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महिलाओं को मासिक धर्म क्यों होता है ? जाने इस समय महिला के शरीर में क्या- क्या परिवर्तन होते हैं?

By : Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)In : Health TipsRead Time : 1 MinUpdated On April 14, 2022

हेल्थ डेस्क- मासिक धर्म क्यों होता है ? इस संबंध में अब तक वैज्ञानिक कोई ठोस कारण निश्चित नहीं कर पाए हैं. विचार किया गया है कि कार्पस ल्युटियम जब पूरा नष्ट हो जाता है और रक्त में इस्ट्रोजेन तथा प्रोजेस्टेरोन की मात्रा खत्म हो जाती है जिससे गर्भाशय के अंतरावरण में सिकुड़न उत्पन्न होता है तो परिणाम स्वरूप वहां पर स्थित पेचदार वाहिनियाँ अधिक दब जाती है और उन में रक्त का प्रवाह रुक जाता है. रक्त के रुकते ही इनकी दीवारें फूट जाती है. फूटने के साथ ही एक जहरीला तत्व मीनोटॉक्सीन जो वाहिनी संकोचक भी होता है पैदा होकर धमनिकाओं को और भी गलाता है जिससे वह फुट जाती है और मासिक स्राव होने लगता है. इससे इन वाहिनियों का अंकूचन ढीला पड़ जाता है जिससे रक्त स्राव होता है यह क्रिया चलती रहती है.

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महिलाओं को मासिक धर्म क्यों होता है ? जाने इस समय महिला के शरीर में क्या- क्या परिवर्तन होते हैं?

कुछ चिकित्सा वैज्ञानिकों का विचार है कि जब रक्त में इस्ट्रोजें की मात्रा निश्चित मर्यादा से कम होती है तब मासिक स्राव होता है.

एक और तथ्य सामने आया है कि जब रक्त में मासिक स्राव के लिए आवश्यक मात्रा से कम इस्ट्रोजन रह जाती है तब भी मासिक स्राव नहीं होता है. दोनों डिंब- ग्रंथियों को निकाल देने या विकिरण द्वारा उन्हें नष्ट कर देने के पश्चात मासिक धर्म नहीं होता जो इसका प्रमाण है.

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सामान्य मासिक धर्म के पूर्व इस्ट्रोजन की मात्रा मासिक स्राव मर्यादा से काफी ऊपर होती है. यह प्रफलनावस्था होती है और मासिक धर्म नहीं होता है. ओबुलेषण के समय इसके एकदम गिरने से मासिक के जो धब्बे आते हैं वे इस्ट्रोजन आर्तव स्रावी मर्यादा की ओर इंगित करते हैं. स्रावी अवस्था के पश्चात भोजन की मात्रा घटने लगती है और जैसे ही वह आर्तव स्रावी भी मर्यादा को पहुंचता है मासिक स्राव हो जाता है.

इसी प्रकार प्रोजेस्टेरोन की आर्तव स्रावी मर्यादा घटते ही मासिक स्राव होने लगता है. स्रावी अवस्था में प्रोजेस्टेरोन अपनी उस पूर्ण मात्रा में रक्त में होता है जो आर्तव स्राव को रोके रहता है. बाद में वह मात्रा घटने लगती है और आर्तव स्राव शुरू हो जाता है.

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यदि गर्भधारण नहीं होता है तो इस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन की कमी ऋतु स्राव को चालू करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है.

मासिक स्त्राव का एक चक्र चलता है जिसमें गर्भाशय उसका इंडोमेट्रियम, बीज ग्रंथियां तथा अन्य द्वितीयक लैंगिक अंग भाग लेते हैं. इनमें तालबढ परिवर्तन होता है. तालबढ कार्य के द्वारा ही एंटीरियर पिट्यूटरी ओवरी के अंतराल पर नियंत्रण रखती हुई प्रत्येक माह नई-नई गर्भ शैय्या बनाती है. जिसमें सफल बीज उसका उपयोग करके गर्भ में परिणत हो. प्रकृति को बासी शैय्या स्वीकार नहीं. यदि एक शैय्या पर सफल बीज नहीं लेटा या बीज निष्फल हो गया तो प्रकृति गर्भाशय अंतश्छ्द रूपी बिस्तर को उठा लेती है और जब सब आर्तव स्राव में निकल जाती है तो आशा की एक नई किरण पिट्यूटरी से फूटती है. डिंब- ग्रंथि में नया परिपक्व बीज तैयार किया जाता है नया बिस्तर पुनः बनता है. साथ ही गर्भाशय का अंतश्छ्द पुष्ट होता है और फिर प्रतीक्षा करता है. यदि फिर भी असफलता मिलती है तो बिस्तर उठा लिया जाता है. इस प्रकार प्रति महीना यही क्रिया चलती रहती है. 12 वर्ष की बालिका से 50 वर्ष की प्रौढा में गर्भाधान के लिए तालबढ सतत प्रयास होने से जीवन प्रवाह आशा से ओत-प्रोत होकर चलता रहता है.

मासिक धर्म के समय महिला में मानसिक एवं शारीरिक परिवर्तन क्या होते हैं ?

मासिक धर्म या रजोदर्शन के समय महिला में कुछ प्रमुख परिवर्तन जो मानसिक एवं शारीरिक होते हैं. निम्नलिखित हैं-

1 .श्रोणी का विकास.

2 .बाह्य जननेंद्रिय का विकास.

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3 .स्तनों का पुष्ट होना. स्तन कुछ बढ़कर अधिक संवेदनशील हो जाते हैं.

4 .लज्जा शीलता- महिलाओं में लज्जाशीलता आ जाती है.

5 .कामवासना का उदय- इन दिनों महिलाएं विशेष कामुक हो उठती है.

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6 .मासिक स्राव निकलने के दो-चार दिन पहले और मासिक स्राव बंद होने के समय तक महिलाओं में एक प्रकार की सुस्ती एवं भोजन के प्रति अरुचि हो जाती है .वह कमर, कूल्हों तथा पैरों में भारीपन तथा दर्द का अनुभव करती है.

7 .महिलाओं का स्वभाव इन दिनों प्रायः तीखा एवं चिड़चिड़ा हो जाता है. उनकी तबीयत भारी हो जाती है. सिर में दर्द होता है कभी-कभी किन्ही- किन्हीं महिलाओं को कब्ज एवं पेचिस की भी समस्या हो जाया करती है.

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8 .मासिक धर्म के समय महिला की नाड़ी की गति कुछ धीमी पड़ जाती है. रक्तचाप कुछ बढ़ जाता है.

9 .मासिक धर्म के दिनों में गर्भाशय कुछ बढ़ जाता है और मासिक धर्म हो जाने से योनि तथा गर्भाशय का मार्ग बिल्कुल साफ होकर खुल जाता है. मासिक धर्म होने के 16वें दिन तक गर्भाशय मुख खुला रहता है. इस समय गर्भाशय में पुरुष वीर्य पहुंचने पर गर्भ स्थापन की विशेष संभावना रहती है.

महिलाओं को मासिक धर्म क्यों होता है ? जाने इस समय महिला के शरीर में क्या- क्या परिवर्तन होते हैं?

10 .मासिक धर्म के दिनों में एक तिहाई महिलाओं को जोरों की वेदना, एक तिहाई महिलाओं को मामूली पीड़ा तथा बाकी एक तिहाई महिलाओं को पीड़ा बिल्कुल नहीं होती है,

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विशेष- महिला में उपर्युक्त शारीरिक एवं मानसिक परिवर्तन ही रज:स्वला महिला के लक्षणों को दर्शाती है.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. अधिक जानकारी के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लें. धन्यवाद.

स्रोत- स्त्री रोग चिकित्सा पुस्तक.

Hashtag: masik dharm महिलाओं को मासिक धर्म क्यों होता है ? मासिक धर्म मासिक धर्म के समय महिला में मानसिक एवं शारीरिक परिवर्तन क्या होते हैं ?

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The information given on this website is based on my own experience and Ayurveda. Take the advice of a qualified doctor (Vaidya) before any use. This information is not intended to be a substitute for any therapy, diagnosis or treatment, as appropriate therapy according to the patient's condition may lead to recovery. The author will not be responsible for any damage caused by improper use. , Thank you !!

Dr. P.K. Sharma (T.H.L.T. Ranchi)

मैं आयुर्वेद चिकित्सक हूँ और जड़ी-बूटियों (आयुर्वेद) रस, भस्मों द्वारा लकवा, सायटिका, गठिया, खूनी एवं वादी बवासीर, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि रोगों का इलाज करता हूँ।

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