हेल्थ डेस्क- मांस पेशियों में ऐठन या दर्द होना टिटैनी का एक सामान्य लक्षण है. टिटैनी होने का मुख्य कारण शरीर में कैल्शियम की कमी का होना है जिसे हाइपर्कैल्सीमिया भी कहते हैं. टिटैनी आपके शरीर की किसी भी मांस पेशियों में हो सकती है. टिटैनी होने पर मांस पेशियों में ऐठन और दर्द लगातार बना रहता है.
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अपतानिका रोग को हस्तपाद आकर्ष, अल्प कैल्सियम रक्तता ( Hypocalcaemia ) आदि नामों से जानते हैं.

अपतानिका रोग क्या है?
हाथ-पैर या शरीर के किसी भी हिस्से में ऐंठन और दर्द होना अपतानिका रोग कहलाता है.
अपतानिक रोग होने के क्या कारण हैं ?
अपतानिका रोग में कैल्सियम की कमी हो जाती है. जिसके कारण शरीर में दौरे के रूप में टिटैनी होती है. कैल्सियम की कमी से मांसपेशियों तथा संज्ञावाही वाततंत्रिकाओं में अक्षमता या विक्षोभशीलता बढ़ जाती है. इस रोग में प्रधान रूप से हाथ और बाहू की मांसपेशियों में आकुंचन के दौरे होने लगते हैं.
शरीर में कैल्शियम की कमी के कई कारण हो सकते हैं. जैसे- गर्भावस्था, स्तनपान, कुपोषण विटामिन डी की कमी और कुछ दवाएं भी हाइपर्कैल्सीमिया का कारण बनते हैं. यह अक्सर हाथ- पैरों में होता है. इससे प्रभावित हिस्से में सूजन भी आ सकती है. इसके अलावा गले में टिटैनी होने से सांस लेने में भी परेशानी हो सकती है.
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टिटैनी होने की सबसे बड़ी वजह हाइपोथायरायडिज्म है. इसके लिए हाइपोथायरायडिज्म को समझना भी आवश्यक है. आपकी गर्दन में मटर के दाने की तरह चार ग्रंथियां होती है. इन्हें पैराथायराइड ग्रंथियां कहा जाता है. हाइपोथायरायडिज्म तब होता है जब यह ग्रंथियां शरीर में पर्याप्त मात्रा में पैराथायराइड हार्मोन नहीं बनाती है. यह हार्मोन नहीं बनने पर इन सभी का बैलेंस बिगड़ जाता है.
नसों, मांस पेशियों और दिल के ठीक से काम करने के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है. कैल्शियम कम होने से ही मांस पेशियों में दर्द, झुनझुनी और हार्ट से संबंधित समस्याएं शुरू हो जाती है. इस बीमारी का इलाज आसानी से किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए एक योग्य डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी बने. कैल्शियम की मात्रा को ठीक रखने के लिए अपने आहार को संतुलित करें. आहार लेने के साथ समय- समय पर खून की जांच भी आवश्यक है. अगर आप डॉक्टर की कहे अनुसार चलते हैं तो आप जल्द ही स्वस्थ हो सकते हैं.
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अपतानिका रोग के लक्षण क्या है ?
1 .आकुंचन के वेग के समय हाथ की अंगुलियों में प्रसार होता है, लेकिन हथेली संकुचित रहती है और एक दूसरे के साथ लग जाती है. अंगुलियां भी अंगूठे के साथ लगी रहती है.
2 .पैर में जब स्तंभ का प्रभाव होता है तब वह ऊपर और अंदर की ओर जकड़ा हुआ तथा अंगुलियों में एवं तलुवे की ओर संकुचित होता है.
3 .स्तंभ का वेग कुछ सेकंड रहता है. इसके पश्चात मांस पेशियां शिथिल हो जाती है.
4 .शरीर की अनेक मांस पेशियों में हल्के- हल्के कंपन होते हैं.
5 .तापक्रम प्रायः सामान्य रहता है. कभी-कभी हल्का बुखार हो सकता है.
6 .6 महीना से 2 वर्ष के बालकों में श्वासकृच्छता के लक्षण मिलते हैं. इसमें शीत लगने से गले में स्तम्भ हो जाता है. साथ ही श्वास अवरुद्ध के कारण बालक का शरीर नीला पड़ जाता है.
7 .मानसिक अशांति, चिंतनशीलता और स्मृति मन्दता,. विचार शक्ति की कमी आदि लक्षण भी मिल सकते हैं.
8 .बालकों में आक्षेप के लक्षण अधिक होते हैं.
9 .इस रोग में त्वचा शुष्क तथा छिलकेदार हो जाती है.
10 .नाखून पहले भंगुर हो जाते हैं और बाल उड़ जाते हैं.
11 .दांतों का निर्माण भी ठीक तरह से नहीं हो पाता है.
12 .कभी-कभी रोग के आक्षेप उदर, छाती, पीठ और चेहरे आदि की मांसपेशियों में भी होने लगते हैं.
13 .रोग के आक्षेप 15 मिनट या कुछ घंटों तक रहते हैं.
नोट- उपर्युक्त लक्षणों के द्वारा इस रोग को आसानी से पहचाना जा सकता है.

टिटैनी का घरेलू उपाय-
- समय-समय पर कैल्शियम की गोली का सेवन करते रहे.
- अगर हाथ- पैर में सूजन हो तो तुरंत ही डॉक्टर की सलाह लें.
- खाने- पीने की चीजों में कैल्शियम युक्त चीजों को शामिल करें, यह आपकी बीमारी को दूर करने में असरदार साबित होगा.
- पूरे दिन पर्याप्त मात्रा में पानी पिए. यह आपके शरीर में जाने वाले विटामिन और मिनरल्स को आसानी से पचा देगा.
- अपने डेंटिस्ट से समय-समय पर दांतों की चेकअप कराते रहें, क्योंकि कैल्शियम की कम मात्रा आपके दांतों को भी नुकसान पहुंचा सकती है.
अपतानिका का आयुर्वेदिक उपाय-
1 .लक्ष्मीनारायण रस या कस्तूरीभैरव रस या वात चिंतामणि रस या स्वर्णब्रम्भी वटी 2-2 सुबह- शाम अदरक के रस के साथ सेवन कराएं.
2 .महायोगराज गुग्गुल 2-2 वटी सुबह- शाम महारास्नादि क्वाथ के साथ सेवन कराएं.
3 .लशुनादी वटी 2-2 सुबह- शाम दूध या पानी के साथ सेवन कराएं.
4 .महानारायण तेल से शरीर की मालिश करना चाहिए.
नोट- उपर्युक्त चिकित्सा आयुर्वेद चिकित्सक की देख रेख में सेवन करने से कुछ दिनों में कुछ दिनों में इस रोग से छुटकारा मिलती है.
चिकित्सा स्रोत- आयुर्वेद ज्ञान गंगा पुस्तक.
कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए क्या खाना चाहिए ?

1 .दूध-
जब भी कैल्शियम की कमी की बात आती है तो दूध का नाम सबसे पहले आता है. यह कैल्शियम का सबसे बेहतर स्रोत माना जाता है. गाय के 100 ग्राम दूध से लगभग 113 मिलीग्राम कैल्शियम प्राप्त हो जाता है. हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए प्रतिदिन दूध पीना चाहिए.
2 .पनीर-
कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए पनीर का सेवन करना भी बहुत ही बेहतर विकल्प है. यह उन लोगों के लिए भी अच्छा विकल्प है जो दूध नहीं पीना चाहते हैं या किसी कारण बस दूध नहीं पी सकते हैं. 100 ग्राम पनीर में लगभग 721 मिलीग्राम कैल्शियम होता है. पनीर से कैल्शियम के साथ-साथ प्रोटीन भी प्राप्त हो जाता है. यह हड्डियों को मजबूती देने के साथ-साथ उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है.
3 .बादाम-
बादाम का सेवन करना भी कैल्शियम प्राप्त करने के लिए बेहतर स्रोत है. 100 ग्राम बादाम से लगभग 248 मिलीग्राम कैल्शियम मिल जाता है. रात को चार- पांच बदाम पानी में भिगो दें सुबह इनका छिलका उतारकर या तो ऐसे ही खा लें या फिर पीसकर दूध में मिलाकर पिएं. बादाम के साथ-साथ दूध से भी कैल्शियम प्राप्त हो जाएगा.
4 .तिल-
कैल्शियम की कमी को पूरा करने का एक अच्छा स्रोत तिल भी है. एक बड़े चम्मच तिल में लगभग 88 मिलीग्राम कैल्शियम होता है. तिल का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है. इसे अपने आहार में शामिल करें. प्रतिदिन दो चम्मच तिल का सेवन करके आप कैल्शियम की कमी को पूरा कर सकते हैं. आप इसे सलाद, अनाज के रूप में, सूप में डालकर, लड्डू बना कर चक्की के रूप में भी सेवन कर सकते हैं.
5 .अंजीर-
कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए अंजीर का सेवन करना भी अच्छा विकल्प है. अंजीर शायद दुनिया का एकलौता फल है जो सूखने के बाद भी ड्राई फ्रूट की श्रेणी में आता है. अंजीर को स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी और ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने के लिए बेहतरीन माना जाता है. इतना ही नहीं इसमें कैल्शियम के साथ-साथ फाइबर और पोटेशियम की मात्रा भी भरपूर होती है. सौ ग्राम अंजीर में लगभग 35 मिलीग्राम कैल्शियम होता है. हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद अंजीर का सेवन करें. 2-3 अंजीर के फल या सूखे अंजीर खा सकते हैं.
6 .संतरा-
विटामिन सी और विटामिन डी से भरपूर संतरे में कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है. सौ ग्राम संतरा में लगभग 43 मिलीग्राम कैल्शियम होता है. इसके प्रतिदिन सेवन करने से कैल्शियम की कमी पूरी की जा सकती है. यह हड्डियों को मजबूती देकर विटामिन सी और विटामिन डी को भी पूरा करेगा.
7 .आंवला-
विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर आंवला शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के साथ ही यह शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है. आंवला में भी कैल्शियम की मात्रा होती है. इसका जूस पीने से विशेष लाभ होता है. कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए आंवले का नियमित सेवन किया जा सकता है.
8 .गिलोय-
आयुर्वेद में आंवला और एलोवेरा के साथ ही गिलोय का भी विशेष स्थान है. गिलोय में गिलोय गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड और टिनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टिनोस्पोरिक एसिड, कॉपर, आयरन, फास्फोरस, जिंक, कैलशियम, मैग्निशियम मौजूद होते हैं. गिलोय में कैल्शियम भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद होती है. कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए गिलोय का रस पिएं. गिलोय का चूर्ण का भी सेवन कर सकते हैं.
नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.
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