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औषधि प्रयोग के लिए पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए फल, फूल, छाल, पत्ते व जड़ी- बूटियां ?

By : Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)In : Health TipsRead Time : 2 MinUpdated On January 18, 2022

हेल्थ डेस्क- आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण जड़ी- बूटियों के मिश्रण से किया जाता है. इसमें कई तरह की पेड़- पौधों, घास- फूसों इत्यादि से जड़ी, फुल, फल, छाल, पत्ते इत्यादि को संग्रह कर उचित मात्रा में मिलाकर औषधि तैयार की जाती है. इसके अलावा घरेलू उपायों के रूप में भी पेड़- पौधों के फल, फूल, जड़, तना इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन नहीं जानकारी होने के कारण लोग पेड़- पौधों से कभी भी उनके फल, फूल इत्यादि को एकत्रित कर लेते हैं. जबकि आयुर्वेद के अनुसार इसे एकत्रित करने का पेड़- पौधों के उम्र, उचित समय इत्यादि के बारे में बतालाया गया है. अगर नियम के अनुसार इन्हें संग्रहित कर औषधि के रूप में या घरेलू उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाए तो यह अधिक कारगर और लाभदायक साबित होगा.

औषधि प्रयोग के लिए पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए फल, फूल, छाल, पत्ते व जड़ी- बूटियां

आज के इस लेख में हम पेड़ पौधों से कौन से समय में कौन से अंग को लेकर उसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाना चाहिए के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश करेंगे.

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जिस प्रकार मनुष्य, पशु, पक्षी आदि को तीन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है ठीक उसी प्रकार वनस्पतियों की भी बाल, तरुण और वृद्ध अवस्था होती है. जड़ी बूटियों के संबंध में अधिकांश लोगों को इस बात का ज्ञान नहीं होता है कि किस जड़ी-बूटी को किस समय और उसके किस भाग को तोड़ना चाहिए. जड़ी-बूटी तोड़ने का उचित मौसम, उचित समय, दिन-रात प्रातः या मध्यान्ह देख कर ही संग्रह करना चाहिए. यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो औषधि प्रयोग के समय पूरा गुण प्रदर्शित नहीं करेगी यानी वह जड़ी- बूटी उचित कारगर नहीं हो पाएगी.

इसी प्रकार जहां हरी बूटी को प्रयोग करना बताया जाए वहां हरी ही काम में लेनी चाहिए. वनस्पतियों में फूल आने से पूर्व की अवस्था बाल अवस्था, फुल आने पर तरुण अवस्था तथा फल आने की अवस्था को अंतिम अवस्था माना गया है और समय में तथा स्थान विशेष से प्राप्त न करने पर औषधि के गुण कम हो जाते हैं. इसी प्रकार एक साल से अधिक समय अथवा अधिक पुरानी हो जाने पर भी उनके गुण कम हो जाते हैं. इन सब बातों पर ध्यान रखते हुए ही उचित समय पर जड़ी- बूटियों का संग्रहण करना चाहिए.

चलिए जानते हैं विस्तार से-

जड़ी- बूटियों के तोड़ने का उचित समय-

जो बूटियाँ प्रातकाल हरी भरी होती है, उन्हें प्रातः काल ही तोड़ना चाहिए. लेकिन कुछ बूटियाँ ऐसी भी होती है जो सूर्योदय होने पर विकसित होती है. अतः उन्हें सूर्योदय के बाद ही तोड़ना या उखाड़ना चाहिए. दूधवाली बूटियों को तोड़ने से पहले उसके पत्तों आदि को तोड़ कर देख लेना चाहिए, जब यह पूरी तरह हरी-भरी पुष्ट तथा दूध से लबालब हैं अर्थात पत्ते तोड़ते ही दूध टपकने लगे तभी उसे लेना चाहिए. क्योंकि वह उस समय लेने से अधिक कारगर होगा.

पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए पत्तियां ?

औषधि प्रयोग के लिए पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए फल, फूल, छाल, पत्ते व जड़ी- बूटियां

जिस मौसम में जो बूटी अत्यंत हरी-भरी हो, पत्ते पूर्ण विकसित हों, पीले या मुरझाए हुए ना हो, रस तथा फूलों से भरी हो तभी पत्ते तोड़ने चाहिए. जिस बूटी के फल पक गए हैं अर्थात बीज बन गए हैं ऐसे बूटी के पत्ते नहीं लेनी चाहिए. पत्तों को छाया में सुखाना चाहिए. औषधि प्रयोग के लिए धूप में सुखाना उचित नहीं है अन्यथा उनके रंग और उनके गुण में बदलाव आ जाएगा.

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पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए फूल ?

औषधि प्रयोग के लिए पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए फल, फूल, छाल, पत्ते व जड़ी- बूटियां

जब बूटी पूरी तरह फूल से लदी हो, फुल पूरी तरह से खिले हुए हों और मुरझाए हुए ना हो तभी फूल तोड़ने चाहिए. प्रायः प्रातः काल से दोपहर तक का समय ही फूल तोड़ने के लिए उचित होता है.

पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए फल और बीज ?

औषधि प्रयोग के लिए पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए फल, फूल, छाल, पत्ते व जड़ी- बूटियां

जब बूटी के फल स्वाभाविक रूप में पक गए हो और पत्तों का संपूर्ण रस पत्तों में समां गए हों, बीज कच्चे ना हो, बीजों का रंग प्राकृतिक रूप में आ चुका हो, तभी फलों को तोड़ना और उसके बीजों को लेना चाहिए. ऐसा करने से वह अधिक गुणवान साबित होगा.

पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए जड़ ?

औषधि प्रयोग के लिए पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए फल, फूल, छाल, पत्ते व जड़ी- बूटियां

जो बूटियां 12 माह मिलती है और उसकी जड़ हरे ही प्रयोग करने का प्रावधान हो, उन्हें पहले से तोड़ कर रखना अच्छा नहीं है. जड़ ताजा ही अच्छी रहती है. लेकिन कुछ बूटियाँ ऐसी भी होती है जो किसी मौसम विशेष में कुंभला जाती है. उनकी जड़ हरी व मुलायम अवस्था में ही लेनी चाहिए. लेकिन जो जड़ सड़ी- गली हो अथवा जिसमे कीड़ा आदि लग जाने क्षत- विक्षत हो रही हो उसे प्रयोग नहीं करना चाहिए. सर्दी के मौसम में बूटी का रस पत्तों से उतरकर जड़ों में एकत्रित हो जाता है. अतः ऐसी जड़ी- बूटियों की जड़े सर्दी में ही ग्रहण करनी चाहिए.

पेड़- पौधों से कब लेनी चाहिए छाल ?

औषधि प्रयोग के लिए पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए फल, फूल, छाल, पत्ते व जड़ी- बूटियां

बूटी अथवा पेड़ की छाल और बक्कल युवावस्था में ही उतारना चाहिए. मुरझाए और रूखे वृक्ष की छाल में गुणों का अभाव हो जाता है. हरी-भरी अवस्था में छाल सुगमता से उतर जाती है. अतः वसंत ऋतु से पहले या तुरंत बाद छाल अथवा बक्कल उतारना अति उत्तम होता है. उह औषधि में प्रयोग करना अधिक कारगर होता है.

पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए दूध ?

दूध वाली बूटियों, पौधों और वृक्षों से दूध उस समय लेना चाहिए जब उनकी शाखा, पत्ते और छाल दूध से परिपूर्ण हो. इनको लेने की सबसे अच्छी विधि यह है कि वृक्ष या शाखा में चीरा लगाकर अथवा पत्ते तोड़कर दूध को शीशे अथवा चीनी मिट्टी के पात्र में एकत्र करके सुखा दिया जाना चाहिए.

पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए गोंद ?

गोंद वाले युवा वृक्षों में प्रायः शीत ऋतु में छाल फटकार खुद ही बाहर निकल कर गोंद के रूप में तैयार हो जाते हैं. उस गोंद को प्रातः सूर्योदय से पहले अथवा सूर्यास्त के बाद लेना चाहिए. यह औषधि रूप में अधिक कारगर होता है.

पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए निर्यास ?

मोटी छाल वाले पेड़ों में चीरा लगाने के बाद तथा कुछ नीम, बबूल आदि वृक्षों से अपने आप ही निर्यास ( एक प्रकार का रस ) निकलने लगता है इसे चीनी मिट्टी अथवा कांच के बर्तन में संग्रह करके रखना चाहिए.

पेड़- पौधों से कब लेना चाहिए काष्ठ ( लकड़ी ) ?

शीत ऋतु में वृक्षों का काष्ठ  वीर्य से परिपूर्ण होता है. उस वक्त लेकर छाया में सुखाकर सुरक्षित रख लेना चाहिए. और आवश्यकता पड़ने पर उसे औषधि रूप में प्रयोग में लाना चाहिए.

नोट- चाहे आप आयुर्वेदिक औषधि तैयार कर रहे हो या फिर घरेलू उपयोग में लाने के लिए जड़, फल, फूल, तना, पत्ते इत्यादि का संग्रहण कर रहे हैं तो ध्यान रखते हुए इसे उचित समय पर संग्रहित करने पर यह अधिक कारगर व फायदेमंद साबित होगा.

यह पोस्ट शैक्षणिक उदेश्य से लिखा गया है. अतः अधिक जानकारी के लिए योग्य चिकित्सक की सलाह लें. धन्यवाद.

स्रोत- आयुर्वेद गाइड-

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The information given on this website is based on my own experience and Ayurveda. Take the advice of a qualified doctor (Vaidya) before any use. This information is not intended to be a substitute for any therapy, diagnosis or treatment, as appropriate therapy according to the patient's condition may lead to recovery. The author will not be responsible for any damage caused by improper use. , Thank you !!

Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)

मैं आयुर्वेद चिकित्सक हूँ और जड़ी-बूटियों (आयुर्वेद) रस, भस्मों द्वारा लकवा, सायटिका, गठिया, खूनी एवं वादी बवासीर, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि रोगों का इलाज करता हूँ।

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