .मुक्तासीपभस्म, उत्तर मूंगा भस्म और नाग भस्म 20-20 ग्राम ले. पहले सीप एवं मुक्ता भस्म को गुलाब जल में 3 दिन तक घोटे तत्पश्चात नाग भस्म मिलाकर रख लें. अब इसमें से 125 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह शाम केले की जड़ के रस एवं शहद के साथ सेवन कराएं. कुछ दिन तक इसका नियमित सेवन कराते रहने से सोम रोग में अच्छा लाभ मिलता है.
20 .गूलर की कच्ची फली के चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में दिन में 4- 5 बार सेवन कराने से सोम रोग नष्ट हो जाता है.
नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. अधिक जानकारी एवं किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.

Hashtag: bahumutrata som rog kya hai. महिलाओं का सोम रोग क्या है ? जाने कारण लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय सोम रोग के लक्षण क्या है ? सोम रोग दूर करने के आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय- सोम रोग होने के कारण क्या है ?

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The information given on this website is based on my own experience and Ayurveda. Take the advice of a qualified doctor (Vaidya) before any use. This information is not intended to be a substitute for any therapy, diagnosis or treatment, as appropriate therapy according to the patient's condition may lead to recovery. The author will not be responsible for any damage caused by improper use. , Thank you !!

Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)

मैं आयुर्वेद चिकित्सक हूँ और जड़ी-बूटियों (आयुर्वेद) रस, भस्मों द्वारा लकवा, सायटिका, गठिया, खूनी एवं वादी बवासीर, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि रोगों का इलाज करता हूँ।

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