हेल्थ डेस्क- शादी के बाद हर पति- पत्नी की चाहत होती है कि वह बच्चे को जन्म दे और इसके लिए वह हर संभव प्रयास भी करते हैं. लेकिन जब उनका प्रयास सफल हो जाता है तो कभी-कभी ऐसा भी होता है कि किसी को सिर्फ लड़का ही उत्पन्न होता है तो किसी- किसी को सिर्फ लड़की ही उत्पन्न होने लगती है. ऐसे में उनका मन उदास होने लगता है. आज हम इस लेख के माध्यम से अपने मर्जी से कैसे लड़का या लड़की को जन्म दे सकते हैं के बारे में जानेंगे.
लड़का या लड़की को अपने मर्जी से कैसे उत्पन्न करें के विषय में कुछ धर्म आचार्यों के विचार इस प्रकार है-
- बच्चों में माता-पिता के रोगों का संचार कैसे होता है ?
- गर्भ में पल रहे शिशु का रंग गोरा, सांवला या काला किस प्रकार बनता है ?
लड़का या लड़की प्राप्ति के लिए मनु ने लिखा है-
युग्मासु पुत्रा जायन्ते स्त्रियों अयुग्मासु रात्रिषु !
तस्माद्धु ग्मासु पुत्रार्थी संधि शेदार्तवे स्त्रियम !!
युग्मे अर्थात छठी, आठवीं रात्रि में शारीरिक संबंध बनाने से पुत्र उत्पन्न होते हैं और अयुग्म रात्रि अर्थात सातवीं, नौवीं रात्रि में शारीरिक संबंध बनाने से लड़की उत्पन्न होती है. पुत्र की इच्छा रखने वाले मनुष्य को मासिक धर्म के बाद युग्म रात में शारीरिक संबंध बनाना चाहिए. युग्म जिसमें 2 का भाग पूरा- पूरा लग सके जैसे- 4, 6, 8, 10, 12, 14, 16 आदि और अयुग्म जिसमें 2 का पूरा- पूरा भाग ना लग सके यानी 5, 7, 9, 11, 13 और 15 इन रात्रियों में शारीरिक संबंध बनाने से यदि गर्भ धारण हो जाता है तो लड़की उत्पन्न होती है.
आयुर्वेद का भी मत यही है कि समरात्रि में शारीरिक संबंध बनाने से यदि गर्भ धारण हो जाता है तो लड़का उत्पन्न होता है और विषम रात्रिओं में शारीरिक संबंध बनाने से यदि गर्भधारण हो जाता है तो लड़की का जन्म होता है.
आयुर्वेद के अनुसार मासिक धर्म के बाद स्नान करने से 16 में दिन तक ही गर्भधारण होने का समय रहता है बाकी 14 दिन में शारीरिक संबंध बनाने से गर्भधारण नहीं होता है. हालांकि देवयोग से इस दौरान भी शारीरिक संबंध बनाने से गर्भ धारण हो सकता है लेकिन निश्चित नही है.
प्राचीन आचार्यों के विचार से बच्चे के लिंग को बनाने का गुण स्त्री के यानी डिम्ब में होता है इसलिए उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि कौन सा समय ऐसा होता है जब पुत्र उत्पन्न करने वाला डिम्ब निकलता है और किस समय पुत्री उत्पन्न करने वाला डिम्ब निकलता है. लेकिन आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार यह धारणा गलत है.
सच तो यह है कि बच्चे के लिंग को बनाने वाला गुण शुक्रकीटों में होता है इसलिए वे पुरुष जिन्हें कन्याएं ही होती है पुत्र के लिए किसी दूसरी महिला के साथ विवाह करके और उससे भी जब बच्चे का जन्म होता है तो उससे भी लड़की ही होती है क्योंकि बार-बार लड़की होने की तह में उसके अपने शुक्राणु ही हुआ करते हैं.
प्रोफेसर मोंसथ्यूरी का मत है कि रजोदर्शन से चौथे दिन शुद्ध होने पर तीन-चार दिन पीछे डिम्ब पक जाता है. इसलिए रजोधर्म से 7,8 या 10 दिन पीछे शारीरिक संबंध बनाने से पुत्र और रजोदर्शन से शुद्ध होने पर उसी दिन या दूसरे, तीसरे दिन शारीरिक संबंध बनाने से कन्या उत्पन्न होती है.
डॉक्टर सीक्वस्ट की राय है कि पुरुष के दाहिने अंड से निकला हुआ वीर्य महिला के दाहिने अंड से निकले डिम्ब के साथ मिलकर पुत्र और पुरुष के बाएं अंड से निकला हुआ वीर्य महिला के बाएं अंड से निकले हुए डिम्ब के साथ मिलकर कन्या उत्पन्न करती है.
डॉक्टर रुमलेन के इलाज में एक ऐसा व्यक्ति था कि जिसके बाएं अंड में चोट लग गई थी. इसके बाद उस व्यक्ति के जितनी संताने हुई वे सब पुत्र ही हुए. जांच करने पर पता चला कि उसका बायाँ अंड किसी काम का ही नहीं था.
जब पुरुष के दाहिने अंड से वीर्य निकलकर महिला के दाहिने अंड से निकले डिम्ब के साथ मिलता है तो पुत्र और जब पुरुष के बाएं अंड से निकला वीर्य महिला के बाएं अंड से निकले डिम्ब के साथ मिलता है तो कन्या उत्पन्न होती है क्योंकि पुरुष का दाहिना अंग प्रधान है इसलिए पुरुष के दाहिने अंड में पुत्र का वीर्य और बाएं अंड में कन्या का वीर्य रहता है. इसी तरह स्त्री का बाया अंग प्रधान है इस कारण स्त्री के बाएं अंड में कन्या का और दाहिने अंड में पुत्र का डिम्ब रहता है.
पुरुष के दाहिने और महिला के बाएं अंग से निकला वीर्य और रज प्रबल होता है. ऐसा रति शास्त्र में लिखा है.
अपने मर्जी के लड़का या लड़की कैसे उत्पन्न कर सकते हैं ? How can I have a boy or a girl of my own free will ?
जिस समय डिम्ब- वीर्य निकलने लगता है उस समय अंडकोष कुछ ऊपर को चढ़ जाते हैं. महिलाओं में ढके होने के कारण अंडकोष दिखाई नहीं देते, लेकिन पुरुषों में ऊपर चढ़ते साफ दिखलाई दिया करते हैं. इतना ही नहीं हर समय महिलाएं और पुरुष का एक अंड ऊपर को चढ़ा रहता है और उसके ऊपर चढ़े हुए अंड से ही रज- वीर्य निकल पड़ता है. दाहिनी या बायीं जिस तरफ की नाक से सांस निकलती हो तरफ का अंड ऊपर को चढ़ जाता है. बाई करवट लेटने से दाहिने नाक से और दाहिने करवट लेटने के बायीं नाक से श्वास निकलने लगती है और किसी तरह की कोई बाधा नहीं होती.
आयुर्वेद के अनुसार जब पुत्र पैदा करने की इच्छा हो तो मासिक धर्म होने के दिन से 4, 6, 8, 10, 12, 14 और 16वीं रात्रि को और जब लड़की उत्पन्न करनी हो तो मासिक धर्म होने से 5, 7, 9, 11, 13 और 15वीं रात्रि को शारीरिक संबंध बनाना चाहिए.
पुत्र उत्पन्न करने के लिए- पति- पत्नी को शारीरिक संबंध के दौरान दाहिने नाक से श्वास निकलनी चाहिए. इससे दोनों महिला और पुरुष का दाहिना अंड ऊपर को चढ़ जाएगा और इसी से डिम्ब और वीर्य निकलकर पुरुष के दाहिने अंड का वीर्य महिला के दाहिने अंड के डिम्ब से मिलकर लड़का उत्पन्न करेगा.
लड़की उत्पन्न करने के लिए- पति- पत्नी को शारीरिक संबंध के दौरान बाएं नाक से सांस लेनी चाहिए. जिससे दोनों के बाएं अंड ऊपर को चढ़ जाएंगे और उसी से डिम्ब तथा वीर्य निकल कर लड़की उत्पन्न करेगा. इन क्रियाओं से हम अपनी इच्छा के अनुसार मनचाही संतान लड़का और लड़की उत्पन्न कर सकते हैं.
लेख स्रोत- एलोपैथिक गाइड.