वीर्य में शुक्राणु की संख्या बढ़ाने के लिए क्या करें ? जाने आसान एवं घरेलू उपाय
हेल्थ डेस्क- एक पुरुष के लिए सेक्स क्षमता मजबूत होना या वीर्य की मात्रा अधिक होना ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि
हेल्थ डेस्क- एक पुरुष के लिए सेक्स क्षमता मजबूत होना या वीर्य की मात्रा अधिक होना ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि
हेल्थ डेस्क- संस्कृत में आयुर का अर्थ है जीवन और वेद का अर्थ है ज्ञान या विज्ञान है. आयुर्वेद या जीवन
ब्यूटी टिप्स- लड़का हो या लड़की हर किसी की चाहत होती है कि वह गोरा, सुंदर व जवान दिखे और इसके
ब्यूटी- लड़का हो या लड़की या फिर महिलाएं हर किसी की चाहत होती है कि उनका चेहरा हमेशा सुन्दर और
हेल्थ डेस्क- मधुमेह एक आजीवन अपक्षयी चयापचय विकार है, टाइप-2 मधुमेह वाले लोगों को इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन करना पड़ता
HELTH DESK- पागलपन को उन्माद, विक्षिप्त आदि नामों से जाना जाता है. इसे अंग्रेजी भाषा मनिया ( Mania ) या
वास्तु शास्त्र- हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि उसका हंसता- खेलता परिवार हो. जिसकी वह समय-समय पर हर इच्छा को
तुलसी के पौधे को हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा पवित्र और फायदेमंद बताया गया है. ज्यादातर हिंदू घरों में
हेल्थ डेस्क- किशमिश और शहद में बहुत सारे प्राकृतिक ताकतवर गुण पाए जाते हैं. सेहत को बनाए रखने के लिए शहद
हेल्थ डेस्क- श्वेत प्रदर का वर्णन अलग-अलग लेखकों ने अपने विचारों से अलग अलग किया है. किसी में इसका वर्णन योनि
हेल्थ डेस्क- जाड़े में कमर और जोड़ों के दर्द के लिए मेथी के लड्डू का सेवन करना किसी औषधि से कम
हेल्थ डेस्क- बदलते मौसम में सर्दी, खांसी, बुखार जैसी समस्याएं होना आम हो जाती है. ऐसे में ज्यादातर लोगों को खांसी
हेल्थ डेस्क- आजकल के बदलते लाइफ स्टाइल में अनियमित खानपन, खानपान में पौष्टिक तत्वों की कमी, फास्ट फूड का अधिक सेवन
हेल्थ डेस्क- आजकल की व्यस्त जिंदगी में हर कोई की चाहत होती है कि वह स्वस्थ एवं ठीक रहे और स्वस्थ
हेल्थ डेस्क- श्वसनी- फुफ्फुसशोथ को कटारल न्यूमोनिया,लोबुलर न्यूमोनिया, कास जनित फुफ्फुस ज्वर, श्वास प्रणालिका प्रदाह, प्रणालीय श्वसनक ज्वर आदि नामों से
HELTH DESK- पागलपन को उन्माद, विक्षिप्त आदि नामों से जाना जाता है. इसे अंग्रेजी भाषा मेंनिया ( Mania ) या
हेल्थ डेस्क- महिला हो या पुरुष हर किसी की सेहत की नींव बेहतर खानपान पर टिकी होती है. पोषक तत्वों से
हेल्थ डेस्क- मांस पेशियों में ऐठन या दर्द होना टिटैनी का एक सामान्य लक्षण है. टिटैनी होने का मुख्य कारण शरीर में कैल्शियम
हेल्थ डेस्क- इसे दिल का धड़कना, धड़कन या हृत्कंप, कलेजे का धड़कना कहते हैं. इसे अंग्रेजी भाषा में पल्पिटेशन ( Palpitation
हेल्थ डेस्क- आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण जड़ी- बूटियों के मिश्रण से किया जाता है. इसमें कई तरह की पेड़- पौधों,
What is cirrhosis of the liver? It is a chronic liver disease. In this, fibrous tissue starts forming in excess
Helth desk- When a person behaves in a strange, passionate or unusually dramatic manner under the control of his own
हेल्थ डेस्क– हिस्टीरिया रोग को योषापस्मार, अपतंत्रक, गुल्मवायु इत्यादि नामों से जाना जाता है. जब कोई व्यक्ति अपनी इच्छा अथवा
हेल्थ डेस्क- यकृत सिरोसिस को जीर्ण यकृद्- रोग अथवा यकृत का सिरोसिस ( Cirrhosis of the Liver ) कहते हैं यकृत
हेल्थ डेस्क- मनुष्य मात्र का सर्वप्रथम कर्तव्य स्वास्थ्य रक्षा है क्योंकि स्वस्थ शरीर से ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की
हेल्थ डेस्क- पित्ताशय मे पथरी होने को पित्त की पथरी, गाल स्टोन, बिलिअरी कैलकुलस आदि नामों से जाना जाता है. पित्ताशय
हेल्थ डेस्क- परजीवी कृमियों कि मनुष्य की आंत में उपस्थिति को कृमिरुग्णता कहते हैं. इसे कई नामोमों से जाना जाता है
हेल्थ डेस्क- मनुष्य दिन भर कोई न कोई काम जरूर करता रहता है. इन कार्यों को संपन्न करने से उसे
हेल्थ डेस्क- कमर दर्द को कटि वेदना, कटिशूल, लो बैक पेन आदि नामों से जाना जाता है. इसे अंग्रेजी में Lumbago
ayurvedgyansagar.com पर पढ़ें- To get rid of lean body and weakness, include these foods in the diet Best ways to
हेल्थ डेस्क- श्वसनीविस्फार को वायु प्रणाली विस्तृति, श्वासनली- शैथिल्य, जीर्णपूय, कास और अंग्रेज़ी में ब्रोंकाइटिस आदि नामों से जाना जाता है.
हेल्थ डेस्क- आधुनिक जीवनशैली के कारण आज केेेेेेे समय में कंपवात रोगियों की संख्या दिन- प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. कंपवात
रोग परिचय- गवीनी में पथरी ( stone ) आदि शल्य प्रवेश करने से कमर में एक तरफ अकस्मात तीव्र दर्द प्रारंभ
हेल्थ डेस्क- सर्दी- जुकाम बहुत ही सामान्य एवं बार- बार होने वाला रोग है. इसमें नाक से स्राव निकलना, लगातार अधिक
Helth desk- चेचक को मसूरिका, शीतला, बड़ी माता, चेचक, वेरीओला आदि नामों से जाना जाता है. चेचक क्या है ?
हेल्थ डेस्क- पेप्टिक अल्सर को आमाशय व्रण, पेप्टिक व्रण, परिणामशूल, ग्रह्न्याशय व्रण, प्रपाचीय व्रण भी कहते हैं. आमाशय व्रण ( पेप्टिक
हेल्थ डेस्क- इसे आंत्रपुच्छशोथ, आंत्रपरिशिष्टशोथ, आंत्रगुल्म और एब्डोमिनल टॉन्सिल्स कहते है. रोग परिचय- एपेंडिक्स के शोथ को एपेंडीसाइटिस कहते हैं. इस रोग
हेल्थ डेस्क- हैजा रोग को विसूचिका, कॉलेरा, कालातिसार, विसुची, दस्त और उल्टी का एक साथ होना, फ्लो ऑफ़ बाइल (
हेल्थ डेस्क- सर्दियों की शुरुआत होते ही बाजार में सिंघाड़ा मिलना शुरू हो जाता है. सिंघाड़ा खाना कई लोगों को पसंद
हेल्थ डेस्क- अफारा, वायु का एकत्रित होना, आनाह, पेट का फूलना आध्मान, अफारा (Flatulence ) रोग क्या है ? अफारा
हेल्थ डेस्क- इसे अम्लता, एसिडिटी, हाइपरक्लोरहाइड्रिया ( Hyperchlorhydriya ) नाम से जाना जाता है. जठर अत्यम्लता (Hyperacidity ) क्या है ?
हेल्थ डेस्क- बार-बार हिक- हिक शब्द करती हुई यकृत, तिल्ली तथा आंतों को खींचकर मुख में लाते हुए ऐसी उदान वायु
विटामिन डी क्या है? विटामिन डी एक वसा में घुलनशील खनिज है जो त्वचा में निर्माण होता है. जब सूर्य
हेल्थ डेस्क- नींबू का इस्तेमाल ज्यादातर लोग भोजन के स्वाद को बढ़ाने के लिए ही करते हैं. इसे दाल, सब्जी, सलाद
हेल्थ डेस्क- वैसे तो अक्सर खांसी सर्दियों के मौसम में अधिक होती है. लेकिन यह कई बीमारियों की जड़ भी हो
हेल्थ डेस्क- बच्चे हर माता-पिता के लिए प्यारे होते हैं और उनके जन्म के बाद उनकी देखरेख करना किसी चुनौती से
हेल्थ डेस्क- हींग का इस्तेमाल हर घर में भोजन के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है. लेकिन हींग न
हेल्थ डेस्क- गठिया रोग संधिशोथ एक कठिन रोग है, जिसके कारण पीड़ा, सूजन तथा थकान हो सकती है. यह आपके संपूर्ण
हेल्थ डेस्क- आजकल के बदलते लाइफ़स्टाइल उल्टा सीधा खानपान लोगों को कम उम्र में ही शारीरिक कमजोरी का शिकार बना
सुंदरता को बढ़ाने के लिए लोग कई तरह के क्रीम, पाउडर का इस्तेमाल करते हैं तो वहीं धातु के गहने
हेल्थ डेस्क- शरीर को स्वस्थ रहने के लिए हमारे शरीर को कुछ विटामिंस की आवश्यकता होती है. जैसे- विटामिन ए, बी,
हेल्थ डेस्क- आजकल मर्दाना कमजोरी, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, शुक्राणु की कमी जैसी समस्याएं पुरुषों में आम होते देखी जा रही है. जिसके
हेल्थ डेस्क- आजकल के बदलते लाइफस्टाइल में अनियमित खान पान, खानपान में पौष्टिक तत्वों की कमी, बढ़ते तनाव, साथ ही धूम्रपान,
हेल्थ डेस्क- आंवले का सेवन करना सेहत के लिहाज से बहुत ही फायदेमंद होता है. आंवले खाने में थोड़ी कड़वी जरूर
Helth desk-आजकल ज्यादातर लोग रात को सोने से पहले दूध पीते हैं. कुछ लोग दूध में हल्दी मिलाकर पीते हैं
हेल्थ डेस्क- आजकल के बदलते लाइफस्टाइल में अनियमित खानपान, खानपान में पौष्टिक तत्वों की कमी, जंक फूड, फास्ट फूड का सेवन
हेल्थ डेस्क- भोजन में दाल का सेवन करना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. मसूर दाल की बात करें तो
हेल्थ डेस्क- फिटकरी एक प्रकार की खनिज मिट्टी है जिसको देसी भाषा में रोल और अंग्रेजी में एलम सोल कहते हैं.
हेल्थ डेस्क- बरसात के मौसम में बीमारियों का खतरा अधिक हो जाता है क्योंकि बरसात के मौसम में नमी और पानी
हेल्थ डेस्क- आजकल के बदलते लाइफ़स्टाइल में अनियमित खानपान, खानपान में पौष्टिक तत्वों की कमी, बढ़ते तनाव, धूम्रपान, शराब इत्यादि का
हेल्थ डेस्क- आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई इतना व्यस्त है कि खुद के लिए समय ही नहीं निकाल
श्वेत प्रदर महिलाओं में होने वाला रोग है जिसमे महिलाओं के योनि मार्ग से सफेद पानी जैसा तरल पदार्थ आता
लड़का हो या लड़की हर किसी की चाहत होती है कि उसके चेहरे पर किसी तरह के दाग- धब्बे, निशान,
रोग परिचय- सिरदर्द होना एक आम समस्या है जो किसी को भी हो सकता है. हालांकि सिर दर्द कोई रोग
रोग परिचय- सूखा रोग, सुखंडी, रिकेट्स- जब सूखा रोग बच्चों में हो जाता है तो बच्चे दिन प्रतिदिन कमजोर होते चले
रोग परिचय- गवीनी ( ureter ) पथरी आदि शल्य प्रवेश करने से कमर में एक तरफ अकस्मात तेज दर्द शुरू होकर
राजयक्ष्मा ( टीबी ) होने के कारण- मल, मूत्र, भूख आदि के बेग को रोकना, वीर्य, रस, रक्त, मांस आदि
मेष आदि 12 राशियों में सूरज के फिरने से छः ऋतु होती है. 1 .माघ- फागुन से शिशिर ऋतु. 2
महिला व पुरुष के बीच संभोग जिंदगी का एक अहम हिस्सा होता है. संभोग करने से न सिर्फ नई पीढ़ी
योगराज एवं महायोगराज गुगुल बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. सोठ, काली मिर्च, पीपल, पीपलामूल, चित्रक, सफेद जीरा,
महामंजिष्ठादि क्वाथ बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. पनीर 20 ग्राम. पित्त पापड़ा 20 ग्राम. अनंत मूल 20
महारास्नादि क्वाथ बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. गंगेरन 20 ग्राम. बेल की जड़ 20 ग्राम. गोरखमुंडी 20
गंधक रसायन चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. शुद्ध आमलासार गंधक- 500 ग्राम. इलायची- 20 ग्राम.
रक्तगिल चूर्ण बनाने के लिए जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. हीरा दक्षिणी- 10 ग्राम. माजूफल- 10 ग्राम. शुद्ध फिटकरी- 10
नारसिंह चूर्ण बनाने के लिए जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. बराही कंद- 50 ग्राम. शुद्ध भिलावा 100 ग्राम. सफेद मूसली-
कामदेव चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. कौंच बीज- 10 ग्राम. सफेद मुसली- 20 ग्राम. मखाने
शकाकलादि चूर्ण बनाने के लिए जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. अंबर- 1 ग्राम. वंशलोचन- 6 ग्राम. शकाकल- 6 ग्राम. शह
विदारीकंदादि चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. विदारीकंद- 50 ग्राम. अश्वगंधा- 50 ग्राम. बहमन सफेद- 50 ग्राम.
प्रद्रांतक चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. लोध्र पठानी- 10 ग्राम. माजूफल- 10 ग्राम. चिकनी सुपारी-
माजूफलादि चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. सफेद मूसली- 10 ग्राम. शतावर- 10 ग्राम. असगंध- 10 ग्राम.
मुसल्यादि चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. अश्वगंधा- 10 ग्राम. सफेद मुसली- 10 ग्राम. शतावरी- 10 ग्राम.
सारिवादि चूर्ण बनाने के लिए जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. सारिवा- 10 ग्राम. चोपचीनी- 10 ग्राम. अश्वगंधा- 10 ग्राम. सत्यानाशी-
कंकोलादि चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. कबाब चीनी- 10 ग्राम. सफेद चंदन- 10 ग्राम. छोटी
प्रवालादि चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. प्रवाल पिष्टी- 10 ग्राम. गिलोय सत- 10 ग्राम. खाकसीर- 10
अद्रकासव बनाने के लिए इन चीजों की जरूरत पड़ेगी. अदरक का रस- 500ml. घृतकुमारी का गुदा 500ml. गुड़- 500 ग्राम.
जातिफलादि चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी बूटियों की आवश्यकता होगी. जायफल 10 ग्राम, लवंग 10 ग्राम, छोटी इलायची 10
लोहासव बनाने के लिए इन जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. लौह भस्म या शुद्ध लौह चूर्ण 50 ग्राम, सफेद जीरा
कर्पूरासव बनाने के लिए इन जड़ी- बूटियों की जरूरत होगी. कपूर 40 ग्राम, मृत संजीवनी सुरा या रेक्टिफाइड स्पिरिट 500
वासासव बनाने के लिए इन जड़ी- बूटियों की जरूरत होगी. अडूसा के पत्तों का रस 1 लीटर, मृत संजीवनी सुरा
मृगमदासव बनाने के लिए इन चीजों की आवश्यकता होगी. मृत संजीवनी सुरा या रेक्टिफाइड स्प्रिट 250 मिलीलीटर, शहद सवा सेर,
हेल्थ डेस्क- कनकासव एक आयुर्वेदिक औषधि है. जिसका उपयोग कई प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है.
हेल्थ डेस्क- दशमूलारिष्ट एक आयुर्वेदिक औषधि है. जिसे कई जड़ी- बूटियों की मेल से अरिष्ट विधि से तैयार किया जाता
अमृतारिष्ट बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. हरा गूरिच 5 सेर, दशमूल 5 सेर को छोटे-छोटे टुकड़े करके
द्राक्षासव बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. काली द्राक्ष 1250 ग्राम, खजूर 500 ग्राम लेकर ( द्राक्ष और
अशोकारिष्ट बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. अशोक छाल 1 किलो, लोध 500 ग्राम को अधकुटा करके 20
अर्जुनारिष्ट बनाने के लिए आपको इन जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. अर्जुन छाल 2 किलो, काली द्राक्ष डेढ़ किलो, पहले
हेल्थ डेस्क- कुमारी आसव एक हर्बल पदार्थों से बनी हुई आयुर्वेदिक औषधि है जो मानव की कार्यशैली में सुधार कर
खदिरारिष्ट बनाने के लिए जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. खदिरारिष्ट बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे खैर छाल 500 ग्राम,
चंदनासव बनाने के लिए जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. चंदनासव बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे सफेद चंदन, नागर मोथा,
सारस्वतारिष्ट बनाने के लिए इन जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. सारस्वतारिष्ट बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे ब्रह्मी 250 ग्राम,
हेल्थ डेस्क- रोगों को दूर करने के लिए आयुर्वेद में जड़ी- बूटियों, रस- भस्मों इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है.
हेल्थ डेस्क- आयुर्वेद के विभिन्न औषधियों में से महासुदर्शन चूर्ण एक है. इस औषधि का निर्माण चिरायता सहित कई जड़ी-
हेल्थ डेस्क- लवंगादि चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसमें लवंग के अलावे कई जड़ी- बूटियों को मिलाकर तैयार किया जाता
हेल्थ डेस्क- आयुर्वेद चिकित्सा का इतिहास 5000 वर्षों से अधिक पुराना है. सदियों से आयुर्वेदिक उपचार में औषधीय गुण रखने
लवण भास्कर चूर्ण बनाने के लिए जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. लवण भास्कर चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे.
शतपत्रादि चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. शतपत्रादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे. गुलाब
स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण बनाने के लिए इन चीजों की आवश्यकता होगी. स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे.
शतावर्यादि चूर्ण बनाने के लिए जड़ी- बूटियों की आवश्यकता होगी. शतावर्यादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे. गोखरू के
अश्वगंधादि चूर्ण बनाने के लिए आपको इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. अश्वगंधादि चूर्ण बनाने की विधि उपयोग एवं फायदे. अश्वगंधा-
बाजीकरण चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी बूटियों की आवश्यकता होगी. सफेद मूसली- 25 ग्राम. मुलेठी- 25 ग्राम. छोटी इलायची-25
श्रीखंड चूर्ण बनाने के लिए आपको इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. 1 .श्वेत चंदन- 10 ग्राम. 2 .खस- 10 ग्राम.
ब्राह्मी चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी बूटियों की जरूरत होगी. ब्राह्मी चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायद 1
बिल्वादि चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. बिल्वादि चूर्ण बनाने की विधि, उपयोग एवं फायदे. 1 .बेल
तालीसादि चूर्ण बनाने के लिए इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी. 1 .तालीसपत्र- 10 ग्राम. 2 .काली मिर्च- 20 ग्राम. 3
सितोपलादि चूर्ण बनाने के लिए इन चीजों की जरूरत पड़ेगी. 1 .वंशलोचन (तपासीर )- 50 ग्राम. 2 .पीपर- 25 ग्राम.
दाड़िमपुष्प चूर्ण बनाने की विधि- अनार के लाल फूल को लेकर सुखाकर पीसकर पाउडर बना लें. यह पाउडर 100 ग्राम
हर किसी की चाहत होती है कि उसका चेहरा सुंदर और खिला- खिला रहे, लेकिन जवानी आते ही कई तरह
आज के समय में बालों का सफेद होना एक आम समस्या बन गया है, पहले 40-45 साल की उम्र में
Helth desk- वात और पित्त कुपित होकर रोम कूपों में जाते हैं तो बाल झड़ने लगते हैं और धीरे-धीरे आदमी
रोग परिचय- जलोदर, जलंदर, उदर में पानी भर जाना, Ascites नाम से इसे जाना जाता है. यह एक ऐसी क्लीनिकल
रोग परिचय- वृद्धावस्था में वृद्धि और दिमागी कार्य क्षमता कम हो जाना बहुत ही आम समस्या है. इस दशा को डिमेंशिया
रोग परिचय- मस्तिष्क गांठ, शंखक शूल जिसे अंग्रेजी भाषा में ब्रेन ट्यूमर ( Brain Tumour ) कहा जाता है. मस्तिष्क
हेल्थ डेस्क– चिलचिलाती धूप और गर्मी में कुछ लोगों को नाक से खून बहने की समस्या होती है. जिसे नकसीर
रोग परिचय- रक्त कैंसर (Leukaemia ) का सामान्य अर्थ सफेद रक्त कोशिकाएं से है. लेकिन प्रायः इसे रक्त कैंसर कहा
रोग परिचय- बवासीर को अर्श, हेमोरॉइड्स, piles आदि नामों से जाना जाता है. जब गुदाद्वार के अंदर चारों ओर की शिराओं
रोग परिचय- छाती में जलन होने को हृद-दाह, पायरोसिस बर्निंग पेन (Pyrosis Burning pain ) के नाम से भी जाना
रोग परिचय- अग्निमांद्य, भूख की कमी, मंदाग्नि, अजीर्ण, भोजन का ठीक प्रकार से पाचन का न होना, भूख न लगना
परिचय- अलर्क विष, जलसंत्रास, जलांतक, रैबीज (Rabbies ) भारत में प्रत्येक साल लगभग हजारों लोग कुत्ता काटने के फल स्वरुप
रोग परिचय- श्वसन संस्थान संबंधी रोगों में सबसे पहला लक्षण खांसी के रूप में मिलता है. यह कोई स्वतंत्र रोग नहीं